मातृ-शिशु को ‘आयुष्मान’ बनाने में निभाई अहम भूमिका

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• प्रमुख सचिव ने कहा- 15 लाख से अधिक परिवारों के जीवन को छुआ।
• आयुष्मान भारत योजना के चार साल के सफ़र पर मंथन।
• मातृ मृत्यु दर में 30 तो बाल मृत्यु दर में आई चार अंकों की गिरावट।
• 21 हजार एचआरपी महिलाओं का कराया सुरक्षित प्रसव।
• 17 हजार शिशुओं का मुफ्त उपचार कराकर दी नई जिन्दगी।

लखनऊ। आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभायी है। योजना के चार साल के सफर के दौरान स्टेट हेल्थ एजेंसी साचीज ने 15 लाख से अधिक लोगों को मुफ्त इलाज का तोहफा देकर उनके परिवारों के जीवन बनाने का नेक काम किया है। इसके अलावा मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी भूमिका निभाई है। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के चार साल पूरे होने के उपलक्ष्य में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में यह बात प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कही।

स्टेट हेल्थ एजेंसी साचीज के तत्वावधान में एक्सेस हेल्थ संस्था के सहयोग से केजीएमयू के अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में प्रमुख सचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश चार साल में 2.16 करोड़ से अधिक लाभार्थियों का आयुष्मान कार्ड बनाकर देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य बन गया है। योजना के तहत प्रदेश में 15.18 लाख से अधिक लोगों ने मुफ्त चिकित्सा का लाभ उठाया है। योजना के लाभार्थियों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का मुफ्त इलाज मुहैया कराया जा रहा है।

बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) के कंट्री लीड पब्लिक पालिसी एंड फाइनेंस डॉ. संतोष मैथ्यू ने कहा कि योजना को और सरल व सुविधाजनक बनाने की जरूरत है ताकि जरूरत के वक्त बिना समय गंवाए आसानी से इलाज मिल सके। इस पर प्रमुख सचिव ने कहा कि उनके इस उपयोगी सुझाव पर गंभीरता से काम किया जाएगा ताकि स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को आसान बनाया जा सके।

सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण रविन्द्र ने कहा कि कमजोर वर्ग के लिए शुरू की गयी यह योजना अपने उद्देश्य में पूरी तरह सफल हुई है। बीएमजीएफ जैसी संस्थाओं ने योजना के तहत लोगों की पहुँच को आसान बनाया है। साचीज की सीईओ संगीता सिंह ने आयुष्मान भारत योजना की चार साल की उपलब्धियों और आगामी योजनाओं के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। एसआरएस की रिपोर्ट के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश की मातृ मृत्यु दर में 30 अंकों की गिरावट आई है। इसमें बड़ा योगदान प्रदेश की 21 हजार उन उच्च जोखिम वाली गर्भवती का भी रहा है, जिनका सुरक्षित प्रसव आयुष्मान भारत के तहत मुफ्त कराया गया है। इसी तरह से शिशु मृत्यु दर में भी चार अंक की गिरावट दर्ज की गयी है, इसमें 17 हजार उन शिशुओं की भी बड़ी भूमिका है, जिनका इलाज आयुष्मान भारत के तहत मुफ्त कराया गया।बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशान के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेन्द्र खंडैत ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की प्राथमिकता को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिल रही है। हाल ही में दिल्ली में आयोजित आरोग्य मंथन कार्यक्रम में आयुष्मान उत्कृष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

स्वास्थ्य अमृत जन सम्मान से नवाजा –

इस मौके पर 12 कैंसर सर्वाइवर को फलों की टोकरी और शाल देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा योजना के तहत लाभार्थियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने वाले पांच सरकारी अस्पतालों- केजीएमयू, जिला अस्पताल बांदा और अमरोहा, वाराणसी के सीएचसी हाथी बाजार और एफआरयू चोलापुर को सम्मानित किया गया। इसके अलावा पांच निजी चिकित्सालयों को भी सम्मानित किया गया। साचीज के पांच उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिनिधियों को भी सम्मानित किया गया।

काफी टेबल बुक का विमोचन –

आयुष्मान भारत योजना के चार साल के सफ़र की उपलब्धियों पर एक्सेस हेल्थ और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से प्रकाशित काफी टेबल बुक का विमोचन प्रमुख सचिव व अन्य ने किया। इसमें प्रदेश के सभी जिलों के योजना के लाभार्थियों की कहानी को शामिल किया गया है। इसके अलावा एवैल्युएशन रिपोर्ट का भी विमोचन किया गया।

83 प्रतिशत लोगों को है योजना की जानकारी –

इंस्टीटयूट ऑफ़ रूरल मैनेजमेंट आनन्द के डायरेक्टर डॉ. उमाकांत दास ने योजना के चार साल के सर्वे के आधार पर बताया कि प्रदेश के 83 प्रतिशत लोगों को आयुष्मान भारत योजना की अच्छी जानकारी है और 67 प्रतिशत लोग योजना के तहत मिल रहीं सुविधाओं से पूरी तरह संतुष्ट हैं। इस मौके पर दो तकनीकी सत्र भी हुए। पहले सत्र का संचालन एक्सेस हेल्थ की प्रोग्राम डायरेक्टर हिमानी सेठी ने किया। परिचर्चा के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के हास्पिटल नेटवर्क एंड हास्पिटल मैनेजमेंट की एक्जेक्युटिव डायरेक्टर डॉ. सुधा चंद्रशेखर ने कहा कि टर्शियरी केयर के लिए अब निजी अस्पताल आंशिक तौर पर भी जुड़ सकेंगे। इसके अलावा अस्पतालों के भुगतान में आ रहीं दिक्कतों को दूर करने के लिए हाटलाइन नंबर 14471 जारी किया गया है। इस नंबर पर फोन करने पर निजी अस्पतालों को यथासंभव मदद मिलेगी। परिचर्चा में कार्किन्स हेल्थ केयर के फाइनेंशियल एन्क्ल्यूजन एंड इंश्योरेंस की हेड गोमाठी वेंकटचलम और बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशान के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेन्द्र खंडैत शामिल रहे। दूसरे तकनीकी सत्र का संचालन एसजीपीजीआई के सीएमएस व एंडोक्राइनोलाजी एंड ब्रेस्ट सर्जरी के प्रोफ़ेसर डॉ. गौरव अग्रवाल ने किया। परिचर्चा में केजीएमयू के एंडोक्राइन एंड ब्रेस्ट डिजीज के प्रोफ़ेसर एंड हेड डॉ. आनंद मिश्रा, हनुमान प्रसाद पोद्दार हास्पिटल गोरखपुर की सीनियर रेडिएशन आंकोलाजिस्ट डॉ. पूनम गुप्ता और स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट मेडिकल आंकोलाजी सवाई मान सिंह कालेज जयपुर के मेडिकल सुपरिंडेंट डॉ. संजीव जासूजा शामिल रहे। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के हेल्थ पालिसी एंड क्वालिटी एश्योरेंस के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर डॉ. शंकर प्रिन्जा ने भी आगामी योजनाओं पर प्रकाश डाला। इस मौके पर विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे ।

आयुष्मान भारत की चार साल की उपलब्धियां –

आयुष्मान कार्ड बने- 2.16 करोड़
आधार के साथ सत्यापित लाभार्थी- 92.1%
आबद्ध चिकित्सालय – सरकारी – 1111
आबद्ध चिकित्सालय – प्राइवेट – 2045
जिनको मिला मुफ्त इलाज – 15.18 लाख
इलाज पर किया गया भुगतान- 1743.3 करोड़
कुल दावों का निस्तारण- 91%
टर्शरी केयर ट्रीटमेंट पर 736.16 करोड़ का भुगतान
(कैंसर- 221 करोड़, यूरोलाजी-87 करोड़, हृदय रोग-177 करोड़)
अन्य राज्यों में यूपी के लाभर्थियों के इलाज पर भुगतान- 296 करोड़