सरकार ने महिलाओं के शैक्षणिक,सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के मुद्दे के समाधान के लिए जीवन-चक्र निरंतरता के आधार पर बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है। महिला सशक्तिकरण के बहुआयामी दृष्टिकोण
दिल्ली। भारत एक नए भारत की सोच के साथ महिला-विकास से महिला-नेतृत्व वाले विकास की ओर तेजी से बदलाव देख रहा है, जहां महिलाएं तेज गति और टिकाऊ राष्ट्रीय विकास में अग्रणी भागीदार हैं। सरकार ने महिलाओं के शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के मुद्दे को हल करने के लिए जीवन-चक्र निरंतरता के आधार पर एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में सबसे बड़ी छलांग राष्ट्रीय और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को प्रतिनिधित्व प्रदान करके “नारी शक्ति वंदन अधिनियम- 2023” (106वां संवैधानिक संशोधन) को लागू करके लोक सभा और दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) की विधानसभा सहित राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक- तिहाई सीटें आरक्षित करके लगाई गई है।
महिलाओं को रोजगार के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से श्रम संहिताओं जैसे कि- मजदूरी संहिता- 2019, औद्योगिक संबंध संहिता- 2020, व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता- 2020 और महिला श्रमिकों के लिए अनुकूल कार्य वातावरण सृजित करने के संबंध में सामाजिक सुरक्षा संहिता- 2020 में कई प्रावधान शामिल किए गए हैं। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिला वैज्ञानिक योजना, विज्ञान ज्योति योजना, ओवरसीज फेलोशिप योजना जैसी कई पहल की गई हैं।
महिला और बाल विकास मंत्रालय महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण के लिए एक व्यापक योजना- “मिशन शक्ति” का कार्यान्वयन करता है। इस योजना के तहत सरकार ने हिंसा या संकटग्रस्त महिलाओं को एकीकृत सहायता और सहयोग देने के लिए पूरे देश में वन स्टॉप सेंटर स्थापित किए हैं, टेलिफोनिक शॉर्ट कोड 181 के साथ एक चौबीस घंटे काम करने वाली हेल्पलाइन है, जो जरूरतमंद महिलाओं को उचित प्राधिकारियों से जोड़कर आपातकालीन और गैर-आपातकालीन सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं, नीतियों और कार्यक्रमों से संबंधित जानकारी भी प्रदान करती है। योजना का बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) घटक लिंग आधारित लिंग-चयन को रोकने के लिए है। साथ ही, यह लैंगिक समानता के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने और बाल विवाह को हतोत्साहित करने पर भी केंद्रित है। वहीं, शक्ति सदन का घटक संकटग्रस्त, निराश्रित और दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों की शिकार महिलाओं, जिनमें तस्करी की पीड़िताएं भी शामिल हैं, को सहायता और समर्थन प्रदान करता है। इनके अलावा सखी निवास का उद्देश्य कामकाजी महिलाओं और रोजगार व स्वरोजगार के लिए उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाओं व लड़कियों को बाल देखभाल सुविधाओं के साथ सुरक्षित और किफायती आवास उपलब्ध कराना है। वहीं, पालना घटक कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए आंगनवाड़ी-सह-क्रेच में बाल देखभाल सुविधाएं प्रदान करता है। राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर महिला सशक्तिकरण केन्द्र ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं से संबंधित सरकारी योजनाओं के संबंध में सूचना की असमानता के मुद्दे का समाधान करते हैं। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से नकद लाभ प्रदान किया जाता है।
सुकन्या समृद्धि योजना जैसी योजनाओं ने बालिकाओं के भविष्य में वित्तीय निवेश को प्रोत्साहित किया है। समग्र शिक्षा जैसी योजनाएं, स्कूलों में बालिकाओं के लिए अलग शौचालय का प्रावधान, विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाएं, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत सस्ती व गुणवत्ता वाले सैनिटरी नैपकिन का प्रावधान आदि ने भी व्यावहारिक बदलाव में योगदान दिया है, जिसके परिणामस्वरूप शैक्षणिक संस्थानों में बालिकाओं के नामांकन में बढ़ोतरी हुई है।
भारत सरकार ने सार्वजनिक खरीद नीति के माध्यम से यह अनिवार्य किया है कि सभी केन्द्रीय मंत्रालय/विभाग/सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम अपनी वार्षिक खरीद का कम से कम 3 प्रतिशत महिलाओं के स्वामित्व वाले सूक्ष्म और लघु उद्यमों से खरीदारी करें। कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कौशल भारत मिशन भी शुरू किया है। इसके अलावा सरकार ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत पूरे देश में प्रधानमंत्री कौशल केन्द्र भी स्थापित किए हैं। महिलाओं के प्रशिक्षण और प्रशिक्षुता, दोनों के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर दिया गया है। इसी तरह सरकार ग्रामीण आबादी को डिजिटल साक्षरता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा) लागू की है। इन योजनाओं से महिलाओं और लड़कियों को नौकरियों और उद्यमिता के लिए जरूरी कौशल प्राप्त करने में भी सहायता मिली है।
केन्द्र सरकार की सबसे सफल योजनाओं में से एक- दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) है, जिसके तहत लगभग 90 लाख महिला स्वयं सहायता समूह, जिनके लगभग 10 करोड़ सदस्य हैं, रोजगार/स्वरोजगार के लिए ग्रामीण परिदृश्य को बदल रहे हैं। इसी तरह राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) शहरी क्षेत्रों के लिए है। इसके अलावा, रोजगार/स्वरोजगार और ऋण सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई), स्टैंड-अप इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) जैसी योजनाएं हैं। इन योजनाओं के तहत अधिकांश लाभार्थी महिलाएं हैं।
सकारात्मक सांस्कृतिक बदलाव के लिए भाषा को एक मौलिक शक्ति के रूप में पहचानना, एक ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास करना, जहां विविध दृष्टिकोणों को स्वीकार किया जाए, महत्व दिया जाए और उन्हें सशक्त बनाया जाए, सरकार ने नवंबर, 2023 में लैंगिक-समावेशी संचार एक मार्गदर्शिका शुरू की है, जिसका उद्देश्य भाषा में मौजूद गहरी जड़े जमा चुके पूर्वाग्रहों को दूर करने के लिए व्यावहारिक अंर्तदृष्टि और कार्यनीतियां प्रदान करना है। यह जानकारी महिला और बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने आज लोकसभा में एक सवाल के जवाब में दी। महिला सशक्तिकरण के बहुआयामी दृष्टिकोण