

हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। आज जब जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण एक गंभीर वैश्विक चिंता बन चुके हैं, साइकिल एक महत्वपूर्ण समाधान प्रस्तुत करती है। साइकिल को अक्सर केवल एक परिवहन साधन के रूप में देखा जाता है, लेकिन वास्तव में यह इससे कहीं अधिक है। यह एक ऐसा उपकरण है जो शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक कल्याण और पर्यावरणीय स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है। स्वास्थ्य के लिए वरदान है साइकलिंग
गांव की कच्ची पगडंडियों से लेकर आधुनिक जिम के लिए जरूरी। खेत और खलिहान से लेकर ओलंपिक के ट्रैक तक की दूरी। स्कूली बच्चों से लेकर घर के बड़े-बुजुर्गों तक का सहारा। और दिहाड़ी मजदूर से लेकर कारपोरेट जगत के बड़े साहब तक की जरूरत। जी हां, हम बात कर रहे हैं साइकिल की। बीते सैकड़ो सालों में साइकिल ने अपने आविष्कार से लेकर आधुनिक जगत तक अपनी पहुंच बनाने में एक लंबा सफर तय किया है। साइकिल चलाना न केवल बेहतर स्वास्थ्य के लिए वरदान है। बल्कि, पर्यावरण संतुलन और संरक्षण में भी साइकिलिंग की महती भूमिका है। विश्व साइकिल दिवस तीन जून के मौके पर देश और दुनिया में आज एक बार फिर से साइकिल की इसी प्रासंगिकता पर चर्चा और विमर्श जारी है। यही नहीं साइकिलिंग के फायदे के चलते साइकिल आने वाली सदियों तक भी प्रासंगिक रहेगी, ऐसा भी माना जा रहा है।
दुनिया में सबकी चहेती कही जाने वाली साइकिल की उत्पत्ति और आविष्कार के अतीत पर गौर करें,तो पता चलता है कि साइकिल का पहला रूप पुनर्जागरण यूरोप में 15वीं शताब्दी का है। इस अवधि के चित्र और रेखाचित्र दो पहियों के साथ एक बार से जुड़े हुए विचित्र उपकरणों को दर्शाते हैं। साइकिल के आविष्कार में पहली सफलता वर्ष 1817 में बैरन कार्ल ड्रैस द्वारा किए गए आविष्कार से मिली। उन्होंने लकड़ी के फ्रेम, स्टीयरिंग के लिए हैंडलबार और गद्देदार सीट के साथ एक दो-पहिया वाहन डिजाइन किया। सवार अपने पैरों से जमीन पर धक्का देकर खुद को आगे बढ़ाते थे। तब इसे रनिंग मशीन या ड्रैसिन के नाम से जाना जाता था। साइकिल के इतिहास में अगला महत्वपूर्ण विकास 1860 के दशक में हुआ जब पैडल सीधे आगे के पहिये से जुड़े हुए थे। यह आधुनिक साइकिल की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था। इसके बाद में वर्ष 1870 के दशक में पहली सच्ची चेन-चालित “सुरक्षा साइकिल” अस्तित्व में आई।
पैडल को पीछे के पहिये से जोड़ने वाली चेन और हीरे के आकार के फ्रेम वाली सुरक्षा साइकिल ने साइकिल चलाने में क्रांति ला दी। यह अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में अधिक सुरक्षित, अधिक आरामदायक और अधिक सुलभ थी। इस डिज़ाइन ने उन साइकिलों की नींव रखी जिन्हें हम आज जानते हैं। इसके बाद 1880 के दशक में न्यूमेटिक टायर का आगमन भी देखा गया जिससे साइकिल की यह सवारी अधिक सहज और आनंददायक हो गई। इसके बाद 20 वीं सदी में गियर सिस्टम, हल्के वजन वाली सामग्री और वायुगतिकीय डिजाइनों की शुरूआत के साथ साइकिलों का विकास जारी रहा। साइकिलें परिवहन का एक लोकप्रिय साधन बन गईं। खासकर घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में, जहाँ उन्होंने कारों के लिए एक व्यावहारिक और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प पेश किया। इसने साधारण साइकिल की उत्पत्ति की परिणति को चिह्नित किया और भविष्य के विकास के लिए मंच तैयार किया। हम आज इलेक्ट्रिक साइकिल के माध्यम से इन विकासों को पहले से ही देख रहे हैं।
बीते दिनों में साइकिल की उपयोगिता में और भी बढ़ोतरी हुई है। क्योंकि साइकिलिंग करना स्वास्थ के लिए काफी फायेदमंद होता है। क्योंकि साइकिलिंग करने से मनुष्य न केवल मानसिक रूप से बल्कि शारीरिक रूप से भी हष्ट पुष्ट रहता है। साइकिलिंग करने से पर्यावरण को भी किसी तरीके की हानि नहीं पहुंचती है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार साइकिलिंग से आपको कई प्रकार के लाभ प्राप्त हो सकते हैं। साइकिलिंग के लाभ को देखते हुए हर साल 3 जून को वर्ल्ड साइकिल डे मनाया जाता है। विश्व साइकिल दिवस मनाने का विचार सबसे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में काम करने वाले पोलिश-अमेरिकी सोशल साइंस प्रोफेसर लेसज़ेक सिबिल्स्की द्वारा प्रस्तावित किया गया था। उन्होंने हर साल विश्व साइकिल दिवस को मनाने के लिए जमीनी स्तर पर अभियान शुरू किया। इस अनोखे अभियान को शुरू करने के बाद उन्हें तुर्कमेनिस्तान सहित 56 अन्य देशों से समर्थन प्राप्त हुआ। इसके चलते यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली ने 2018 में हर साल 3 जून को वर्ल्ड साइकिल डे मानाने की घोषणा की।
वर्तमान समय में देश और दुनिया में साइकिल के उपयोग और इसको महत्व के अतीत के बारे में गौर करें तो वर्ष 1990 तक साइकिल का दौर रहा। उस जमाने में गांव से लेकर शहर तक और स्कूल से लेकर कॉलेज तथा युवा से लेकर बुजुर्ग तक सभी लोगों के पास साइकिल हुआ करती थी। तब साइकिल का क्रेज भी आज की स्पोर्ट्स बाइक से कम नहीं था। लेकिन बदलते समय के साथ धीरे-धीरे इसका महत्व लोगों के बीच घटता चला गया। हालात ऐसे हो गए की साइकिल का उपयोग लोगों की गरीबी और आलस की निशानी बनता चला गया। साइकिल के मुकाबले स्पोर्ट्स बाइक के उपयोग से न केवल पर्यावरण के लिए खतरा पैदा हुआ। बल्कि लोगों की शारीरिक सक्रियता भी कम होती चली गई। लोगों के बीच फिर से साइकिलिंग के महत्व को याद दिलाने के लिए विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। जानकारों का कहना है कि साइकिल वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने का एक बेहतर तरीका है। इससे वायु प्रदूषण को कम करने के साथ पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है। यह पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छी होती है।
अगर आप फिट और स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो आपको शारीरिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए। यह एक तरह की एरोबिक गतिविधि है जिसमें हृदय, रक्त वाहिकाएँ और फेफड़े सभी को कसरत मिलती है। कई शोधों में पाया गया है कि रोजाना आधा घंटा साइकिलिंग करने से व्यक्ति मोटापा, हृदय रोग, मानसिक बीमारी, मधुमेह और गठिया जैसी कई बीमारियों से बचा रह सकता है। भारत की तुलना में विदेश में साइकिल का उपयोग अधिक किया जाता है। और तो और साइकिल के महत्व के चलते सड़कों पर साइकिल के अलग से ट्रैक भी बनाए गए हैं। नीदरलैंड्स को दुनिया का बाइसिकल “कैपिटल” भी कहा जाता है। क्योंकि यहां की जनसंख्या केवल लगभग 170 लाख है, लेकिन यहां साइकिलों की संख्या लगभग 2 करोड़ से ज्यादा है। आज के दौर में साइकिल स्वतंत्रता, स्वास्थ्य और स्थिरता का प्रतीक है। जैसे-जैसे हम हरित भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं, साइकिल एक बार फिर परिवहन में क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। स्वास्थ्य के लिए वरदान है साइकलिंग