अमरपाल सिंह वर्मा
केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा लोकसभा में दिए गए बयान ने बढ़ते सडक़ हादसों और उन्हें रोके जाने की जरूरत की ओर एक बार फिर ध्यान आकर्षित किया है। गडकरी ने इस बात पर अफसोस जताया है कि सडक़ हादसों में मौतों को कम करने के सरकार के लगातार प्रयासों के बावजूद हताहतों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि आम नागरिकों में न तो कानून के प्रति सम्मान है और न ही डर। सडक़ हादसे रोकने को हों हर संभव उपाय
भारत में सडक़ हादसे एक बड़ी, गंभीर और चिंताजनक समस्या हैं। सडक़ परिवहन मंत्रालय की ओर से जारी रोड एक्सीडेंट्स इन इंडिया-2023 रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में सडक़ दुर्घटनाओं में देश में 1 लाख 68 हजार 491 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। अगले ही साल 2023 में यह संख्या बढक़र 1 लाख 73 हजार हो गई। अगर दुनिया के आंकड़ों को देखें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में सडक़ हादसों में हर साल 13 लाख लोगों की जान चली जाती है। यह चिंताजनक है कि अनेक सडक़ सुरक्षा अभियानों और जागरूकता की मुहिमों के बावजूद भारत अभी भी 199 देशों में सडक़ दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की संख्या में पहले स्थान पर है और दुनिया में सभी दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में लगभग 11 फीसदी मौतें भारत में होती हैं। भारत के परिप्रेक्ष्य में बढ़ते सडक़ हादसे इसलिए भी चिंताजनक हैं क्योंकि सडक़ निर्माण से लेकर रखरखाव में भारी खर्च करने और ढांचागत क्षेत्र में लगातार निवेश बढ़ाने के बावजूद सडक़ हादसों को कम नहीं किया जा सका है।
आम तौर पर हाई स्पीड, ड्रिंक एंड ड्राइव, सडक़ों में गड्ढे, टूटे हुए पुल, संकरी सडक़ें, पुराने और मेंटेनेंस न किए गए वाहन, ट्रैफिक नियमों के पालन के प्रति उदासीनता, हेलमेट न पहनना, सीट बेल्ट न लगाना, और रेड लाइट तोडऩा, पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों की अनदेखी, सडक़ों के डिजाइन में पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों की जरूरतों का ध्यान नहीं रखा जाना आदि को सडक़ हादसों के प्रमुख कारणों में गिना जाता है लेकिन इनमें सबसे बड़ा कारण ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करना ही है। गडकरी भी इसे प्रमुख कारण मानते हैं। उन्होंने लोकसभा में कहा भी है कि खूब कोशिशों के बावजूद इस साल सडक़ दुर्घटनाओं में 1.68 लाख मौतें हुई हैं। मरने वालों में साठ फीसदी जवान लडक़े-लड़कियां थे। इनमें से बड़ी संख्या में मौतें इसलिए हुई हैं क्योंकि सडक़ों पर नियमों का सख्ती से पालन नहीं किया गया।
गडकरी खुद सडक़ हादसे की पीड़ा झेल चुके हैं। महाराष्ट्र में एक हादसे में उनके पैर में चार जगह फ्रेक्चर हो गया था। अपनी इस पीड़ा के कारण संवेदनशील गडकरी ने इस बात से आहत हैं कि लोग लालबत्ती पर गाड़ी नहीं रोकते, यह बड़ी समस्या है। तीस हजार लोग सिर्फ इस कारण मर जाते हैं क्योंकि उन्होंने हेलमेट नहीं पहना होता। सडक़ दुर्घटनाओं के तत्कालिक असर को तो हम देख लेते हैं लेकिन इसके दीर्घकालीन प्रभावों को आम तौर पर महसूस नहीं किया जाता है। जो परिवार अपने कमाने वाले सदस्य को खो देते हैं, उनके दु:ख को केवल वे ही महसूस कर सकते हैं। हादसों में हजारों गंभीर रूप से घायल होते हैं जिनमें से बड़ी तादाद में लोग स्थाई रूप से अपंग हो कर जीवन व्यतीत करने पर विवश हो जाते हैं। उनका एवं उनके परिवार का जीवन अत्यंत कष्टमय हो जाता है। परिवारों की आय का बड़ा हिस्सा इलाज पर ही व्यय हो जाता है। इसकी कीमत परिवारों को मूलभूत जरूरतों से वंचित होकर चुकानी पड़ती है। वाहनों की मरम्मत पर आने वाला खर्च भी लोगों की जीवन चर्या को प्रभावित करता है। भीषण दुर्घटनाएं समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करती हैं।
सडक़ हादसों पर हर कोई चिंता व्यक्त करता है लेकिन सिर्फ चिंता जताने से कुछ होने वाला नहीं है। हादसों को रोकने के लिए हर संभव उपाय करने होंगे। इसके लिए सरकार, आम लोगों और जन संगठनों को मिलकर काम करना होगा। लोकसभा में गडकरी ने चार कारक सडक़ इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, कानून का प्रवर्तन और जन शिक्षा बताए हैं जो सडक़ दुर्घटनाओं को कम करने में मदद कर सकते हैं। निश्चय ही इन चार कारकों पर तत्परता से काम शुरू होना चाहिए। सडक़ इंजीनियरिंग में सुधार के तहत सडक़ों को सुरक्षित और आधुनिक बनाने के काम को गति दी जानी चाहिए। सडक़ पर सुरक्षा के प्रति जागरूकता के लिए प्रभावकारी कदम उठाने होंगे।
खराब और अवधि पार वाहनों को सडक़ों से हटाना एक बड़ी चुनौती है लेकिन इससे निपटना ही होगा। सडक़ों पर भीड़ कम करने के लिए निजी वाहनों पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता है। इसके लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना होगा। इसके साथ ही, ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन कराना होगा। कानूनों में इसके लिए उचित प्रावधान हैं पर उनका धरातल पर क्रियान्वयन किए जाने की जरूरत है। देश के विकास में योगदान देने वाले हजारों बेशकीमती लोगों को हम हादसों मेंं गंवा देते हैं। यह स्थिति निश्चय ही दुखद है। इस स्थिति को हम बदल सकते हैं। इसके लिए सडक़ सुरक्षा से संबंधित विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करते हुए हादसों की रोकथाम के सटीक उपाय खोजने होंगे। राष्ट्रीय सडक़ सुरक्षा नीति के तहत किए जा रहे विभिन्न नीतिगत उपायों को और ज्यादा सार्थक बनाना होगा। कानूनों के प्रति सम्मान की भावना भी विकसित करनी होगी। सडक़ हादसे रोकने को हों हर संभव उपाय