पर्यावरण की सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी

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पर्यावरण की सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी
पर्यावरण की सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी

—– विश्व पर्यावरण दिवस विशेष —-

संदीप सृजन
संदीप सृजन

पर्यावरण वह नींव है जिस पर मानव सभ्यता, प्रकृति और समस्त जीव-जंतुओं का अस्तित्व टिका हुआ है। पर्यावरण का एक और महत्वपूर्ण पहलू है इसका सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्य। भारत में नदियां, जैसे गंगा और यमुना, केवल जल स्रोत नहीं हैं, बल्कि इन्हें पवित्र माना जाता है। पहाड़ और जंगल भी कई समुदायों के लिए पूजनीय हैं। इस प्रकार, पर्यावरण का संरक्षण हमारी सांस्कृतिक विरासत को बचाने का भी एक तरीका है। पर्यावरण की सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी

आज पर्यावरण कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल, और प्राकृतिक गैस) के अत्यधिक उपयोग से कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है। इससे पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है, और मौसम के पैटर्न में बदलाव आ रहा है। भारत में, हिमालय के ग्लेशियरों का पिघलना और तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित नहीं किया गया, तो 2030 तक लाखों लोग जलवायु शरणार्थी बन सकते हैं।

औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों का धुआं, और फसल अवशेषों को जलाना वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। दिल्ली, जो दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है, हर साल सर्दियों में स्मॉग की मोटी चादर से ढक जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वायु प्रदूषण हर साल वैश्विक स्तर पर 70 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु का कारण बनता है। यह फेफड़ों की बीमारियों, हृदय रोग, और कैंसर का कारण बन रहा है।

औद्योगिक कचरा, रासायनिक उर्वरक, और घरेलू अपशिष्ट नदियों, झीलों, और भूजल को दूषित कर रहे हैं। भारत में गंगा और यमुना जैसी नदियां अत्यधिक प्रदूषित हैं। समुद्रों में प्लास्टिक कचरे का जमा होना जलीय जीवन को नष्ट कर रहा है। एक अनुमान के अनुसार, 2050 तक समुद्रों में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक होगा। जंगलों को कृषि, खनन, और शहरीकरण के लिए काटा जा रहा है। भारत में, 1950 के बाद से जंगल क्षेत्र में काफी कमी आई है। वनों की कटाई से न केवल जैव-विविधता पर असर पड़ रहा है, बल्कि कार्बन अवशोषण की प्राकृतिक प्रक्रिया भी बाधित हो रही है। 

मानव गतिविधियों, जैसे शिकार, आवास विनाश, और प्रदूषण, के कारण कई प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं। विश्व प्रकृति निधि (WWF) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1970 के बाद से वैश्विक स्तर पर वन्यजीव आबादी में 68% की कमी आई है। भारत में बाघ, गैंडा, और कई पक्षी प्रजातियां खतरे में हैं। प्लास्टिक कचरे का अनियंत्रित उपयोग और उसका अनुचित निपटान पर्यावरण के लिए एक बड़ी समस्या है। भारत में हर साल लाखों टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, जिसका अधिकांश हिस्सा लैंडफिल या समुद्र में चला जाता है।

पर्यावरण संरक्षण केवल एक नैतिक दायित्व नहीं है, बल्कि यह हमारी उत्तरजीविता का प्रश्न है। यदि हम पर्यावरण की उपेक्षा करते हैं, तो हम अपने भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं। स्वच्छ हवा, पानी, और भोजन के बिना जीवन संभव नहीं है। पर्यावरण का संरक्षण आर्थिक स्थिरता और सामाजिक समानता के लिए भी जरूरी है। उदाहरण के लिए, स्वच्छ ऊर्जा और टिकाऊ कृषि प्रथाएं न केवल पर्यावरण को बचाती हैं, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करती हैं।

पर्यावरण संरक्षण का एक और महत्वपूर्ण पहलू है भविष्य की पीढ़ियों के प्रति हमारी जिम्मेदारी। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने बच्चों और उनके बच्चों के लिए एक स्वस्थ और टिकाऊ दुनिया छोड़ें। इसके लिए हमें अभी से कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के प्रभाव पहले से ही दिखाई दे रहे हैं, और यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।

पर्यावरण की सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी
पर्यावरण की सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी

पर्यावरण संरक्षण की शुरुआत व्यक्तिगत स्तर से होती है। छोटे-छोटे बदलाव हमारे दैनिक जीवन में बड़े परिणाम ला सकते हैं। जैसे बिजली का उपयोग कम करें। अनावश्यक बत्तियां और उपकरण बंद करें। ऊर्जा-कुशल उपकरण जैसे LED बल्ब और सौर ऊर्जा का उपयोग करें। सौर पैनल स्थापित करना एक दीर्घकालिक निवेश हो सकता है। पानी की बर्बादी रोकें। नल बंद करें जब उसका उपयोग न हो। वर्षा जल संचयन जैसी तकनीकों का उपयोग करें। उदाहरण के लिए, घरों में रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करके भूजल स्तर को बढ़ाया जा सकता है। एकल-उपयोग प्लास्टिक (जैसे प्लास्टिक बैग, बोतलें) से बचें। कपड़े के थैले और पुन: उपयोग योग्य बोतलों का उपयोग करें। स्टेनलेस स्टील या कांच की बोतलें एक अच्छा विकल्प हैं। कचरे को अलग करें और पुनर्चक्रण योग्य सामग्री को रीसाइक्लिंग सेंटर में भेजें। पुरानी वस्तुओं को फेंकने के बजाय उनका पुन: उपयोग करें। उदाहरण के लिए, पुराने कपड़ों से बैग बनाए जा सकते हैं। अपने आसपास पेड़ लगाएं। पेड़ न केवल हवा को शुद्ध करते हैं, बल्कि मिट्टी के कटाव को भी रोकते हैं। स्थानीय प्रजातियों के पेड़ लगाना अधिक लाभकारी होता है।

वनों की कटाई पर रोक लगाई जाए और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाए जाएं। संरक्षित क्षेत्रों और राष्ट्रीय उद्यानों की संख्या बढ़ाई जाए। भारत में ‘हरित भारत मिशन’ जैसे कार्यक्रम इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। स्कूलों और कॉलेजों में पर्यावरण शिक्षा को अनिवार्य किया जाए। सामुदायिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं। पर्यावरण संरक्षण पर आधारित कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित किए जाएं।

शहरी नियोजन और विकास में टिकाऊ प्रथाओं को अपनाया जाए। हरित भवनों, स्मार्ट शहरों, और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन प्रणालियों को बढ़ावा दिया जाए। भारत में स्मार्ट सिटी मिशन इस दिशा में एक प्रयास है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण वैश्विक मुद्दे हैं। पेरिस समझौते जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों को लागू करने के लिए देशों को एकजुट होना होगा। भारत ने इस समझौते के तहत अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने का वचन दिया है।प्रभावी कचरा प्रबंधन प्रणाली विकसित की जाए। प्लास्टिक कचरे को कम करने के लिए नीतियां बनाई जाएं और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा दिया जाए। भारत में स्वच्छ भारत अभियान इस दिशा में एक कदम है।

भारत, जो एक तेजी से विकसित हो रहा देश है, पर्यावरण संरक्षण के लिए कई कदम उठा रहा है। सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान, नमामि गंगे, और राष्ट्रीय सौर मिशन जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं। नमामि गंगे परियोजना का उद्देश्य गंगा नदी को प्रदूषण से मुक्त करना है, जबकि स्वच्छ भारत अभियान देश में स्वच्छता और कचरा प्रबंधन को बढ़ावा देता है। भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जो दुनिया में सबसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों में से एक है।

इसके अलावा, कई गैर-सरकारी संगठन (NGOs) और सामुदायिक समूह वृक्षारोपण, कचरा प्रबंधन, और जागरूकता अभियानों में सक्रिय हैं। उदाहरण के लिए, संगठन जैसे ‘सयाजी’ और ‘ग्रीनपीस इंडिया’ पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। भारत में कई स्थानीय समुदाय भी अपने स्तर पर जंगलों और नदियों को बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, भारत को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में वायु प्रदूषण, नदियों का प्रदूषण, और प्लास्टिक कचरे की समस्या अभी भी गंभीर है। इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार, नागरिकों, और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना होगा।

पर्यावरण संरक्षण एक वैश्विक मुद्दा है। कई देश अपने स्तर पर इस दिशा में काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ ने 2050 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखा है। चीन, जो दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है, ने 2060 तक कार्बन न्यूट्रल होने का वचन दिया है। छोटे द्वीपीय देश, जैसे मालदीव, जो जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित हैं, वैश्विक सहयोग की मांग कर रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय संगठन, जैसे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और विश्व प्रकृति निधि (WWF), पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर जागरूकता और नीतियां बना रहे हैं। पेरिस समझौता और सतत विकास लक्ष्य (SDGs) इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। पर्यावरण की सुरक्षा हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। यह केवल सरकारों या संगठनों का दायित्व नहीं है, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को इसमें योगदान देना होगा। छोटे-छोटे कदम, जैसे पानी और बिजली की बचत, प्लास्टिक का कम उपयोग, और पेड़ लगाना, बड़े बदलाव ला सकते हैं। साथ ही, नीतिगत स्तर पर कड़े नियम, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी आवश्यक है।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पर्यावरण हमारा घर है। अगर हम इसे नष्ट करेंगे, तो हमारा अपना अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इसलिए, आज से ही हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाने चाहिए। यह न केवल हमारी, बल्कि हमारी भावी पीढ़ियों की भलाई के लिए भी जरूरी है। आइए, हम सब मिलकर एक स्वच्छ, हरा-भरा, और टिकाऊ भविष्य बनाने का संकल्प लें। पर्यावरण की सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी