बेंगलुरू और हैदराबाद को टक्कर देगा उत्तर प्रदेश

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बेंगलुरू और हैदराबाद को टक्कर देगा उत्तर प्रदेश
बेंगलुरू और हैदराबाद को टक्कर देगा उत्तर प्रदेश

तकनीक के क्षेत्र में बेंगलुरू और हैदराबाद को टक्कर देगा उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश में डाटा पार्क से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में कई बड़े समूह कर रहे हैं निवेश। ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के माध्यम से आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में 90 हजार करोड़ रुपए का हुआ निवेश। एनआईडीपी डेवलपर्स, टाटा टेक्नोलॉजीज, एसटीटी ग्लोबल डेटा सेंटर और जैक्सन लिमिटेड जैसे बड़े समूह कई बड़ी परियोजनाओं की कर रहे शुरुआत। बेंगलुरू और हैदराबाद को टक्कर देगा उत्तर प्रदेश

ब्यूरो निष्पक्ष दस्तक

योगी सरकार उत्तर प्रदेश को तकनीक के क्षेत्र में बेंगलुरू और हैदराबाद के समकक्ष लाने के लिए तेजी से प्रयास कर रही है। इसके लिए उत्तर प्रदेश में डाटा पार्क्स से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है। हाल ही में संपन्न हुई ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से प्रदेश में आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में 90 हजार करोड़ से अधिक की परियोजनाओं का भूमि पूजन हुआ है। यह जीबीसी के जरिए धरातल पर उतारी गईं कुल 10 लाख करोड़ की परियोजनाओं का 8 प्रतिशत से ज्यादा है। इसके जरिए उत्तर प्रदेश में एनआईडीपी डेवलपर्स, टाटा टेक्नोलॉजीज, एसटीटी ग्लोबल डेटा सेंटर और जैक्सन लिमिटेड जैसे बड़े समूह कई बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत कर रहे हैं।

डाटा सेंटर्स के क्षेत्र में निवेश की बहार

डाटा दिग्गज कंपनी योट्टा 30,000 करोड़ रुपए का निवेश कर रही है, जिसके माध्यम से एक कैपिटल इंटेंसिव डाटा सेंटर पार्क स्थापित कर किया जा रहा है जो 2160 व्यक्तियों को रोजगार देगा। यह हीरानंदानी समूह के सम्मानित अंब्रेला ग्रुप के तहत संचालित है। इसी तरह, एसटीटी ग्लोबल डाटा सेंटर्स इंडिया प्रा. लि. 1850 करोड़ रुपए का निवेश कर रही है। इस राशि से एक डाटा सेंटर स्थापित किया जा रहा है जो 160 व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करेगा। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण और संचालन शामिल है, जो मांग, नीति समर्थन और व्यवहार्यता के अधीन है। इसके अतिरिक्त, वेब वर्क्स वर्तमान में नोएडा में 500 करोड़ रुपए के महत्वपूर्ण निवेश के साथ एक अत्याधुनिक डेटा सेंटर स्थापित करने की प्रक्रिया में है। इसक जरिए 220 व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। भारतीय ऊर्जा और इंजीनियरिंग कंपनी जैक्सन ग्रुप भी यीडा क्षेत्र में एक डाटा सेंटर पार्क स्थापित कर रही है। यह परियोजना 1560 करोड़ रुपए की है, जिससे 250 लोगों को रोजगार मिलेगा। कंपनी डीजल जनरेटर सेट और सौर पीवी मॉड्यूल बनाती और बेचती है। जैक्सन भारत-पावरजेन और डिस्ट्रिब्यूशन, सोलर, ईपीसी और रक्षा में चार प्रमुख व्यवसायों का संचालन करता है।

एआई और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग परियोजनाओं की भी शुरुआत

उत्तर प्रदेश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) क्रांति लाते हुए, एडवर्ब इकोटेक ग्रेटर नोएडा में स्वचालित रोबोट और सामग्री हैंडलिंग प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए एक सुविधा स्थापित करने हेतु 500 करोड़ रुपए का निवेश कर रहा है। यह परियोजना 2000 व्यक्तियों के लिए रोजगार पैदा करने के लिए निर्धारित है। इसी तरह, एक प्रमुख भारतीय बहुराष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण सेवा कंपनी डिक्सन टेक्नोलॉजीज नोएडा के सेक्टर -151 में इलेक्ट्रॉनिक्स/मोबाइल विनिर्माण सुविधा स्थापित करने के लिए 650 करोड़ रुपए का निवेश कर रही है। इस परियोजना से लगभग 4000 नौकरियां पैदा होंगी। इसके साथ ही, टाटा टेक्नोलॉजीज उत्तर प्रदेश में 4174 करोड़ रुपए के निवेश के साथ लगभग 150 सरकारी आईटीआई की स्थापना कर रहा है, जिससे 450 नौकरियां पैदा हो रही हैं। इसके अलावा,बालाजी आईटी पार्क्स प्रा. लि., एक्का इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्रा. लि., जेट टाउन इंडिया प्रा. लि., वर्ल्ड इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्रा. लि., ओपन एडवांस्ड टेक्नोलॉजी एलएलपी, माउंटेन व्यू टेक्नोलॉजीज प्रा. लि., महावीर ट्रांसमिशन प्रा. लि., हाईफ्लो इंडस्ट्रीज प्रा. लि., वेस्टवे इलेक्ट्रॉनिक्स लि., बुसंग टेप एंड फिल्म इंडिया प्रा. लि., कैपिटल पावर सिस्टम्स लि.और पेटीएम जैसे समूह भी निवेश कर रहे हैं।

बेंगलुरू और हैदराबाद को टक्कर देगा उत्तर प्रदेश

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में सिंगापुर की जगह हमेशा सबसे अच्छे देशों में रही है। पिछले साल वह पांचवें नंबर पर था। इसे देश के संस्थानों, मानव संसाधनों और इंफ्रास्ट्रक्चर की ताकत माना जाता है। सिंगापुर उन शुरुआती देशों में से था जिन्होंने एआई को सबसे पहले अपनाया था। 2019 में ही देश ने एक एआई रणनीति तैयार कर ली थी जिसका मकसद था कि लोग, उद्योग और समुदाय सुरक्षित और भरोसेमंद तरीके से एआई का इस्तेमाल कर पाएं।

भारत में लोकल वेल्यू एडिशन वर्तमान में आठ साल पहले के निम्न एकल अंक की तुलना में औसतन 15 प्रतिशत से अधिक है। कई कंपनियां मोबाइल फोन के साथ-साथ कंपोनेंट्स के निर्माण के लिए देश में यूनिट्स स्थापित कर रही हैं, जिससे निवेश बढ़ रहा है, नौकरियां बढ़ रही हैं और समग्र इकोसिस्टम डेवलप हो रहा है। अब एप्पल भी भारत से अपने मोबाइल फोन के निर्यात करने जा रहा है। मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बड़ी सफलता मिली है। देश में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग का आंकड़ा 200 करोड़ यूनिट्स के पार कर ​गया है। काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसार, मेक इन इंडिया’ मोबाइल फोन शिपमेंट ने 2014-2022 के दौरान 2 अरब का आंकड़ा पार कर लिया, जिससे 23 प्रतिशत कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) दर्ज की गई। इसके साथ ही दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक देश बन गया है।

उत्तर प्रदेश में पहले से ही नोएडा आईटी हब के तौर पर विख्यात है। अब योगी आदित्यनाथ सरकार ने राजधान लखनऊ को देश के उभरते आईटी हॉस्पॉट के तौर पर स्थापित करने के लिए AI सिटी के विकास की प्रक्रिया को हरी झंडी दे दी है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को देश के उभरते आईटी हॉस्पॉट के तौर पर स्थापित करने के लिए नादरगंज क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सिटी के विकास की प्रक्रिया को हरी झंडी दे दी गई है। लखनऊ में एआई सिटी के विकास के लिए सीएम योगी के दिशा-निर्देश में एक विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है, जिसको क्रियान्वित करते हुए यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीएलसी) ने प्रक्रिया शुरू कर दी है।

नोएडा पहले से ही उत्तर प्रदेश में एक IT हब के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन लखनऊ का IT हब और AI शहर के रूप में विकास देश और राज्य भर में टियर -2 शहरों के विकास को राह देगा। लखनऊ में 800 से ज्यादा तकनीक- संबंधित व्यवसाय और BPM सहित 200 से ज्यादा टेक स्टार्टअप उपस्थित हैं। शहर में AI और मेडिकल टेक जैसे क्षेत्रों में एक्सीलेंस सेंटर्स भी हैं। उत्तर प्रदेश राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, नादरगंज क्षेत्र में एक AI सिटी के विकास के लिए हरी झंडी दे दी गई है, जो लखनऊ को देश के उभरते IT हॉटस्पॉट के रूप में मजबूत करेगा। लखनऊ में AI सिटी की स्थापना के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया गया है।

अब भारत सरकार का जोर चिप निर्माण पर

मोदी सरकार अब भारत को ‘सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग एंड एक्सपोर्ट हब’ बनाने के लिए अपनी अलग-अलग योजनाओं पर जोर दे रही है। इसके लिए सरकार कई तरह की रियायत दे रही है। हाल के दिनों में कई विदेशी कंपनी ने भारत में निवेश की दिलचस्पी दिखाई है। आपको बता दें कि भारत में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने चरणबद्ध मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम की शुरुआत की और लोकल मैन्युफैक्चरिंग और वेल्यू एडिशन को बढ़ावा देने के लिए पिछले कुछ सालों में पूरी तरह से निर्मित यूनिट्स और कुछ प्रमुख कंपोनेंट्स पर आयात शुल्क बढ़ाया। सरकार ने मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग सहित 14 क्षेत्रों के लिए प्रोडक्शन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की। इन सबके चलते भारत से निर्यात बढ़ा है। आगे बढ़ते हुए सरकार का ध्यान भारत को सेमीकंडक्टर हब बनाने पर है। इसने एक सेमीकंडक्टर पीएलआई योजना प्रस्तावित की है और अब 1.4 ट्रिलियन डॉलर के प्रस्तावित निवेश के साथ बुनियादी ढांचे पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है। बेंगलुरू और हैदराबाद को टक्कर देगा उत्तर प्रदेश