पर्यावरण दिवस पर जन्म और पर्यावरण से योगी के सरोकार

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योगी का निर्देश सर्दी में बने बेसहारों का सहारा
योगी का निर्देश सर्दी में बने बेसहारों का सहारा

अमूमन पहले से घोषित किसी खास दिन और किसी के जन्मदिन में संबंध एक संयोग ही होता है। नाथपंथ के मुख्यालय माने जाने वाले गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी एक ऐसा ही संयोग जुड़ा है। 5 जून को, जिस दिन पूरी दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, उसी दिन योगी का जन्मदिन भी पड़ता है। जन्मदिन, विश्व पर्यावरण दिवस और जन, जंगल एवं जल संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इस अवसर को खास बना देती है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया अध्याय लिखने वाले योगी आदित्यनाथ का आज यानी पांच जून को 51वां जन्मदिन है। मुख्यमंत्री बनने से पहले गोरखपुर की गोरक्षपीठ से दीक्षा लेने वाले योगी आदित्यनाथ का राजनीति में समय-समय पर किरदार बदलता रहा। उनकी भूमिका जरूर बदली पर पर्यावरण प्रेम बढ़ता ही रहा। नाथपंथ के मुख्यालय माने जाने वाले गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी एक ऐसा ही संयोग जुड़ा है। 5 जून को, जिस दिन पूरी दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, उसी दिन योगी का जन्मदिन भी पड़ता है। जन्मदिन, विश्व पर्यावरण दिवस और जन, जंगल एवं जल संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इस अवसर को खास बना देती है।

विरासत में मिला है पर्यावरण प्रेम

पर्यावरण से योगी का यह प्रेम पुराना है। संभवतः यह उनको विरासत में मिला है। 5 जून 1972 को उनका जन्म प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर तहसील के पंचुर नामक गांव में हुआ। उनके पिता स्वर्गीय आनंद सिंह विष्ट वन विभाग में रेंजर थे। प्राकृतिक संपदा के लिहाज से समृद्धतम देवभूमि में जन्म और पिता की वन विभाग की सर्विस की वजह से प्रकृति के प्रति उनका लगाव स्वाभाविक है।

गोरखनाथ मंदिर भी प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न

बाद में जब वह गोरखपुर आए और नाथपंथ में दीक्षित होकर गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने, तब भी उनको प्रकृति के लिहाज से एक बेहद सुंदर माहौल मिला। गोरखपुर स्थित करीब 50 एकड़ में विस्तृत गोरखनाथ मंदिर परिसर की लकदक हरियाली, बीच-बीच में खूबसूरत फुलवारी, भीम सरोवर के रूप में खूब सूरत पक्का जलाशय, पॉलीथिन रहित परिसर इस सबका सबूत है।

पीठ के उत्तराधिकारी एवं पीठाधीश्वर के रूप में योगी ने इसे और सवारा

योगी ने पीठ के उत्तराधिकारी एवं बाद में पीठाधीश्वर के रूप में इस परिसर को और सजाया-संवारा। साथ ही जमाने के अनुसार पर्यावरण संरक्षण के लिए नवाचार भी किये। करीब 400 गोवंश वाली देसी गायों की गोशाला में वर्मी कम्पोस्ट की इकाई के अलावा जल संरक्षण (वाटर हार्वेस्टिंग) के लिए बने आधुनिक टैंक (सोख्ता) का निर्माण इसका सबूत है। यही नहीं मुख्यमंत्री बनने के बाद मंदिर में चढ़ावे के फूलों से बनने वाली अगरबत्ती की एक इकाई भी उनकी पहल पर लगी।

मुख्यमंत्री बनने के बाद पद के अनुरूप सरोकार का फलक भी बढ़ा

मुख्यमंत्री बनने के बाद पर्यावरण के प्रति यह प्रेम और प्रतिबद्धता और भी व्यापक रूप में समग्रता में दिखती है। पौधरोपण के साथ वह बार-बार उत्तर प्रदेश पर प्रकृति एवं परमात्मा की असीम अनुकंपा का जिक्र करते हुए विष रहित जैविक खेती की पुरजोर पैरवी करते हैं। पर्यावरण के प्रति उनकी समग्र सोच का नतीजा भी दिखने लगा है। मसलन, यहां के पीलीभीत के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 25 से बढ़कर 65 हो गई। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बाघ के संरक्षण के नाते दुधवा टाइगर रिजर्व को यूएनडीपी (यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेन्ट प्रोगाम) एवं आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फ़ॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर) द्वरा कैट्स पुरस्कार मिला। परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली तितलियों के लिए प्रदेश के तीनों चिड़ियाघरों (शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान गोरखपुर, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान लखनऊ, कानपुर प्राणि उद्यान) में बटरफ्लाई पार्क की स्थापना की गई। पहली बार ईको टूरिज्म बोर्ड का गठन हुआ। ब्रजकालीन सौभरी वन का विकास, जैविक विविधता से भरपूर (इटावा, रायबरेली, हरदोई, उन्नाव, गोंडा, मैनपुरी, आगरा, बिजनौर, संतकबीरनगर) वेट लैंड्स के संरक्षण के उपाय किये गए। प्राकृतिक सफाईकर्मी कहे जाने वाले और लुप्तप्राय हो रहे गिद्धों के संरक्षण के लिए महराजगंज जिले के भारीवैसी में जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र बनाया गया। कुकरैल (लखनऊ) में देश की पहली नाइट सफारी के निर्माण की प्रकिया चल रही है।

पौधरोपण पर खासा जोर


बतौर मुख्यमंत्री योगी के पहले कार्यकाल में प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए हर साल रिकॉर्ड पौधरोपण के क्रम में 135 करोड़ से अधिक पौधरोपण हुआ, इसका नतीजा भी सामने है। स्टेट ऑफ फारेस्ट की रिपोर्ट 2021 के अनुसार उत्तर प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 9.23 फीसद हिस्से में वनावरण है। 2013 में यह 8.82 फीसद था। रिपोर्ट के अनुसार 2019 के दौरान कुल वनावरण एवं वृक्षावरण में 91 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
वर्ष 2030 तक सरकार ने इस रकबे को बढ़ाकर 15 फीसद करने का लक्ष्य रखा है। इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए योगी सरकार 2.0 ने अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा है। पिछले साल 35 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं।

योगी के पुरूषार्थ से UP में बढ़ा निवेश
नए भारत के नए उत्तर प्रदेश के नए शिल्पकार योगी आदित्यनाथ

नए भारत के नए उत्तर प्रदेश के नए शिल्पकार योगी आदित्यनाथ

अपराध और अपराधियों पर जीरो टॉलरेंस, प्रदेश में कानून का राज स्थापित। नो कर्फ्यू नो दंगा-यूपी में सब चंगा। पुलिस आधुनिकीकरण के लिए नियोजित प्रयास।मिशन शक्ति: महिला सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन।प्रदेश को मिली एक्सप्रेस-वे प्रदेश की नई पहचान।

इन्वेस्टर्स की पहली पसंद-उत्तर प्रदेश, 06 वर्ष में दो इन्वेस्टर्स समिट का आयोजित 40 लाख करोड़ का निवेश आया। पारंपरिक उद्यम को मिली वैश्विक पहचान, निर्यात में दोगुने की बढ़ोतरी। 04 एयरपोर्ट से 21 एयरपोर्ट वाले राज्य की ओर अग्रसर, 05 अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट वाला एकमात्र राज्य।

मिशन रोजगार: साढ़े पांच लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी, दो करोड़ से अधिक युवाओं का निजी क्षेत्र में सेवायोजन। केंद्र सरकार की 44 लोककल्याणकारी योजनाओं में प्रथम स्थान पर उत्तर प्रदेश। आस्था का सम्मान- सांस्कृतिक पुनरुथान। कोरोना प्रबंधन का यूपी मॉडल वैश्विक से संस्थाओं द्वारा सराहा गया। बीसी सखी जैसे प्रयास महिला सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन का अनुपम उदाहरण बन कर उभरे।

आकांक्षी विकास खंड योजना, ओडीओपी, विश्वकर्मा श्रम सम्मान जैसी योजनाओं को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया। एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज व एक मंडल-एक विश्वविद्यालय की परिकल्पना पूरी हो रही। विंध्य व बुंदेलखंड क्षेत्र में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में ऑपरेशन कायाकल्प का सफलतापूर्वक प्रयोग।ट्रांसफर-पोस्टिंग के काले धंधे की समाप्ति।

अगले चार साल तक हर साल इतने ही पौधरोपण का लक्ष्य है। इसके लिए अगले पांच साल में 175 करोड़ पौधे लगेंगे। इस वर्ष का लक्ष्य 35 करोड़ पौधरोपण का है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग पौधरोपण से जुड़ें। यह जन आंदोलन बने। नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वटिका, पंचवटी, गंगावन, अमृतवन जैसी योजनाओं के पीछे भी यही मकसद है। योगी की मॉनिटरिंग में पौधरोपण में कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट जोन) के अनुरूप पौधों का चयन किया जाता है। बरगद, पीपल, पाकड़, नीम, बेल, आंवला, आम, कटहल और सहजन जैसे देशज पौधों को वरीयता मिलती है। अलग-अलग जिलों के लिए चिन्हित 29 प्रजाति और 943 विरासत वृक्षों को केंद्र में रखकर पौधरोपण का ये अभियान चलाया जाता है।

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गोरखनाथ मन्दिर परिसर स्थित महायोगी गुरु गोरखनाथ गो सेवा केन्द्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरिशंकरी ( बरगद, पीपल, पाकड़ ) का वृक्षारोपण किया।

मंदिर परिसर में किया हरिशंकरी बरगद, पीपल, पाकड़ का पौधरोपण


विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गोरखनाथ मन्दिर परिसर स्थित महायोगी गुरु गोरखनाथ गो सेवा केन्द्र में योगी आदित्यनाथ ने हरिशंकरी बरगद, पीपल, पाकड़ का पौधरोपण किया।