जालोर के जिसस सरस्वती विद्यालय के 8 में से 6 शिक्षक और 300 में से 150 छात्र दलित वर्ग के हैं, वह छुआछूत की बात नहीं हो सकती। मृतक छात्र इंद्र कुमार से झगडऩे वाला साथी छात्र राजेश कुमार भी सामने आया। विद्यालय के दो संचालकों में से एक जीनगर जाति का है। सरकार ने सरस्वती विद्यालय की मान्यता रद्द की।
एस0 पी0 मित्तल
राजस्थान। राजस्थान के जालोर जिले के सुराणा गांव के एक दलित छात्र इंद्र कुमार (8) की मौत का प्रकरण इन दिनों सुर्खियों में हैं। मृतक छात्र के चाचा का आरोप है कि इंद्र ने विद्यालय के हेडमास्टर छैल सिंह की मटकी से पानी पी लिया था, इसलिए हैड मास्टर ने बुरी तरह मारा, जिससे इलाज के दौरान इंद्र की मौत हो गई। चूंकि मामला जातीय भेदभाव से जुड़ गया इसलिए उस पर राजनीति भी हो रही है। दलित वर्ग से जुड़ी सामाजिक संस्थाएं जिला स्तर पर धरना प्रदर्शन भी कर रही है। इस मामले में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। जातीय भेदभाव से जुड़ा यह माला राष्ट्रीय मीडिया में भी उछल रहा है।
लेकिन इस बीच प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों की प्रमुख संस्थान स्कूल शिक्षा परिवार के प्रदेशाध्यक्ष अनिल शर्मा ने एक वीडियो जारी कर जालोर के सराणा सरस्वती विद्यालय में हेडमास्टर के पानी की मटकी वाली बात को झूठा बताया है। शर्मा ने कहा कि इस प्राइवेट स्कूल के दो संचालकों में से एक जीनगर जाति का है। 8 शिक्षकों में से 6 दलित वर्ग के हैं। इतना ही नहीं 300 छात्रों में से 150 दलित वर्ग के हैं। ऐसे में एक हेडमास्टर जातीय भेदभाव कैसे कर सकता है। स्कूल परिसर में पानी की एक टंकी है, जिससे सभी शिक्षक और विद्यार्थी पानी पीते हैं। अनिल शर्मा ने आरोप लगाया कि कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थों के खातिर झूठे मामले को तूल दे रहे हैं। ऐसे लोगों से समाज को सावधान रहने की जरुरत हे। असल में गत 20 जुलाई को स्कूल के दो छात्र इंद्र कुमार और राजेश कुमार में आपस में झगड़ा हुआ थ। तब हेडमास्टर छैल सिंह ने दोनों को चाटा मारा।
इंद्र कुमार के चाटा कान पर लगा। कान के इलाज के लिए ही उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इलाज के दौरान ही गत 13 अगस्त को अहमदाबाद के अस्पताल में इंद्र कुमार की मौत हो गई। मोत के बाद ही छात्र के चाचा ने मटकी वाली बात को प्रमुखता देते हुए हैड मास्टर छैल सिंह के विरुद्ध पुलिस में एफआईआर दर्ज करवा दी। अनिल शर्मा ने कहा कि जालोर के पुलिस अधीक्षक ने भी प्राथमिक जांच में माना है कि स्कूल में पानी के लिए अलग से कोई मटकी नहीं थी। स्कूल के छात्र भी मटकी होने की बात से इंकार करते है। लेकिन यह सही है कि जब छात्र इंद्र कुमार 22 दिनों तक मौत से संघर्ष कर रहा था, तब किसीने उसकी सुध नहीं ली और अब मौत के बाद राजनीति के आंसू बहाए जा रहे है। मृतक छात्र के घर पर नेताओं का तांता लगा हुआ है।
मान्यता रद्द:-
हेड मास्टर की पिटाई के बाद दलित छात्र की मौत के प्रकरण में राज्य सरकार ने लगातार सख्त रुख अपना रखा है। सीएम गहलोत ने घोषणा की है कि इस मामले को विशेष मानते हुए फास्ट ट्रेक अदालत में सुनवाई करवाई जाएगी। आरोपी हैडमास्टर को गिरफ्तार किया जा चुका है। सरकार ने अब सरस्वती विद्यालय की मान्यता भी रद्द कर दी है। 16 अगस्त को ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने जालोर पहुंच कर मृतक छात्र के परिजन से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद डोटासरा ने कांग्रेस की ओर से पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपए देने की घोषणा की है। वहीं दलित वर्ग से जुड़े विभिन्न संगठन घटना के विरोध में लगातार आंदोलन कर रहे हैं। भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी सक्रिय हो गए हैं। 17 अगस्त को ही भीम आर्मी के चार कार्यकर्ता पानी की टंकी पर चढ़ गए। बाद में समझाइश के बाद कार्यकर्ताओं को नीचे उतारा गया। सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस मामले में दोषी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।