उम्र के हिसाब से कितना होना चाहिए ब्लड प्रेशर..?

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उम्र के हिसाब से कितना होना चाहिए ब्लड प्रेशर..?
उम्र के हिसाब से कितना होना चाहिए ब्लड प्रेशर..?

उम्र के हिसाब से कितना होना चाहिए आपका ब्लड प्रेशर? जानिये BP कंट्रोल रखने के तरीके

आज के समय में हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) यानी उच्च रक्तचाप एक आम समस्या बन गया है। इसके कारण कम उम्र के लोग भी कई बीमारियों से ग्रसित हो जाती हैं। ब्लड प्रेशर यानी नसों में खून द्वारा डाला गया प्रेशर। इसको दो संख्याओं में मापा जाता है। स्लैश से ऊपर वाले अंकों को सिस्टॉलिक बल्ड प्रेशर यानी हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है। वहीं, निचले हिस्से को डायस्टॉलिक यानी लो ब्लड प्रेशर कहा जाता है।

हमारे शरीर का सामान्‍य ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg माना जाता है। इससे ज्यादा प्रेशर हाई ब्लड प्रेशर होता है। जैसे, 140-159/90-99 mmHg। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन हाई ब्लड प्रेशर को 130/80 या उससे अधिक मानता है। ब्लड प्रेशर की बीमारी इतनी खतरनाक बन चुकी है कि इसे साइलेंट किलर कहा जाने लगा है। क्योंकि यह बीमारी बिना कोई लक्षण दिखाए, धीरे-धीरे आपके अंदर गंभीर बीमारियों को बढ़ावा देने लगता है।

ब्लड प्रेशर किडनी और हृदय से लेकर पूरे शरीर को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। यह जानना भी बेहद जरूरी है कि उम्र के हिसाब से किस व्यक्ति का कितना ब्लड प्रेशर होना चाहिए।

15 से लेकर 18 साल पुरुषो में 117 -77 mmhg महिला में 120 -79 mmhg होता है।

21से 25साल तक पुरुषो में 121 -79 mmhg महिला में 116 -71

26 से 30 साल तक पुरुषो में 120 -77 mmhg महिला में 114 -72 mmhg,

31 साल से 35 तक पुरुषो में 115-77 mmhg महिलाओं में 110 -73

36 साल से 40 तक पुरुषो में 120-76 mmhg महिलाओं में 113-75

41 साल से 45 तक पुरुषो में 116-80mmhg महिलाओं में127-74

46 साल से 50 तक पुरुषो में 120-81 mmhg महिलाओं 1₹124-79

51 साल से 55 तक पुरुषो में 126-80 mmhg महिलाओं में 123 -75

56 साल से 60 साल तक पुरुषो में 130 -80 mmhg महिलाओं में 133 -79

60 से अधिक के लोगो का पुरुषो 144 -77mmhg महिलाओं में 130 -77 mmhg

जीवन में थोड़ा-सा संयम,अनुशासन और सकरात्मकता से ब्ल डप्रेशर पर आसानी से काबू किया जा सकता हैं। इसके लिए आप ये उपाय अपना सकते हैं।

हेल्दी डायट लें और सही लाइफस्टाइल फॉलो करें। भोजन जितना प्राकृतिक वनस्पतियों से युक्त हो उतना ही अच्छा है।

हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को डाइट में खट्टे फलों को शामिल करना चाहिए। खट्टे फलों में उपस्थित विटामिन-सी से ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता हैं। कद्दू के बीज,फलीदार सब्जियों ,ताजे फल को रोजाना अपने भोजन में करें शामिल।

ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए

हाई बीपी- हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) एक सामान्य बीमारी है जिसमें आपकी धमनियों में रक्त का दबाव समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ कर इतना अधिक हो जाता है कि अंततः इसकी वजह से स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं जैसे कि हृदय रोग किडनी फैल,प्रेशर या रक्तचाप दो चीज़ों से निर्धारित होता है – हृदय द्वारा पंप किये गए ब्लड की मात्रा और धमनियों (आर्टरीज) में रक्त प्रवाह के खिलाफ प्रतिरोध (रेजिस्टेंस)। इसलिए आपका हृदय जितना ज्यादा ब्लड पंप करता है और आपकी आर्टरीज जितनी पतली होती हैं, आपका ब्लड प्रेशर उतना ही अधिक होता है।

ब्लड प्रेशर सालों तक बिना किसी लक्षण के बढ़ता रह सकता है। इसलिए इस बीमारी को अक्सर “साइलेंट किलर” कहा जाता है।

सौभाग्य से हाई बीपी, जिसे मेडिकल भाषा में “हाइपरटेंशन” कहते हैं, का आसानी से पता लगाया जा सकता है। और एक बार ब्लड प्रेशर हाई होने का पता लग जाए, तो आप दवा और स्वस्थ जीवन शैली से इसे नियंत्रित कर सकते हैं।

अगर बीपी कंट्रोल न रहे और बहुत समय तक बढ़ा रहे तो इसकी वजह से हार्ट अटैक और स्ट्रोक सहित कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है

ब्लड प्रेशर बढ़ने के क्या लक्षण होते हैं..?

हालांकि ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ जाने पर कुछ लोगों को निम्न लक्षण हो सकते हैं..

नाक से खून बहना
सिर दर्द
सांस लेने में दिक्कत
चक्कर आना
सीने में दर्द
मूत्र में खून आना
जैसा कि ऊपर बताया गया है, आमतौर पर हाई बीपी की वजह से कोई लक्षण नजर नही आते हैं, इसलिए हाई बीपी और इसकी जटिलताओं से बचने के लिए रक्तचाप के स्तर की नियमित रूप से जांच कराना महत्वपूर्ण होता

बीपी बढ़ने के कारण क्या हैं..?

हाई ब्लड प्रेशर को उसके कारणों के आधार पर दो श्रेणियों में बांटा जाता है।

प्राइमरी और सेकेंडरी– प्राइमरी हाइपरटेंशन का कारण अज्ञात है जबकि सेकेंडरी हाइपरटेंशन थाइराइड, स्लीप एपनिया जैसे अन्य बिमारियों की वजह से होता है। खराब जीवनशैली ब्लड प्रेशर बढ़ने का एक महत्वपूर्ण करक है।

1. प्राइमरी हाई ब्लड प्रेशर के कारण– ज्यादातर मामलों में ब्लड प्रेशर बढ़ने का कारण पता नहीं चल पाता है। इसे प्राइमरी हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है। यह समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होता है।

2.सेकेंडरी हाई ब्लड प्रेशर के कारण– कुछ लोगों को हाई बीपी किसी अन्य बीमारी की वजह से हो जाता है। इसे सेकेंडरी हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है। कुछ बीमारियां जिनके कारण सेकेंडरी हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है, इस प्रकार हैं…

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया
गुर्दे की बीमारियां
एड्रेनल ग्लैंड में ट्यूमर
थायरॉयड समस्याएं
कुछ दवाएं, जैसे गर्भनिरोधक गोलियां, जुकाम की दवा, पेन किलर
अवैध दवाएं या ड्रग्स, जैसे कोकीन
ज्यादा शराब पीना या शराब की लत
ब्लड प्रेशर बढ़ने का जोखिम बढ़ाने वाले कारक है

ऐसे कई कारक हैं जो ब्लड प्रेशर बढ़ने के जोखिम को बढ़ा देते हैं। इनमें से कुछ हैं…

बढ़ती उम्र – उम्र बढ़ने के साथ-साथ हाई बीपी होने का जोखिम अधिक होता है।

अनुवांशिकता- अगर आपके परिवार में किसी करीबी सदस्य (माता या पिता) को हाई ब्लड प्रेशर है, तो आपको यह रोग होने की संभावना काफी अधिक हो सकती है

मोटापा- सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में अधिक वजन वाले और मोटापे से ग्रस्त लोगों में बीपी बढ़ने होने की संभावना अधिक होती है।

शारीरिक गतिविधियों की कमी – व्यायाम की कमी के साथ-साथ एक गतिहीन जीवनशैली से भी बीपी बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।

धूम्रपान करना- धूम्रपान करने के कारण रक्त वाहिकाएं संकीर्ण हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप हाई ब्लड प्रेशर होता है।

शराब पीना- जो लोग नियमित रूप से शराब पीते हैं उनको अन्य लोगों की तुलना में सिसटोलिक रक्तचाप अधिक होता है।

ज्यादा नमक खाना- ज़्यादा नमक खाने वालो की तुलना में जहां लोग कम नमक खाते हैं वहाँ रक्तचाप कम होता है।

वसा-युक्त आहार का ज्यादा सेवन- सॅचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट आपके लिए खराब होती है।

मानसिक तनाव– विभिन्न अध्ययनों के अनुसार मानसिक तनाव का रक्तचाप पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

डायबिटीज- डायबिटीज के रोगियों को हाई बीपी होने का जोखिम अधिक होता है, चाहे उन्हें टाइप 1 मधुमेह या टाइप 2 मधुमेह,गर्भावस्था – प्रेगनेंसी में हाई बीपी होने का भी जोखिम

हाई ब्लड प्रेशर की जांच कैसे की जाती है?

हाई बीपी का परीक्षण करना अत्यंत सरल है। यदि आपका बीपी बढ़ा हुआ आता है, तो डॉक्टर एक हफ्ते में कई बार बीपी टेस्ट करने की सलाह देते हैं। केवल एक बार के टेस्ट से हाई बीपी की जांच नहीं की जाती है।

डॉक्टर यह जानना चाहते हैं कि समस्या निरंतर रहती है कि नहीं क्योंकि कई बार पर्यावरण की वजह से भी ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है. इसके आलावा बीपी का स्तर पूरे दिन बदलता रहता है।

यदि आपका बीपी बढ़ा हुआ रहता है, तो डॉक्टर अंतर्निहित बिमारियों का पता करने के लिए और परीक्षण करेंगे। ये परीक्षण निम्न हो सकते हैं…

यूरिन टेस्ट,कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग,ईसीजी


ये परीक्षण डॉक्टर को हाई बीपी के अन्य संभावित कारणों की पहचान करने में मदद करते हैं। हाई बीपी से हमारी धमनियों की दीवारों पर बहुत ज़्यादा तनाव पड़ता है। जिससे हमारी रक्त कोशिकाओं और हमारे शरीर में मौजूद अंगो को नुकसान पहुँचता है। जितना ज़्यादा रक्त चाप होगा, उतना ज़्यादा वह अनियंत्रित रहेगा और उतना ज़्यादा नुकसान होगा।

हाई बीपी होने से निम्नलिखित चीज़ें हो सकती हैं….

दिल का दौरा- हाई बीपी से कोशिकाएं मोटी और सख्त हो जाती हैं, जिसकी वजह से दिल का दौरा या दूसरी जटिलताएं हो जाती हैं।

धमनीविस्फार (एन्यूरिज्म)- हाई बीपी से हमारी कोशिकाएं कमज़ोर और बाहर की तरफ उभर जातीं हैं, जिससे धमनीविस्फार (धमनी की दीवार में अत्यधिक सूजन) बन जाता है। धमनीविस्फार टूटने से यह जान लेवा भी हो सकता है।

हार्ट फेल होना- कोशिकाओं में अधिक दबाव के खिलाफ रक्त पंप करने से, हृदय की मांसपेशियां मोटी हो जाती हैं। अंत में, मोटी मांसपेशियों की जरूरत पूरी करने में हृदय को दिक्कत होगी और वह पर्याप्त खून को पंप नहीं कर पायेगा, जिसकी वजह से हार्ट फेल हो सकता है।

गुर्दे में कमज़ोर और संकुचित- रक्त कोशिकाओं का होना इससे आपके गुर्दे ठीक से काम नहीं कर पाते हैं। आंखों की रक्त कोशिकाओं का कमजोर या संकुचित होना इससे आंखों की रौशनी जा सकती है।

मेटाबोलिक सिंड्रोम– मेटाबोलिक सिंड्रोम शरीर के चयापचय से समन्धित विकारों का समूह होता है। इससे आपको मधुमेह, हृदय रोग और दिल का दौरा जैसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।

मस्तिष्क सम्बंधित समस्याएं– अनियंत्रित हाई बीपी आपके सोचने, याद रखने और सीखने की क्षमता पर असर दाल सकता है। याददाश्त सम्बन्धी समस्याएं हाई बीपी वाले लोगों में आम हैं। उम्र के हिसाब से कितना होना चाहिए ब्लड प्रेशर..?