डिप्रेशन का घरेलू इलाज

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डिप्रेशन का घरेलू इलाज
डिप्रेशन का घरेलू इलाज

आज के समय में लोगों की जिंदगी एक मशीन की तरह हो गई है, जो हर समय काम में लगी रहती है। कभी सोचा है यह व्यस्तता हमें कहां ले जा रही है? डिप्रेशन यानी अवसाद की ओर। इस समय हर दूसरा व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो रखा है। जिसकी वजह से इसका असर उसकी सेहत पर देखने को मिल रहा है। डिप्रेशन के कारण इंसान की सोचने और समझने की क्षमता प्रभावित होती है। जानते हैं डिप्रेशन का घरेलू इलाज क्या है।

डिप्रेशन का घरेलू इलाज-

व्यायाम करें- हर किसी को अपनी सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए अच्छा खानपान और व्यायाम जरूरी है। व्यायाम डिप्रेशन को दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है। जब हम व्यायाम करते हैं तब सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं, जो दिमाग़ को स्थिर करते हैं। डिप्रेशन को बढ़ाने वाले विचार आने कम होते हैं।

अच्छी नींद लें- एक अच्छी और पूरी रात की नींद हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है। जो लोग रोज़ाना 7 से 8 घंटे की नींद नहीं लेते तो उन लोगों में डिप्रेशन का खतरा अधिक होता है। इसलिए व्यस्तता के बावजूद अपनी नींद से समझौता न करें।

म्यूज़िक सुनें- जब लोग डिप्रेशन में होते हैं तो उन्हें संगीत सुनकर अच्छा लगता है। जब भी व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हों तो उसे अपना पसंदीदा गाना सुनना चाहिए। संगीत में मूड बदलने, मन को अवसाद से निकालने की अदभुत शक्ति होती है

सोशल एंजाइटी सामाजिक चिंता/घबराहट

उदाहरण- संजय 45 वर्षीय शॉप ओनर, उनका परिवार ही उनके लिए सब कुछ था. पुश्तैनी जमी जमाई दुकान थी, स्टाफ था। वहां उन्हें केवल सुपरवाइज ही करना होता था।

अजय एक परेशानी को सालों से लिए घूम रहे थे – लोगों से मिलने-जुलने में घबराहट. पार्टी हो, शादी समारोह या फिर रिश्तेदारों का मिलना जुलना, हर जगह अजय को घबराहट होने लगती. उन्हें लगता मानो वहां मौजूद हर शख्स उन्हें ही देख रहा है, उनके बारे में ही बातें कर रहा है. ये सोचते ही उनके हाथ-पांव ठंडे पड़ जाते, घबराहट से पसीना छूटने लगता.
इस वजह से अजय ने खुद को सामाजिक मेलजोल से दूर कर लिया. दुकान पर तो उन्हें काम करना ही पड़ता था, पर वहां भी वो सिर्फ जरूरी बात ही करते. बाकी समय वो दुकान के पीछे बने छोटे से ऑफिस में छिपे रहते…..

एक दिन संजय की बेटी, प्रिया ने उनसे पूछा, “पापा, आप कभी किसी को घर पर खाने पर नहीं बुलाते. क्यों?”

संजय की घबराहट फिर से शुरू हो गयी. प्रिया को ये सब बताना उनके लिए मुश्किल था. पर उन्होंने हिम्मत जुटाकर बताया, “बेटिया, मुझे लोगों से मिलने में घबराहट होती है.”

प्रिया को ये अंदाजा पहले से ही था, क्योंकि ये समस्या कुछ हद तक प्रिया को भी थी, जिसकी वजह से उसे कॉलेज में परफॉर्म करने में दिक्कत हो रही थी, तब प्रिया ने खुद होकर

मनोचिकित्सक से अपना इलाज करवाया था और अब वो बहुत अच्छा परफॉर्म कर रही थी. प्रिया ने अपने पिताजी को समझाया कि ये परेशानी कई लोगों को होती है और इसका इलाज भी है. संजय,प्रिया की बातों से सहमत हुए. उन्होंने उसी मनोचिकित्सक से सलाह ली जिसने प्रिया को ठीक किया था. मनोचिकित्सक ने दवाइयां दीं साथ ही कुछ थेरेपी सेशन भी दिए. धीरे-धीरे अजय अपनी घबराहट पर काबू पाने लगे. इसका बेहद शानदार परिणाम उन्हे अपने बिजनेस को बढ़ाने में भी मिला. कुछ समय बाद, संजय ने प्रिया के जन्मदिन पर पूरे परिवार और रिश्तेदारों को घर बुलाया. पार्टी तो अच्छी रही, लेकिन सबसे बड़ी खुशी उन्हें ये देखकर हुई कि प्रिया उन पर गर्व से मुस्कुरा रही थी.

क्या आपको भी लोगों से मिलने में घबराहट होती है? ये हो सकती है सामाजिक चिंता (Social Anxiety). क्या कभी आप पार्टी में जाने से कतराते हैं? या लोगों के सामने बोलने में घबराते हैं? अगर हां, तो हो सकता है कि आप सामाजिक चिंता (Social Anxiety) से जूझ रहे हों. सामाजिक चिंता एक तरह की मानसिक परेशानी है, जिसमें व्यक्ति को लोगों से मिलने-जुलने या किसी भी सामाजिक स्थिति में जाने में बहुत ज्यादा डर लगता है. ये डर इतना तेज होता है कि इससे व्यक्ति की रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित हो सकती है…

आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि सामाजिक चिंता क्या है और इसके क्या लक्षण हैं.

♦️सामाजिक चिंता के लक्षण♦️ (Lakshan)

♦️लोगों से मिलने-जुलने में घबराहट और डर.

♦️सोशल सेटिंग में काम को करने का डर, जैसे कि पब्लिक स्पीकिंग या रेस्टोरेंट में खाना खाना आदि.

♦️ये सोचते रहना कि लोग आपको जज कर रहे हैं.

♦️किसी सामाजिक स्थिति में जाने से पहले ही पसीना आना, घबराहट होना या दिल तेजी से धड़कना.

♦️शरमाना या घबराहट के कारण दूसरों से बातचीत करने में परेशानी आदि.

♦️सामाजिक चिंता को कैसे हराएं.

♦️अगर आपको लगता है कि आप सामाजिक चिंता से ग्रस्त हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है. आप इससे निजात पा सकते हैं.
मनोचिकित्सक से सलाह लें. वे आपकी परेशानी को समझ कर इलाज का सही तरीका बताएंगे.
इसके इलाज में कुछ साइकेट्रिक दवाएं बेहद मददगार होती हैं जो कि मस्तिष्क में रसायनों का संतुलन ठीक करके आपको सामाजिक स्थितियों में शांत रहने में मदद करती हैं, आपका डर भगाती हैं।

♦️साथ ही ग्रेडेड एक्सपोजर थेरेपी के सेशन में आपको धीरे-धीरे सामाजिक परिस्थितियों का सामना करना सिखाया जाता है.
सकारात्मक सोच रखें और अपने आप को मोटिवेट करें.
याद रखें कि सामाजिक चिंता एक आम समस्या है. थोड़े से प्रयास तथा मनोचिकित्सक के सहयोग से आप इसे दूर कर सकते हैं और एक खुशहाल जिंदगी जी सकते हैं. जिसमे आप अपने पूरे पोटेंशियल को उपयोग करके सफलता की सीढियां चढ़ सकेंगे.

डिप्रेशन के घरेलू इलाज और उपाय
सूरज की रोशनी लें– दिन में कम से कम 15–30 मिनट धूप में बैठना सेरोटोनिन हार्मोन बढ़ाता है जो मूड को बेहतर बनाता है।
योग और प्राणायाम– अनुलोम विलोम, भ्रामरी, और सूर्य नमस्कार जैसे अभ्यास मानसिक तनाव को कम करते हैं। योग शरीर में डोपामिन और एंडोर्फिन (खुशी के हार्मोन) का स्तर बढ़ाता है।
संतुलित और पौष्टिक आहार– फोलिक एसिड, ओमेगा-3 फैटी एसिड, और विटामिन D युक्त आहार मनोस्थिति को बेहतर करते हैं। जैसे: मेवे, फल, हरी सब्ज़ियाँ, अलसी के बीज, दही आदि।
अच्छी नींद लेना – रोज़ाना 6–8 घंटे की गहरी नींद बहुत जरूरी है। नींद की कमी से डिप्रेशन और ज्यादा गहरा हो सकता है।
डिजिटल डिटॉक्स– सोशल मीडिया और मोबाइल का अत्यधिक उपयोग मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। दिन में कुछ घंटे मोबाइल/टीवी से दूरी रखें। रोज़ अपने विचारों और भावनाओं को डायरी में लिखना मानसिक बोझ को हल्का करता है। यह आत्मनिरीक्षण और भावनात्मक स्पष्टता लाता है।
अपनों से बात करें– डिप्रेशन में अकेले न रहें। परिवार, मित्रों या किसी विश्वासपात्र से खुलकर बात करें।
आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय– अश्वगंधा, ब्राह्मी, जटामांसी जैसी जड़ी-बूटियाँ तनाव कम करने में सहायक मानी जाती हैं (डॉक्टर की सलाह से लें)। हल्दी वाला दूध और तुलसी की चाय भी आरामदायक हो सकते हैं।