पूरा विश्व तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर

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पूरा विश्व तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर
पूरा विश्व तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर

डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी

अमेरिकी चुनाव पूरे विश्व को प्रभावित करता है। ट्रम्प का फिर से अमेरिका का राष्ट्रपति चुना जाना विश्व के लिए एक शुभ संकेत है। आज विश्व जिस दौर से गुजर रहा है इसमें अमेरिका के प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है। रूस यूक्रेन युद्ध या इजरायल का फिलिस्तीन और हिजबुल्लाह के खिलाफ युद्ध या इजरायल का ईरान के साथ संभावित युद्ध में अमेरिका का बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। अमेरिका के बिना यूक्रेन इतनी लंबी लड़ाई रूस के साथ नही लड़ सकता था। उसी तरह अमेरिका का वरद हस्त इजरायल के साथ है, इसलिए वो हमास या हिजबुल्लाह या ईरान के साथ किसी हद तक जा सकता है। आज पूरा विश्व तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ा है। जो बाइडेन का शासनकाल पूरी तरह हथियार लॉबी के हाथों में रहा। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन की साजिश जो बाइडेन की नीतियों का परिणाम था। जो बाइडेन चाहते तो रूस यूक्रेन युद्ध से बचा जा सकता था। ट्रम्प की नीतियों की झलक ट्रम्प के चुनाव प्रचार के दरम्यान मिल गई थी। पूरा विश्व तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर

बांग्लादेश में हिंदुओं के प्रति अपनी सहानभूति प्रगट करना इस बात को दर्शाता है कि उन्हें बांग्लादेश के हिंदुओं की चिंता है।आने वाले समय में बांग्लादेश में फिर से सत्ता परिवर्तन होगा। वैसे अमेरिका का इजरायल के प्रति रवैया एक सा रहता है लेकिन ट्रम्प के आने के बाद इसमें और प्रगाढ़ता बढ़ सकती है. इजरायल अब ईरान के परमाणु ठिकानों पर भी अपना हमला कर सकता है जो कमला हैरिस के सत्ता में आने के बाद नही होता। ट्रम्प एक बिजनेसमैन हैं और कोई बिजनेसमैन नही चाहता कि देश में किसी भी तरह का अस्थिरता का माहौल हो। उसे अपने व्यापार बढ़ाने से मतलब होता है । पिछले चार सालों में अमेरिका की नीतियों के कारण पूरा विश्व एक बुरे दौर से गुजरा है। आज अमेरिका ही सुपर पावर के रूप में अपना अस्तित्व कायम रख सका है। अमेरिका का इस रूप में बने रहना नितान्त जरूरी है। आज रूस का जो रवैया है वह विश्व शांति के लिए बहुत खतरनाक है। रूस को काबू में करना बहुत जरूरी है और इस काम को अंजाम सिर्फ अमेरिका ही कर सकता है। रूस, नार्थ कोरिया और चीन की तिकड़ी कभी भी विश्व शांति के लिए खतरा बन सकते हैं।

ईरान भी अपने प्रॉक्सी के माध्यम से अशांति फैलाने का कार्य निरंतर कर रहा है। ईरान को नही रोका गया तो मध्यपूर्व में अशांति बनी रहेगी। ईरान को सिर्फ इजरायल ही काबू में कर सकता है। ईरान की परमाणु योजना बहुत विनाशकारी साबित हो सकती है इसलिए ईरान को किसी तरह परमाणु शक्ति बनने से रोकना होगा। इजरायल के पास अभी मौका है औऱ अभी नही तो कभी नहीं। ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से भारत के साथ आपसी रिश्तों में और गरमाहट आ सकती है। ट्रम्प और मोदी की दोस्ती जगजाहिर है।ट्रम्प का भारत प्रेम किसी से छिपा हुआ नही है। मोदी और ट्रम्प दोनों कह चुके हैं कि युद्ध किसी मसले का हल नही है इसलिए दोनों नेता युद्ध खत्म करने पर जोर देंगें। मोदी की पुतिन से भी घनिष्ठता है इसलिए मोदी एक कड़ी के रूप में काम कर सकते हैं।

ट्रम्प के जीतने से आतंकवाद पर भी लगाम लग सकती है । अपने पिछले कार्यकाल में उन्होंने पाकिस्तान को अमेरिकी मदद देने से रोक दिया था। उनका स्पष्ट मानना था कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पनाह देता है। अगर ऐसा फिर से रहा तो पाकिस्तान के लिये खतरे की घंटी है। भारत को भी अपने आयात निर्यात नीति में बदलाव करना पड़ सकता है क्योंकि ट्रम्प कई बार इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि भारत अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर ज्यादा शुल्क लगाता है।ट्रम्प को इस बात का ऐतराज रहता है। ट्रम्प के लिए चुनौती इस बात के लिए रहेगी कि वे कैसे रूस और यूक्रेन के बीच समझौता कराएँ।

यूक्रेन को लगातार आर्थिक मदद करने से अमेरिका की अपनी आर्थिक व्यवस्था कमजोर हो सकती है। इधर इजरायल को भी सैन्य सहायता करनी पड़ रही है। दो दो फ्रण्ट पर उलझना अमेरिका के हित में अच्छा नही है। आने वाले समय में वहाँ की जनता को अधिक टैक्स देने की मार झेलनी पड़ सकती है। कमोबेश अमेरिका के बाजार से पूरा विश्व प्रभावित होता है। ट्रम्प के सत्ता में आते ही इजरायल का मनोबल और बढ़ेगा और वह हिजबुल्लाह और हमास के ख़िलाफ़ और आक्रामक होगा।ईरान इजरायल पर हमला करने वाला था लेकिन ट्रम्प के आने के बाद ईरान के लिए अब ये काम करना मुश्किल होगा। अगर ईरान पर लगाम लगता है तो यह उस क्षेत्र के हित में अच्छा होगा लेकिन अभी ऐसा नहीं दिख रहा है। हिजबुल्लाह लगातार इजरायल पर मिसाइल से हमला कर रहा है. इससे इजरायल को नुकसान पहुंच रहा है।

इजरायल में भी भय का वातावरण व्याप्त है। हिजबुल्लाह के साथ इजरायल का युद्ध लंबा चलने वाला है। अब इजरायल के सामने चुनौती है कि उसे हमास और हिजबुल्लाह को पूरी तरह मिटाना होगा लेकिन ये काम उतना आसान नही है। जब तक ईरान की तरफ से इन संगठनों को सहायता मिलती रहेगी, इनका सफाया नही किया जा सकता है। ये तभी मुमकिन है जब ईरान इनकी सहायता बंद करे। हमास या हिजबुल्लाह एक सोच है और किसी भी सोच को मिटाया नही जा सकता। इनका मकसद इजरायल को इस क्षेत्र से हटाना है लेकिन ये भी मुमकिन नही है क्योंकि इजरायल भी अपने वजूद को बचाये रखने के लिए किसी हद तक जा सकता है।

इजरायल को अपनी रक्षा के लिए अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और चाक चौबंद करना पड़ेगा क्योंकि जिस तरह हिजबुल्लाह की तरफ से जो रॉकेट दागे जा रहे हैं, उनको पूरी तरह नष्ट करने इजरायल सक्षम नही हो पा रहा है। इसमें और सुधार करना होगा और इसमें आने वाले समय में इजरायल निश्चित तौर पर सुधार कर लेगा। इजरायल को इस क्षेत्र में मजबूत होना बहुत जरूरी है। ट्रम्प के अगले चार साल का कार्यकाल विश्व में शांति स्थापित करने में मददगार साबित होगा। भारत के खिलाफ जो खालिस्तानी आतंकवादी अमेरिका की धरती से उत्पात मचाना चाहते हैं. उस पर भी लगाम लगेगा। कनाडा में भी ट्रुडो सरकार जो खालिस्तानी आतंकवादियों को सपोर्ट कर रहे हैं उसमें भी कुछ हद तक कमी आएगी। वैसे भी ट्रुडो सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। भारत ने भी कनाडा के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है और ये होना भी चाहिये था। कनाडा की धरती से खालिस्तानी आतंकवादियों को लगातार मदद मिल रही है जो हिंदुस्तान के लिए अच्छी नहीं है। इस मंशा पर प्रहार करना होगा।  पूरा विश्व तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर