UPTET पेपर लीक में भाजपा सरकार की साजिश-आराधना मिश्रा मोना

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  • UPTET पेपर लीक में भाजपा सरकार की साजिश उजागर, मुख्यमंत्री जी बुलडोजर कहाँ है।
  • UPTET पेपर लीक के जिम्मेदार विभागिय मंत्री, शासन के अधिकारियों और पेपर लीक की हो न्यायिक जाँच।
  • नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली भाजपा को सत्ता से बाहर कर सबक सिखाएंगे प्रदेश के युवा।
अंशू अवस्थी

लखनऊ। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि यूपीटीईटी पेपर लीक कांड सीधे बीजेपी सरकार के संरक्षण में हुआ जिसकी वजह से 20 लाख नौजवानों के भविष्य में अंधकार छा गया है। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता आराधना मिश्रा मोना ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर UPTET पेपर लीक कांड के मुख्य आरोपी राय अनूप प्रसाद और बीजेपी के रिश्तों को लेकर सवाल किया। उन्होंने कहा कि आरोपी बिहार में बीजेपी के विधायक का भाई और मुख्यमंत्री योगी के गृह जिले गोरखपुर का है। उसने सरकार के संरक्षण में इस घोटाले को अंजाम दिया। उन्होंने सवाल किया कि बात-बात पर बुलडोजर चलवाने की धमकी देने वाले मुख्यमंत्री योगी बतायें कि परीक्षा पेपर लीक कराने वालों के घर पर बुलडोजर कब चलेगा।

अराधाना मिश्रा ने कहा कि 70 लाख नौजवानों को रोजगार देने का वादा करके सत्ता में आयी सरकार आज खुद ही 4 लाख 30 हज़ार रोजगार देने की बात मान रही है। भाजपा सरकार ने विदाई के वक्त एक बार फिर नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। एसटीएफ ने प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा पेपरलीक कांड के मास्टरमाइंड के रूप में गोरखपुर निवासी जिस राय अनूप प्रसाद को गिरफ्तार किया है उसने अपने प्रभाव का दुरूपयोग करते हुए सीधे परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय कुमार उपाध्याय से पेपर आउट करने की डील की। अनूप प्रसाद की कंपनी आरएसएम फिनसर्व लिमिटेड न मानकों पर खरी थी और न उसके पास इसका अनुभव ही था। हालत ये है कि इस कंपनी के दिल्ली स्थित बदरपुर के पते पर एक बीयर गोदाम पाया गया है।

लेकिन अनूप प्रसाद बिहार के नरकटियागंज क्षेत्र की बीजेपी विधायक रश्मि वर्मा का भाई है जिसकी वजह  से सरकार उस पर मेहरबान थी। यही वजह है कि परीक्षा एजेंसी द्वारा चयन में मौके का स्थलीय निरीक्षण भी नहीं किया गया। सभी नियम और शर्तों को ताक पर रखकर परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय उपाध्याय ने अनूप प्रसाद की कंपनी को बिना कोई गोपनीय जांच कराए और निरीक्षण के बिना वर्क आर्डर दिया। ऐसे में प्रदेश के नौजवान पूछ रहे हैं की किसके कहने पर परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय उपाध्याय ने एजेंसी चयन के मानकों का उल्लंघन किया। सारी कड़ियां जिस तरीके से जुड़ रही हैं उससे स्पष्ट है कि गोरखपुर का निवासी होने और बीजेपी विधायक का भाई होने का अनूप प्रसाद को लाभ मिला।

आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि सत्ता के गलियारों में उसकी पैठ के कारण ही उसे प्रश्नपत्र छापने की जिम्मेदारी दी गयी। यूपी की बीजेपी सरकार 20 लाख नौजवानों /परीक्षार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ करने की अपराधी है। पेपर लीक कांड अपराधियों और योगी सरकार के गठजोड़ का ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ जी बार-बार बुलडोजर चलाने की बात करते रहे और पेपर लीक होते चले गए आखिर राय अनूप प्रसाद और संजय उपाध्याय जैसे लोगों के घरों पर बुलडोजर कब चलेगा ?

उन्होंने कहा कि नौजवानों से झूठे वादा कर सत्ता में आने वाली भाजपा सरकार ने पहली बार बेरोज़गारों के साथ छल नहीं किया है। इसके पहले दर्जनों बार परीक्षा के पेपर लीक हुए हैं।2019 में भाजपा सरकार बनते ही नकल माफिया हावी हो गए और पेपर लीक अभियान शुरू हो गया सबसे पहले अगस्त 2017 रू सब इंस्पेक्टर पेपर लीक हुआ, उसके पश्चात फरवरी 2018 UPPCL पेपर लीक, अप्रैल 2018 UP पुलिस का पेपर लीक , जुलाई 2018 अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड का पेपर लीक, अगस्त 2018 स्वास्थ्य विभाग प्रोन्नत पेपर में भ्रष्टाचार, सितंबर 2018 नलकूप  आपरेटर पेपर लीक, 41520 सिपाही भर्ती पेपर लीक कांड हुआ।

आराधना मिश्रा मोना ने कहा पेपर लीक का ये सिलसिला लगातार बढ़ता गया और मुख्यमंत्री जी सिर्फ भाषणों में लीकेज रोकने की बात करते रहे। जुलाई 2020 में 69000 शिक्षक भर्ती पेपर लीक, अगस्त 2021 बीएड प्रवेश परीक्षा पेपर लीक, अगस्त 2021 PET पेपर लीक, अक्टूबर 2021 सहायता प्राप्त स्कूल शिक्षक/प्रधानाचार्य पेपर लीक, अगस्त 2021 UP TGT पेपर लीक,  NEET पेपर लीक, NDA पेपर लीक,SSC पेपर लीक इसका उदाहरण है। अब भाजपा सरकार की विदाई के समय भी UPTET पेपर लीक हो गया उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ परीक्षा की तैयारी करने वाले नौजवानों को नहीं, नकल माफियाओं को रोजगार दे रहे हैं। वादा था 70 लाख रोजगार देकर No1 बनाने का लेकिन बना दिया पेपर लीक कराने में उत्तर प्रदेश को No1 बना दिया।  कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले जिम्मेदार जिन बड़ी मछलियां को बचाया जा रहा है उनकी गिरफ्तारी हो। ऐसे में विभागीय मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों को अपने पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। यदि मुख्यमंत्री जी वास्तव में नौजवानों के हितैषी हैं तो विभागीय मंत्री और शासन स्तर के अधिकारियों को बर्खास्त करें वह इस घटना की न्यायिक जांच हो जिससे जो संगठित अपराध का सच है वह बाहर आ सके।