54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में ‘भविष्य की 75 रचनात्मक प्रतिभाएं’ श्रेणी में ‘ओड’ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार प्राप्त हुआ। ‘भविष्य की रचनात्मक प्रतिभाएं’ युवा रचनात्मक प्रतिभाओं के लिए फिल्म निर्माण और कहानी सुनाने में नई संभावनाएं खोजने का रास्ता खोलता है: फिल्म ‘ओड’ के निर्देशक अखिल लोटलीकर। भविष्य की 75 रचनात्मक प्रतिभाएं
दिल्ली। फिल्म ओड के निर्देशक अखिल लोटलीकर ने कहा है कि ’48 घंटों में फिल्म निष्पादन, सिनेमैटोग्राफी और ध्वनि पर निर्णय लेते समय टीम ने जो सामूहिक भावना और जुड़ाव दिखाया है, वह असाधारण है। गोवा के घटते समुद्र तट पर ताज़ा और विचारोत्तेजक लघु फिल्म,’ओड’ ने कल गोवा में 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आयोजित ‘भविष्य की 75 रचनात्मक प्रतिभाएं’ (सीएमओटी) में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार प्राप्त किया है। अखिल लोटलीकर ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय तथा राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) को मंच प्रदान करने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह प्रतियोगिता युवा रचनात्मक प्रतिभाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर फिल्म निर्माण और कहानी सुनाने में नई संभावनाएं खोजने का रास्ता खोलती है। फिल्म के निर्माण के दौरान आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि बाहर तेज धूप में शूटिंग करते समय रोशनी को नियंत्रित करना काफी कठिन साबित हुआ।
समुद्र तटीय रेखाओं को तटीय कटाव से बचाने की एक सुंदर प्रस्तुति में, फिल्म ‘ओड’ हमें मछुआरे मार्सेलिन की यात्रा और संघर्ष के बारे में जानकारी प्रदान करती है, जिसे अपनी नाव को खड़ा करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है क्योंकि समुद्र तटों पर इसके लिए कोई जगह नहीं बची है। इसके कारण वह अपनी नाव शहर के बीच में ले जाता है और शिकायत करता है कि समुद्र तट चोरी हो गया है।निर्णायक मण्डल के सदस्य और शॉर्ट्स टेलीविज़न के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कार्टर पिल्चर ने कहा कि युवा रचनात्मक प्रतिभाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए भविष्य की 75 रचनात्मक प्रतिभाएं (सीएमओटी) जैसा मंच प्रदान करने की अवधारणा अभूतपूर्व है।निर्णायक मण्डल के सदस्य में से एक निर्देशक शूजीत सरकार ने कहा कि सभी फिल्में वास्तव में प्रासंगिक और विचारों से भरपूर हैं और पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय से संबंधित हैं। उन्होंने कहा, ”आप सभी पहले से ही विजेता हैं।”
फिल्म चैलेंज के हिस्से के रूप में, भविष्य की 75 रचनात्मक प्रतिभाएं (सीएमओटी) श्रेणी के प्रतिभागियों को पांच टीमों में विभाजित किया गया, जिन्होंने 48 घंटों में ‘मिशन लाइफ’ विषय पर लघु फिल्में बनाईं। इस दौरान कुल पाँच फ़िल्में बनाई गईं। प्रत्येक टीम में पंद्रह सदस्यों ने शानदार कहानी, संपादन, छायांकन, पोस्ट-प्रोडक्शन आदि के पहलुओं के साथ पर्यावरण के संरक्षण और सुरक्षा पर विचारों से भरपूर विषय पर लघु फिल्म बनाई। इस प्रतियोगिता की कल्पना राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) ने शॉर्ट्स इंटरनेशनल टेलीविज़न के साथ साझेदारी में की है। 19 राज्यों के भविष्य की 75 रचनात्मक प्रतिभाएं (सीएमओटी) प्रतिभागियों ने विश्व सिनेमा की जानीमानी हस्तियों द्वारा आयोजित कार्यशालाओं और मास्टरक्लास सत्रों में भी भाग लिया।
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के मस्तिष्क की परिकल्पना के अनुरूप इस पहल का उद्देश्य फिल्म निर्माण के विभिन्न क्षेत्रों से युवा रचनात्मक प्रतिभाओं को प्रोत्साहित और पोषित करना है। इस पहल का यह तीसरा वर्ष है। इस पहल को वर्ष 2021 में भारत की आजादी के 75वें वर्ष को चिह्नित करने के लिए ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था। भविष्य की 75 रचनात्मक प्रतिभाएं