मेरे वैवाहिक जीवन के 29 वर्ष

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मेरे वैवाहिक जीवन के 29 वर्ष
मेरे वैवाहिक जीवन के 29 वर्ष

जीवन साथी-एक ऐसा व्यक्ति जो हमारे सुख-दुख, खुशी और तकलीफ में हमेशा हमारे साथ रहता है। यह वह रिश्ता है जो जीवन के एक पड़ाव के बाद बनता है, लेकिन पूरी उम्र साथ चलता है। कुछ रिश्ते जन्म के साथ बनते हैं, जैसे माता-पिता, भाई-बहन, जो खून के रिश्ते कहलाते हैं, पर कुछ रिश्ते हम खुद बनाते हैं-दिल से, भरोसे से, साथ से। इन्हीं में से एक है जीवन साथी का रिश्ता। जब एक पुरुष और एक महिला विवाह जैसी सामाजिक परंपरा में बंधते हैं, तो वे न केवल पति-पत्नी बनते हैं, बल्कि एक-दूसरे के सच्चे हमराही, हमसफर और पूरक भी हो जाते हैं। यह रिश्ता सिर्फ वचनों तक सीमित नहीं होता, बल्कि हर दिन, हर मोड़ पर निभाए गए उन अनकहे वादों का नाम है, जो साथ चलने, साथ सहने और साथ मुस्कुराने का एहसास कराते हैं। मेरे वैवाहिक जीवन के 29 वर्ष

जीवन साथी वह होता है, जिसकी आँखों में हमें अपने लिए प्यार झलकता है और जिसकी मुस्कान में सुकून मिलता है। जब उसका हाथ हमारे हाथ में होता है, तो दुनिया की सारी मुश्किलें छोटी लगती हैं। उसका साथ एक मधुर संगीत की तरह होता है, जो हर दिन को खास बना देता है। जीवन का असली जादू तब महसूस होता है जब दो दिल एक-दूसरे की धड़कनों को बिना शब्दों के समझते हैं।

इस जीवन के बाद क्या पता, कौन सी राह पर फिर कहाँ मिले….?
किस रूप में, किस रंग में, जाने कौन से उपवन में, ये फूल खिले….?
मेरा दिल इक दीया, तुम इसकी बाती प्रिये। कहाँ मिलेगा तुम्हें,मुझसा जीवनसाथी प्रिये।
मेरे आराध्य मेरी दुआओं में इतना असर मिले।जब भी मेरी नजर उठे,अंजली का मुस्कुराता चेहरा मिले।

24 अप्रैल 2025 को हमारे वैवाहिक जीवन के 29 वर्ष पूर्ण हुए,इतने वर्ष कैसे बीत गए एहसास ही न हुआ। समय के साथ जीवन में उतार-चढ़ाव आए,पर जीवनसाथी का साथ अमृत बनकर हर कठिनाई को आसान कर गया। इन वर्षों में हमने कई अनुभव, चुनौतियाँ और खुशियाँ साझा कीं, और एक ऐसा मजबूत रिश्ता बनाया जो प्रेम, विश्वास और समझ पर आधारित रहा। 29 वर्ष पहले जब मेरा अंजली से विवाह हुआ, तब हम एक-दूसरे को ठीक से जानते भी नहीं थे। पर पाँच साल बाद जब हम सचमुच मिले, तब जाना कि अंजली कितनी प्यारी, सुसंस्कारी, सेवाभावी और खुशमिज़ाज है। जीवन की तमाम कठिन घड़ियों में उसका मुस्कराकर मेरा साथ देना मेरे लिए संबल बना रहा। हमने हर समस्या को मिलकर हल किया और एक-दूसरे की ताकत बनते गए। शादी के आठ वर्ष बाद हमारे सुपुत्र का जन्म हुआ, और बारहवें वर्ष में दूसरे सुपुत्र के जन्म ने हमारी खुशी को दोगुना कर दिया। हालाँकि मन में हमेशा एक सुपुत्री की चाह रही, फिर भी आज हमारा परिवार राधेय की कृपा से एक-दूसरे के प्रेम में रचा-बसा खुशहाल है। जीवन में प्यार और संघर्ष साथ-साथ चलते हैं, लेकिन अगर साथी सच्चा हो, तो हर चुनौती को मुस्कान में बदला जा सकता है।

24 अप्रैल 1996 से शुरू हुई इस यात्रा ने हर मोड़,हर पड़ाव पर हमें और करीब ला दिया। वो दिन,आज भी दिल में बसा है,जब तुम्हारा हाथ थाम कर,एक नई ज़िंदगी की शुरुआत की थी। कभी हँसी में, कभी आँसुओं में, कभी खामोशी में, तो कभी बातों की बारिश में-हमने साथ जीना सीखा,साथ बढ़ना सीखा।
29 साल बाद भी तुम्हारी आँखों में वही चमक है,और मेरे दिल में वही धड़कन।
अंजली तुम सिर्फ जीवन साथी नहीं,मेरा विश्वास, मेरी प्रेरणा, और मेरा प्यार हो।
हर साल, हर पल तुम्हारे साथ बिताना, मेरे जीवन की सबसे बड़ी सौगात है।
अंजली तुम मेरे जीवन का सबसे अनमोल तोहफा हो। हमेशा साथ रहना, यूँ ही,हर जन्म और जन्मों जन्म सातों जनम…..

जीवन साथी कोई सामान्य इंसान नहीं होता,वह हमारी आत्मा का एक हिस्सा होता है। जब सारी दुनिया हमें न समझे, तब भी वह चुपचाप हमारे पास बैठकर हमारी खामोशी को पढ़ लेता है। आँसुओं में भी मुस्कान ढूँढने की जो ताक़त होती है, वह उसी के प्यार से मिलती है। जीवन साथी का साथ एक ऐसा सहारा होता है, जो टूटे हुए दिल को फिर से जीना सिखा देता है।जीवन साथी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि हमारे जीवन का वह प्रतिबिंब होता है जो हमें हमारे भीतर झाँकने का अवसर देता है। उसका साथ हमें यह समझाता है कि जीवन का उद्देश्य केवल सफलता या साधन नहीं, बल्कि साझा अनुभव और समझ है। वह हमें सिखाता है कि सच्चा रिश्ता आत्मा के स्तर पर जुड़ता है, जहाँ शब्दों की ज़रूरत नहीं होती—सिर्फ मौन में भी संवाद हो जाता है। मेरे वैवाहिक जीवन के 29 वर्ष