आशा है नववर्ष की,सुखद बने पहचान

129
आशा है नववर्ष की,सुखद बने पहचान
आशा है नववर्ष की,सुखद बने पहचान
प्रियंका सौरभ

खिली-खिली हो जिंदगी, महक उठे अरमान।
आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान॥ आशा है नववर्ष की,सुखद बने पहचान

दर्द दुखों का अंत हो, विपदाएँ हो दूर।
कोई भी न हो कहीं, रोने को मजबूर॥

छेड़ रही है प्यार की, मीठी-मीठी तान।
नए साल के पँख पर, ख़ुशबू भरे उड़ान

बीत गया ये साल तो, देकर सुख-दुःख मीत।
क्या पता? क्या है बुना? नई भोर ने गीत॥

माफ़ करे सब गलतियाँ, होकर मन के मीत।
मिटे सभी की वेदना, जुड़े प्यार की रीत॥

जो खोया वह सोचकर, होना नहीं उदास।
जब तक साँसे हैं मिली, रख खुशियों की आस॥

पिंजड़े के पंछी उड़े, करते हम बस शोक।
जाने वाला जायेगा, कौन सके है रोक॥

पथ के शूलों से डरे, यदि राही के पाँव।
कैसे पहुँचेगा भला, वह प्रियतम के गाँव॥

रुको नहीं चलते रहो, जीवन है संघर्ष।
नीलकंठ होकर जियो, विष तुम पियो सहर्ष॥

दुःख से मत भयभीत हो, रोने की क्या बात।
सदा रात के बाद ही, हँसता नया प्रभात॥

चमकेगा सूरज अभी, भागेगा अँधियार।
चलने से कटता सफ़र, चलना जीवन सार॥

काँटें बदले फूल में, महकेंगें घर-द्वार।
तपकर दुःख की आग में,हमको मिले निखार॥ आशा है नववर्ष की,सुखद बने पहचान