पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज अपने बयान में कोरोना संकट काल में नीट और जेईई की परीक्षा कराने के भाजपा की केन्द्र सरकार के निर्णय के विरोध में लखनऊ में राजभवन के सामने प्रदर्शन कर रहे समाजवादी पार्टी के युवा संगठनों के शान्तिपूर्ण अहिंसक प्रदर्शन पर बर्बर लाठीचार्ज की निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। उन्होंने कहा भाजपा की राज्य सरकार का यह कृत्य अलोकतांत्रिक है और असहमति की आवाज को दबाने का संविधान विरोधी कदम है। भाजपा इससे बेनकाब हो गई है।
राजभवन पर सैकड़ों की संख्या में समाजवादी युवा प्रधानमंत्री को राज्यपाल महोदय द्वारा ज्ञापन देने के लिए राजभवन पर एकत्र हुए थे। ज्ञापन में मांग की गई है कि आज के संकट काल में नीट-जेईई परीक्षाएं कराना लाखों की जिन्दगी से खिलवाड़ होगा। ज्ञापन देने गए नौजवानों पर लाठीचार्ज में प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी युवजन सभा अरविन्द गिरि, प्रदेश अध्यक्ष मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड अनीस राजा, तथा प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी लोहिया वाहिनी डाॅ0 राम करन निर्मल को गम्भीर चोटे लगी हैं। प्रदर्शन में मुख्यरूप से सर्व अवनीश यादव, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष इलाहाबाद विश्वविद्यालय, किशन दीक्षित (वाराणसी), प्रदीप शर्मा, तनवीर खान (उन्नाव), राबिन सिंह (सीतापुर), ओम यादव (गोरखपुर), राहुल सिंह (लखनऊ), रिन्कू सिंह (बलिया), सहित अजय यादव, राजेश पाण्डेय ‘बिल्लू‘, शाफे जुबैरी, शोएब खान, मोहम्मद शालिस, सैय्यद इमरान आरिफ, सुल्तान खान, सैय्यद समीर, जुएब कुरैशी, मनोज सिंह, पवन सरोज आदि सैकड़ों नौजवान शामिल थे।
भाजपा सरकार ने शान्तिपूर्ण प्रदर्शन पर अपनी क्रूरता का नंगानाच कर युवाओं की आवाज को कुचलने का काम किया है। पुलिस ने लक्ष्य बनाकर युवा कार्यकर्ताओं पर अमानुषिक लाठीचार्ज किया है। पुलिस निर्दोषों पर लाठी चलाकर शायद अपने को गौरवान्वित महसूस करती है। भाजपा सरकार के लिए पुलिस लाठीचार्ज सुखी होने का क्षण होता है। इस सरकार को यह अन्यायपूर्ण आचरण मंहगा पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नकारात्मक व हठधर्मी बदले की राजनीति करने वाली भाजपा व उसकी सहयोगी पार्टियों के खिलाफ देश में एक नई युवा क्रान्ति जन्म ले रही है।
सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा सत्ता के मद में यह भूल गई कि लोग मजबूरी में ही घर से बाहर निकल रहे हैं। परीक्षा कराकर आप युवाओं को घरों से निकलने को मजबूर कर रहे हैं। कोरोना व बाढ़ में जब बस व ट्रेन बाधित हैं तो बच्चे दूर-दूर से कैसे आएंगे। अखिलेश यादव ने पत्र में लिखा, ऐसा लगता है कि भाजपा यह समझ चुकी है कि बेरोजगारी से जूझ रहा युवा तथा कोरोना व बाढ़ से पीड़ित गरीब, निम्न व मध्य वर्ग अब कभी उसे वोट नहीं देगा। इसी कारण वह देश के युवा व अभिभावकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई कर रही है। हमको तो लगता है कि भाजपा को सिर्फ वोट देने वालों से मतलब है। नकारात्मक, हठधर्मी व बदले की राजनीति करने वाली भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के खिलाफ देश में एक नई युवा क्रांति जन्म ले रही है।
अखिलेश यादव ने परीक्षार्थियों तथा अभिभावकों के समर्थन में तथा परीक्षाओं और भाजपा के खिलाफ खुला पत्र लिखा है और कहा है कि जान के बदले एग्जाम, यह नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कोरोना महामारी का भय और असुविधा के कारण पूरी एकाग्रता से परीक्षा दे पाना सम्भव नहीं होगा। दुविधाग्रस्त स्थिति में नीट और जेईई के प्रतियोगी कैसे परीक्षा दे पाएंगे…..?
कोरोना व बाढ़ में जबकि बस, ट्रेन बाधित है तो बच्चे दूर-दूर से कैसे परीक्षा केन्द्रों पर पहुंचेंगे? गरीब ग्रामीण ही नहीं बल्कि वे मां-बाप भी पैसा कहां से लाएंगे जिनका रोजगार बाढ़ व कोरोना में छिन गया है।
अगर भाजपा गम्भीर हालात में परीक्षा कराने के हठ पर अड़ी है तो उसे परीक्षार्थियों के आने-जाने खाने-पीने व ठहरने का वैसा ही प्रबन्ध करना चाहिए जैसा वे विधायकों की खरीद फरोख्त के समय करती है। भाजपा का यह कथन हास्यास्पद है कि जब दूसरे कामों के लिए लोग घर से निकल रहे है तो वह परीक्षा क्यों नहीं दे सकते…..?
भाजपा सरकार बेरोजगारी से जूझ रहे युवा तथा कोरोना, बाढ़ एवं अर्थव्यवस्था की बदइंतजामी से त्रस्त गरीब, निम्न मध्यम वर्ग युवाओं और अभिभावकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई कर रही है। भाजपाई सत्ता के मद में चूर होकर जनतांत्रिक मान्यताओं एवं अपने संवैधानिक दायित्व का भी निर्वहन नहीं कर रहे है।