

उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव हुए हैं। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के नेतृत्व में राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण सुधार किए जा रहे हैं। सरकार की प्राथमिकता आमजन को उच्चस्तरीय और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इस उद्देश्य से प्रदेश में 5,000 नए सब-सेंटर खोलने की मंजूरी दी गई है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सकेंगी। प्रदेश में 65 मेडिकल कॉलेज पूर्ण क्षमता से कार्यरत हैं, और 18 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए हैं। इनके साथ ही 27 नए पैरामेडिकल कॉलेज भी बनाए गए हैं। सरकार ने जिला स्तर पर 22,000 से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना की है, जहां दवाइयां, ओपीडी, टेली कंसल्टेशन और मूलभूत जांचों की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। स्वास्थ्य विभाग में नए पदों पर भर्ती की प्रक्रिया भी जारी है। नवनिर्मित अस्पतालों में नवीन पदों पर नियुक्ति की जा रही है, और नए उपकरणों की स्थापना के माध्यम से अस्पतालों को उन्नत किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार हुआ है, जिससे राज्य ‘स्वस्थ प्रदेश’ बनने की दिशा में अग्रसर है। उत्तर प्रदेश बन रहा स्वस्थ प्रदेश-बृजेश पाठक
मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में यूपी में 80 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए हैं, जिनमें सरकारी और निजी दोनों शामिल हैं। एमबीबीएस और पीजी सीटों में भी वृद्धि हुई है, जिससे प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। योगी सरकार ने आयुष चिकित्सा को भी बढ़ावा देते हुए अयोध्या और वाराणसी में आयुर्वेदिक तथा होम्योपैथिक कॉलेजों की स्थापना की। इसके साथ ही लखनऊ में सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों और रिसर्च संस्थानों की स्थापना की गई, जो प्रदेश के नागरिकों को बेहतर इलाज प्रदान कर रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं और इन्फ्रास्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव हुआ। इसी का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आज उत्तम प्रदेश बनकर सामने आया है। वर्ष 2017 से पहले उत्तर प्रदेश को बीमारू प्रदेश कहा जाता था। मगर अब योगी सरकार में प्रदेशवासी उत्तम स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में प्रदेश की तस्वीर बदल गई है। नया उत्तर प्रदेश उन्नति के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है और हर क्षेत्र में विकास योजनाएं संचालित हो रही हैं। आज प्रदेश में गुंडे-माफियाओं का दौर खत्म हो गया है और पूरा प्रदेश एक परिवार की तरह है। हम सब के संयुक्त प्रयास से उत्तर प्रदेश को देश में नंबर वन पर लाना है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-2026 में यूजी, पीजी के लिए 10,000 सीटें जोड़े जाने की घोषणा की है, जिसमें से 1500 सीटें उत्तर प्रदेश को प्राप्त होंगी। इसके लिए लगभग 2066 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। वर्ष 2017 में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशियलिटी की कुल सीटों की संख्या 120 थीं। शैक्षणिक सत्र 2024-2025 में सीटों की संख्या बढ़ाकर 250 की गई। बलिया और बलरामपुर में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना के लिए क्रमशः 27 करोड़ रुपये और 25 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। वहीं, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजनान्तर्गत 5.13 करोड़ लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं। आयुष्मान कार्ड बनाने में पूरे देश में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। प्राथमिक स्वास्थ्य इकाइयों को आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रूप में उच्चीकृत किया जा रहा है। वर्तमान में 22,681 आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित हैं। उप केंद्रो से टेलीकन्सलटेशन प्रारंभ कर ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने का आरंभ जुलाई, 2020 से किया गया है। प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा पोषित पीपीपी मोड पर निःशुल्क डायलिसिस सेवाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा पीपीपी मोड पर जनपदीय चिकित्सालयों में सीटी स्कैन की निःशुल्क सेवा उपलब्ध कराई जा रही है।
प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं का प्रसार जिस प्रकार से हुआ है और लगातार हो रहा है,वह अदभुत है। उन्होंने कहा कि आठ वर्ष पहले प्रत्येक वर्ष प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में संक्रमक रोगों से बड़े पैमाने पर मौतें हुआ करती थीं। रोगों की पहचान, रोकथाम और इलाज की व्यवस्थाएं जनसामान्य को उपलब्ध नहीं थीं। आज प्रदेश में 80 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें 44 राज्य सरकार द्वारा संचालित हैं, जबकि 36 निजी क्षेत्र में हैं। प्रदेश में 2 एम्स एवं आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी तथा जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ संचालित हैं। वर्ष 2024-2025 में 13 स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय एवं पीपीपी मोड पर 3 जनपदों-महाराजगंज, सम्भल तथा शामली में नवीन मेडिकल कॉलेज स्थापित किये गये हैं। वर्तमान में प्रदेश में राजकीय एवं निजी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेजों/चिकित्सा संस्थानों/ विश्वविद्यालयों में एमबीबीएस की 11,800 सीटें तथा पीजी की 3971 सीटें उपलब्ध हैं। इन कॉलेजों से आज बेहतर चिकित्सक निकल रहे हैं।
प्रदेश में 2,110 आयुर्वेदिक और 1585 होम्योपैथिक चिकित्सालयों का हो रहा संचालन उत्तर प्रदेश बन रहा स्वस्थ प्रदेश-बृजेश पाठक
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों में वर्तमान में 2,110 आयुर्वेदिक, 254 यूनानी एवं 1585 होम्योपैथिक चिकित्सालयों के साथ ही 8 आयुर्वेदिक कॉलेज व उनसे संबद्ध चिकित्सालय,2 यूनानी कॉलेज व उनसे संबद्ध चिकित्सालय और 9 होम्योपैथिक कॉलेज व उनसे संबद्ध चिकित्सालय संचालित हैं। वित्तीय वर्ष 2025-2026 में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाना, जनपद अयोध्या में राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाना, जनपद वाराणसी में राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की स्थापना कराना लक्षित है।
यूपी में चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है। तमाम योजनाएं और सुविधाओं के बावजूद मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराना किसी चुनौती से काम नहीं है। हालांकि सरकार का दावा है कि यूपी में स्वास्थ्य सेवाएं लगातार बेहतर हो रही हैं। आकस्मिक सेवाओं के लिए टोल फ्री नंबर जारी किए गए हैं। इनके माध्यम से मरीजों को तत्काल मेडिकल फैसेलिटी दी जाती है।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि योगी सरकार में प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं में व्यापक सुधार एवं विस्तार हुआ है। वर्ष 2017 की तुलना में 2024 में डेंगू मृत्यु दर में 93% की कमी आई। इसी तरह, जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के मामलों में क्रमशः 87% और 76% की कमी आई, जबकि इनसे होने वाली मौतों में 97% और 98% की गिरावट दर्ज की गई। प्रदेश के 36 जनपदों में इंसेफेलाइटिस से मासूम बच्चों की असमय मृत्यु हो जाती थी। आज प्रदेश ने इंसेफेलाइटिस पर प्रभावी नियंत्रण करने में सफलता प्राप्त की है। वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2024 में एक्यूट इंसेफेलाइटिस को 85 प्रतिशत और जापानी इंसेफेलाइटिस को 99 प्रतिशत तक नियंत्रित करने में सरकार को सफलता प्राप्त हुई है। डेंगू से मृत्यु दर को 95 प्रतिशत कम किया गया है। मलेरिया से मृत्यु दर के मामलों में 56 प्रतिशत की कमी आई है। यह सुखद परिणाम टीमवर्क और सही नियोजन का ही परिणाम है। आज 5.21 करोड़ लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा विभाग में आमूल-चूल कदम उठाए गए हैं । पूरे प्रदेश में जिला अस्पताल के माध्यम से नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। मेडिकल कॉलेज के साथ ही सीएचसी, पीएचसी, स्वास्थ्य उपकेंद्र, आयुष्मान केंद्र की गिनती कराते हुए श्री पाठक ने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पहले से काफी बेहतर हुई हैं।
आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। मुख्यमंत्री आरोग्य मेले के माध्यम से लगभग साढे 13 करोड़ लोग लाभान्वित हुए हैं। प्रदेश में एम.बी.बी.एस. की वर्ष 2017 में मात्र 1,990 सीटें थी, यह बढ़कर वर्तमान में 5,250 हो गई है। निजी मेडिकल कॉलेज में भी यह सीटें 2,550 से बढ़कर 6,550 हुई है। राजकीय मेडिकल कॉलेज में पी0जी0 की सीटें वर्ष 2017 के पहले 741 थी, आज यह बढ़कर 1,871 हुई है। वर्ष 2017 के पहले निजी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज में पी0जी0 की सीटें 80 थी, आज यह बढ़कर 2,100 हुई है। प्रदेश में पहले कुछ ही मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी की सुविधा थी। आज लगभग हर जनपद में यह सुविधा उपलब्ध है। वर्तमान में सभी जनपदों में डायलिसिस और सी0टी0 स्कैन आदि की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए हर जनपद में जन आरोग्य योजना से जुड़े केन्द्र स्थापित करने का कार्य किया जा रहा है।
गंभीर रोगियों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने की दिशा में प्रदेश सरकार लगातार अहम कदम उठा रही है। गंभीर रोगियों के लिए आईसीयू बेड की संख्या में लगातार इजाफा किया जा रहा है ताकि बेड के लिए रोगियों को भटकना न पड़े। ब्रजेश पाठक ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से सुधार किए जा रहे हैं। प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों एवं संस्थानों में लगातार आईसीयू बेड बढ़ाये जा रहे है। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2017 की तुलना में समस्त मेडिकल कॉलेजों एवं संस्थानों में कुल 1108 आईसीयू बेड थे। अब तक सरकार ने 2025 आईसीयू बेड जनहित में बढ़ाए हैं। मौजूदा समय में प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों एवं संस्थानों में कुल 3133 बेड हो गये हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 से पहले प्रदेश के कई मेडिकल संस्थानों में आईसीयू बेड नहीं थे।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि डबल इंजन सरकार में उत्तम स्वास्थ व्यवस्था से वर्ष 2017 की तुलना में एईएस (एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) रोगियों की मृत्यु दर में 98 प्रतिशत एवं जेई यानि जापानी इंसेफेलाइटिस के रोगियों की मृत्यु दर में 97 प्रतिशत की कमी आई है। आज सुविधाओं में निरंतर सुधार के चलते डेंगू रोग से मृत्यु दर 0.91 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2024 में 0.06 हुई है। डेंगू रोग की मृत्यु दर में 93 प्रतिशत की कमी आई है। मलेरिया रोग के कुल केसेज में 58 फीसदी की कमी आई है। मलेरिया जांचों में 6.12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। आज 125 नई एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस जोड़ी जा रही हैं। अब प्रदेश प्रदेश में एएलसी एंबुलेंसों की संख्या 250 से बढ़कर 375 हो गई है। वर्ष 2017 से पूर्व 108 एंबुलेंस का औसतन रिस्पांस टाइम 16.40 मिनट था, जो अब घटकर वर्तमान में 7.7 मिनट हो गया है। वर्ष 2017 में 102 एंबुलेंस का औसतन रिस्पांस टाइम 9.5 मिनट था, जो अब घटकर वर्तमान में 6.25 मिनट हो गया है। सबसे कम रिस्पांस टाइम में यूपी देश में पहले नंबर पर है। सबसे कम रिस्पांस टाइम के चलते लाखों मरीजों की जान बचाई गई है। यूपी एमएससीएल के माध्यम से 2554 नई एंबुलेंस खरीदी गई हैं, जो विश्व में सबसे बड़ा एंबुलेंस क्रय है। एंबुलेंस सेवा के माध्यम से प्रदेश में औसतन रोजाना 16,703 मरीजों को सहायता प्रदान की जा रही है। यह सेवा गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और 5 साल तक के बच्चों को मुफ्त में एंबुलेंस सेवा प्रदान करती है।
स्वास्थ विभाग की महत्वपूर्ण योजनाएं उत्तर प्रदेश बन रहा स्वस्थ प्रदेश-बृजेश पाठक
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और श्रमिक स्वास्थ्य बीमा योजना शामिल हैं, जो गरीब और जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में मदद करती हैं।
- ईसंजीवनी : यह राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा है। इसका मकसद मरीज़ों को घर पर ही स्वास्थ्य सेवाएं देना है। प्रदेश सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए गंभीरता से कार्य कर रही है। वर्ष 2025 में स्वास्थ्य विभाग का मिशन है कि हर मरीज को घर बैठे ईसंजीवनी की मदद से टेली मेडिसिन सुविधा मिले।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) : इसके तहत स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करने, प्रजनन-मातृ-नवजात-शिशु और किशोर स्वास्थ्य, और संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों पर काम किया जाता है।
- राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना : यह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की योजना है। यह गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और कैंसर से पीड़ित गरीब मरीजों को 27 क्षेत्रीय कैंसर केंद्रों (आरसीसी) में उनके इलाज के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने की एक योजना है। सभी 27 क्षेत्रीय कैंसर केंद्रों (आरसीसी) में रिवॉल्विंग फंड बनाए गए हैं और इनसे 10 लाख रुपये तक की राशि जुटाई जाती है।
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) : यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को वित्तीय सुरक्षा और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए है। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजाए) भारत सरकार की एक क्रांतिकारी स्वास्थ्य बीमा पहल है, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को वित्तीय सुरक्षा और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करना है। यह योजना 10 करोड़ से अधिक परिवारों को कवर करती है और प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का अस्पताल में भर्ती कवरेज प्रदान करती है, जिससे देशभर में 7,000 से अधिक एम्पैनल अस्पतालों में कैशलेस इलाज सुनिश्चित होता है।
- केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) : यह योजना केंद्र सरकार के कर्मचारियों, पेंशनभोगियों, और उनके आश्रितों को स्वास्थ्य सेवाएं देती है।
- उत्तर प्रदेश श्रमिक स्वास्थ्य बीमा योजना: उत्तर प्रदेश सरकार ने दिहाड़ी मजदूरों की मदद के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें से यूपी श्रमिक/मजदूर स्वास्थ्य बीमा योजना एक है। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश के सभी श्रमिकों को स्वास्थ्य बीमा में 5 लाख रुपये तक और दुर्घटना के कारण मृत्यु या स्थाई विकलांगता होने पर 2 लाख रुपये तक का कैशलेस बीमा कवर दिया जाएगा। योजना के अतर्गत पंजीकृत मजदूर डीबीटी के माध्यम से अपने बैंक खातों में इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। उत्तर प्रदेश बन रहा स्वस्थ प्रदेश-बृजेश पाठक