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एक दौर में भारतीय राजनीति में प्रभुत्व रखने वाली कांग्रेस पार्टी इस समय भारत के 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से सिर्फ़ तीन राज्यों में सरकार चला रही है। यह तीन राज्य छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश हैं, जहाँ कांग्रेस को बहुमत हासिल है। वहीं तमिलनाडु,बिहार और झारखंड में वह क्षेत्रीय दलों के साथ सत्ता में है। रणनीतिक और ज़मीनी सच्चाई के रूप में भी धार्मिकता और राजनीति का मेल कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक फ़ायदे की गारंटी नहीं देता है। ऐसे में इस पार्टी को ध्रुवीकरण की राजनीति से इतर ऐसा राजनीतिक विकल्प तैयार करना होगा जो जोड़ने वाला हो।
भारत जोड़ो यात्रा एक उम्मीद भरी कोशिश…
दिल्ली-उत्तर प्रेदश में मौसम के सबसे सर्द दिन दर्ज हो रहे थे। बेहद घने कोहरे के बीच सरसों के पीले फूल किसी उम्मीद की मानिंद लग रहे थे। सरसों और गन्ने के खेतों से गुज़रती पगडंडी नुमा सड़क पर राहुल गांधी बेहद गर्मजोशी के साथ तेज़ क़दमों से चल रहे थे। सफ़ेद कोहरे की झीनी चादर के बीच में कभी दिखते कभी ओझल हो जाते लहराते हुए तिरंगे देशभक्ति के माहौल में डूबे बेहद दिलकश लग रहे हैं। जोड़ो जोड़ो भारत जोड़ो का नारा गर्माहट पैदा कर रहा था।
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भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी उत्तर प्रेदश हो कश्मीर से कन्याकुमारी सड़क से गुज़र रहे हैं। चारों तरफ़ खेत ही खेत थे और इन खेतों में सरसों फूल रही थी। भारत के गांव की ये एक ख़ूबसूरत तस्वीर थी। शामली के ‘एलम’ गांव से सुबह 6 बजे निकले राहुल गांधी का अगला पड़ाव ‘ऊंचागांव’ था। इतनी सर्द सुबह होने के बावजूद सड़क पर उतरे किसी नेता के पीछे ऐसा हुजूम पिछली बार कब देखा था याद नहीं आ रहा था। गर्म चादर में लिपटे ज़्यादातर किसान राहुल गांधी की एक झलक के लिए बेताब दिखाई दिए।
सुरक्षा के भारी बंदोबस्त के बीच राहुल की एक झलक भी मिलना मुश्किल लग रही थी इसलिए राह में पड़ने वाली किसी भी इमारत पर लोगों को जहाँ जगह मिली चढ़े दिखाई दे रहे थे।राहुल और भारत जोड़ों यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था की गई थी। ये शिविर अपने आप में ही कमाल की जगह दिखाई दी यहाँ यात्रा में पहले ही दिन 7 सितंबर 2022 से जुड़े केरल के यात्रियों से लेकर दिल्ली, मेरठ, बिहार, झारखंड के यात्री थे। कुल मिलाकर एक छोटे से कैंप में बसा ये एक भारत दिख लग रहा था।
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कांग्रेसी नेता ललन कुमार ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा आज पूरे भारत में नफरत फैला रही पार्टी के खिलाफ भारतीय नागरिकों को जागरूक करना ही है। हमारा मकसद कोई राजनीतिक लाभ लेना नहीं है बल्कि भारत में सामाजिक सद्भाव बनाने की यात्रा है। भारत में जो भी राज्य छोटे हैं उसके लिए कांग्रेस पार्टी एक अलग से यात्रा निकालेगी जिससे पूरा भारत होगा।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश और कुछ और कांग्रेस नेता अपनी बातों में मशग़ूल दिखाई दिए। जयराम रमेश से निष्पक्ष दस्तक संवाददाता ने भारत जोड़ो यात्रा से जुड़े कुछ सवाल पूछे एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ये एक लंबी चलने वाली जंग है ये एक लंबा चलने वाला आंदोलन है, हमने शुरुआत कर दी है। पहली बार कांग्रेस पार्टी विचारधारा की लड़ाई में उतरी है अभी तक हम चुनाव लड़ रहे हैं और हमने राजनीति को अब तक चुनावी चश्मे से देखा है। लेकिन ये चश्मा सिर्फ़ चुनाव देखने के लिए नहीं है। हमें विचारधारा को भी देखना है।
आज देश में दो विचारधाराओं के बीच टक्कर है, एक RSS+ BJP की विचारधारा है और एक कांग्रेस की विचारधारा है। इसमें पांच, दस साल लगेंगे लेकिन इसमें हमें कूद पड़ना है।विचारधाराओं की इस जंग में अब तो उस विचारधारा के लिए लोग भी राहुल गांधी की यात्रा की तारीफ़ कर रहे हैं जिन पर राहुल गाधी अक्सर निशाना साधते रहते हैं। इसपर मुस्कुराते हुए जयराम रमेश का जवाब था व्यक्तिगत तौर पर की गई तारीफ़ का हम भी स्वागत करते हैं लेकिन हमारी और उनकी विचारधारा में ज़मीन आसमान का अंतर है। हो सकता है कुछ लोगों ने भारत जोड़ो यात्रा की तारीफ़ की हो लेकिन मैं नहीं समझता कि RSS के सिद्धांत बदले हैं भारत जोड़ों यात्रा के बाद।
भारत जोड़ो यात्रा में निष्पक्ष दस्तक संवाददाता कि मुलाक़ात एक नासा वैज्ञानिक सुनीति से हुई जो राहुल गांधी से बेहद प्रभावित दिखीं। सुनीति कुछ दिनों के लिए मुंबई अपनी माँ के पास आई थीं लेकिन उन चंद दिनों में से एक दिन उन्होंने किसी तरह निकाल और मुंबई से अकेले ही निकल पड़ीं इस यात्रा में शामिल होने के लिए। वो यात्रा में शामिल तो हो गई लेकिन वापस दिल्ली लौटने के लिए काफी रात हो चुकी थी। ऐसे में सुनीति की मुलाक़ात एक भारत जोड़ो यात्री से हो गई और हालात कुछ ऐसे बने की राहुल गांधी से भी उनकी मुलाक़ात हो गई। वो राहुल गांधी से बेहद प्रभावित दिखीं।
सुनीति राहुल के नफ़रत के ख़िलाफ़ मोहब्बत के पैगाम से इतनी मुतासिर थीं कि उन्होंने कहा कि वो इस यात्रा में राहुल गांधी के लिए नहीं बल्कि ख़ुद के लिए शामिल हुई हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि वो इस यात्रा में इसलिए शामिल हुई हैं ताक़ि वो आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्यारे भारत को छोड़ कर जाने की कोशिश में शामिल हो सकें।
कांग्रेस नेत्री प्रियंका गुप्ता ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा कश्मीर से कन्याकुमारी की यात्रा थी जिसमें हम से भारत के लोगों को जोड़ रहे हैं। हमारा मकसद नफरत फैलाने वालों के खिलाफ एकता को फैलाना है। वह अलग बात है कि भारत जोड़ो यात्रा में भारत के कई राज्य नहीं आए हैं उनके लिए हमारी एक यात्रा अलग से निकाली जाएगी। जिसकी सूचना बहुत जल्द आएगी। भारत में यात्रा का मकसद कोई राजनीतिक लाभ लेना नहीं है बल्कि इसका इसका मकसद सिर्फ लोगों को जन जागरूक बनाना है।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में कोई नंगे पैर चल रहा है तो कोई राहुल गांधी की ही तरह कम कपड़ों में जब मैंने पूछा आप ऐसा क्यों कर रहे हैं तो जवाब मिला हम भी उस एहसास को महसूस करना चाहते हैं। इस यात्रा में महिलाओं का एक ऐसा ग्रुप मिला जो अपने बच्चों, घर को छोड़कर इस यात्रा में पहले दिन से जुड़ी हैं। जब उनसे पूछा गया कि परेशानी नहीं हो रहीं?
तो बहुत ही प्यारा जवाब मिला महिलाओं का तो दूसरा नाम ही संघर्ष है। भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए लोगों की बहुत सी कहानियां हैं। हाड़ कपा देने वाली इस सर्दी में कई उम्रदराज लोग भी दिखे मैंने पूछा परेशानी नहीं हो रही तो जवाब था कि कल को आने वाली पीढ़ी जब पूछेगी कि आपने हमारे लिए क्या किया तो हमारा जवाब होगा कि हम कम से कम भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए।
कांग्रेस इस समय जिस संकट का सामना कर रही है, उसकी वजह पार्टी की ओर से हिंदू राष्ट्रवाद का प्रभावशाली ढंग से सामना करने में विफल रहना है। यही नहीं इसके लिए धार्मिक और जातीय ध्रुवीकरण के चलते सिकुड़ते मध्य मार्ग के साथ-साथ व्यक्तिगत और सांगठनिक असफलताएं भी ज़िम्मेदार हैं।भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस महंगाई, बेरोज़गारी और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण जैसे मुद्दे उठाकर न सिर्फ़ अपनी खोई राजनीतिक ताक़त फिर से हासिल करना चाहती है, बल्कि वह राहुल गांधी को एक जननेता के रूप में भी स्थापित करना चाहती है।
उत्तर प्रदेश के सियासी जानकारों का कहना है कि 2009 के बाद कांग्रेस पार्टी अपने सबसे बुरे दौर में चल रही है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर पार्टी अपने 2009 के प्रदर्शन को ही आधार मान ले तो 2024 में कांग्रेस पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश में बहुत कुछ आसान हो सकता है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का महज कुछ जिलों से होकर गुजर जाना असरकारी नहीं होगा। पार्टी अगर 2009 के प्रदर्शन को ही आगे बढ़ाना चाहती है तो उसके लिए बड़ी रणनीति और महत्वपूर्ण भूमिका वाले नेताओं को उत्तर प्रदेश की राजनैतिक जमीन पर तो उतरना ही होगा।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता से बाहर हुए तकरीबन तीन दशक से ज्यादा का वक्त हो गया। इस दौरान पार्टी तमाम उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन जब पूरे देश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा गुजर रही है तो उसमें तीन दशक से सत्ता के सूखे गलियारे में महज तीन दिन की राहुल गांधी की यह यात्रा कितना खाद पानी डाल पाएगी। इसको लेकर सियासी चर्चाएं हो रही हैं।
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