मुख्यमंत्री ने एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश में वर्षा तथा खरीफ फसल की बुआई की अद्यतन स्थिति के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की एवं आवश्यक निर्देश दिये।इस बार मानसून सामान्य नहीं, राज्य सरकार हर परिस्थिति के लिए तैयार, प्रदेश सरकार सभी किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए संकल्पित।कृषि, सिंचाई, राहत, राजस्व आदि सम्बन्धित विभाग अलर्ट मोड में रहें, प्रत्येक जनपद में कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से किसानों से सतत संवाद बनाये रखें।मौसम वैज्ञानिकों के आकलन के अनुसार अगस्त और सितम्बर में वर्षा की स्थिति सामान्य रहेगी।एक सप्ताह में सभी जिलों में कृषि फसलों की मैपिंग कराकर फसल बुआई का विवरण तैयार करें।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आमतौर पर 15 जून तक बरसात का मौसम प्रारम्भ हो जाता रहा है, जो कि 15 सितम्बर तक जारी रहता है। खेती-किसानी की समृद्धि के लिए यह प्राकृतिक वर्षा अमृत है। इस बार मानसून सामान्य नहीं है। सामान्य वर्षा न होने के कारण खरीफ फसलों की बुआई का कार्य प्रभावित हुआ है। हालांकि 19 जुलाई के बाद हुई बरसात से स्थिति में काफी सुधार हुआ है। खरीफ अभियान 2022-23 के अन्तर्गत 13 जुलाई की अद्यतन स्थिति के अनुसार प्रदेश में 96.03 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के सापेक्ष आज 01 अगस्त तक 81.49 लाख हेक्टेयर की बोआई हो सकी है, जो कि लक्ष्य का 84.8 प्रतिशत ही है। गत वर्ष इसी तिथि तक 91.6 लाख हेक्टेयर भूमि पर बुआई हो चुकी थी। मौसम वैज्ञानिकों के आकलन के अनुसार अगस्त और सितम्बर में वर्षा की स्थिति सामान्य रहेगी। 15 जिले ऐसे हैं, जहां लक्ष्य के सापेक्ष 75 प्रतिशत से कम बुआई हुई है। इनकी परिस्थिति पर सतत नजर रखी जाए। प्राकृतिक वर्षा जल से सिंचाई के साथ-साथ सरकार द्वारा नहरों, नलकूपों के विस्तार से सिंचाई सुविधा को बेहतर बनाया गया है। रामपुर ऐसा जिला है, जहां सामान्य की तुलना में मात्र 18 प्रतिशत बरसात ही हुई लेकिन अब तक यहां 98 प्रतिशत फसल की बुआई हो चुकी है।


राज्य सरकार हर परिस्थिति के लिए तैयार है। कृषि, सिंचाई, राहत, राजस्व आदि सम्बन्धित विभाग अलर्ट मोड में रहें। प्रत्येक जनपद में कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से किसानों से सतत संवाद बनाये रखें। उन्हें सही जानकारी उपलब्ध हो। प्रदेश में बरसात और खरीफ फसल बुआई की अद्यतन स्थिति की रिपोर्ट तत्काल भारत सरकार को भेजी जाए। एक सप्ताह के भीतर सभी जिलों में कृषि फसलों की मैपिंग कराकर फसल बुआई का विवरण तैयार कराया जाए।

इस वर्ष 31 जुलाई तक प्रदेश में कुल 191.8 मिलीमीटर वर्षा हुई है, जो कि वर्ष 2021 में हुई 353.65 मिलीमीटर और वर्ष 2020 में हुई 349.85 मिलीमीटर वर्षा के सापेक्ष कम है। इस बीच एकमात्र आगरा जनपद ऐसा रहा जहां सामान्य (120 प्रतिशत से अधिक) वर्षा हुई। इन परिस्थितियों में सभी किसान भाइयों से संवाद-सम्पर्क बनाए रखा जाए। प्रदेश सरकार सभी किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए संकल्पित है। जरूरत के अनुसार किसानों को हर सम्भव सहायता दी जाएगी, एक भी किसान का नुकसान नहीं होने देंगे।जनपद फिरोजाबाद, एटा, हाथरस, लखीमपुर खीरी, औरैया, चित्रकूट, प्रतापगढ़, वाराणसी और हापुड़ में सामान्य बरसात (80 प्रतिशत से 120 प्रतिशत) और मथुरा, बलरामपुर, ललितपुर, इटावा, भदोही, अम्बेडकरनगर, मुजफ्फरनगर, गाजीपुर, कन्नौज, जालौन, मेरठ, सम्भल, सोनभद्र, लखनऊ, सहारनपुर और मिर्जापुर में सामान्य से कम (60 प्रतिशत से 80 प्रतिशत) वर्षा हुई है। प्रदेश में 30 जनपद ऐसे हैं, जहां सामान्य से 40 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक ही वर्षा दर्ज की गई है। जबकि 19 जनपदों में 40 प्रतिशत से भी कम बरसात हुई है। इन जिलों में खरीफ फसलों की बुआई प्रभावित हुई है। हमें सभी परिस्थितियों के लिए तैयार रहना होगा।कानपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, गोण्डा, मऊ, बहराइच, बस्ती, संतकबीरनगर, गाजियाबाद, कौशाम्बी, बलिया, श्रावस्ती, गौतमबुद्धनगर, शाहजहांपुर, कुशीनगर, जौनपुर, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद और रामपुर जिले में सामान्य की तुलना में मात्र 40 प्रतिशत बरसात हुई है। इन जिलों पर विशेष ध्यान रखा जाए।


मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी पेयजल का अभाव न हो। विन्ध्य और बुन्देलखण्ड में पेयजल की सुचारु आपूर्ति बनी रहे। पेयजल के लिए वन विभाग वन्य जीवों के लिए तथा पशुपालन विभाग पशुओं के पेयजल की व्यवस्था बेहतर बनाये रखंे। बरसात पर निर्भर जलाशयों में जल की उपलब्धता के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। निराश्रित गोवंश के समुचित व्यवस्थापन के लिए राज्य सरकार नियोजित प्रयास कर रही है। वाराणसी में गोबरधन योजना आज गो-पालकों की आय संवर्धन का बेहतरीन माध्यम बन कर उभरा है, इसी प्रकार, बदायूं में गाय के गोबर से पेण्ट बनाने का अभिनव कार्य हो रहा है। हमें निराश्रित गोवंश के प्रबन्धन का मॉडल तैयार करना होगा। प्रदेश के सभी निराश्रित गौ-आश्रय स्थलों की व्यवस्था का भौतिक परीक्षण कराया जाए। ज्वाइण्ट डायरेक्टर/एडिशनल डायरेक्टर स्तर के अधिकारियों को जिलों में भेजा जाए। इसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को उपलब्ध कराएं।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप जैव ईंधन यानी बायोफ्यूल को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। प्रदेश में बायोफ्यूल की इकाई की स्थापना के लिए केन्द्र सरकार से भी सहयोग प्राप्त होगा। ऐसे में बिना विलम्ब प्रदेश का प्रस्ताव भेज दिया जाए।