उत्तर-दक्षिण संगम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को मिलेगा नया बल-योगी

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उत्तर-दक्षिण संगम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को मिलेगा नया बल-योगी
उत्तर-दक्षिण संगम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को मिलेगा नया बल-योगी

उत्तर व दक्षिण के संगम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को मिलेगा नया बल। नमो घाट पर ‘काशी तमिल संगमम्’ के द्वितीय संस्करण के शुभारंभ पर बोले मुख्यमंत्री। मुख्यमंत्री ने तमिल भाषा में किया आगंतुकों का स्वागत।तमिलनाडु व अन्य दक्षिणी राज्यों से काशी आने वाले पर्यटकों व श्रद्धालुओं की संख्या में हुई भारी वृद्धि। उत्तर-दक्षिण संगम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को मिलेगा नया बल-योगी

वाराणसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि काशी व तमिलनाडु में भारतीय संस्कृति के सभी तत्व समान रूप से संरक्षित हैं। काशी के धार्मिक महत्व के कारण देश के सभी भागों के लोग सदियों से यहां आते रहे हैं। गंगा तट पर बसी यह पवित्र नगरी भारत के धर्म, संस्कृति व आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बनी हुई है। यहां ज्ञान, धर्म, दर्शन, संस्कृति, साहित्य, कला व शिल्प का अद्भुत समागम है। इसी तरह तमिलनाडु भी प्राचीन काल से संस्कृति, ज्ञान, कला, शिल्प व साहित्य का केंद्र रहा है। तमिल भाषा का साहित्य अत्यंत प्राचीन व समृद्ध है। भारत में संस्कृत एवं तमिल साहित्य सबसे प्राचीन है। समस्त भारतीय भाषाएं और उनके साहित्य को अपने में समाहित करता है।

समावेशी, सांस्कृतिक प्रेरणा का यह स्रोत समाज में सद्भाव और समरसता बनाए हुए है। इस आयोजन से तमिलनाडु के अतिथि न सिर्फ यूपी व काशी के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित होंगे, अपितु उत्तर व दक्षिण के संगम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को नया बल भी मिलेगा। योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी के नमो घाट पर रविवार को ‘काशी तमिल संगमम्’ के द्वितीय संस्करण के शुभारंभ अवसर पर कहीं। सीएम ने विशेश्वर की पवित्र धरा पर रामेश्वरम की पावन भूमि से पधारे तमिलनाडु के अतिथियों का तमिल भाषा में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि गत एक वर्ष में तमिलनाडु व अन्य दक्षिणी राज्यों से काशी आने वाले पर्यटकों व श्रद्धालुओं में भारी वृद्धि हुई है।

फिर से नवजीवन पा रहा सहस्राब्दियों पुराना संबंध

तमिल कार्तिक माह में काशी-तमिल संगमम् का यह आयोजन प्रधानमंत्री जी के विजन का परिणाम है। इससे दक्षिण का उत्तर से अद्भुत संगम हो रहा है। सहस्राब्दियों पुराना संबंध फिर से नवजीवन पा रहा है। इस आयोजन की परिकल्पना के माध्यम से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की चेतना को जागृत करते हुए प्रधानमंत्री जी ने जिस बड़े अभियान को बढ़ाया है। हम सभी उसके आभारी हैं। काशी-तमिल संगमम् में तमिलनाडु से साहित्यकारों, छात्र-शिक्षक, शिल्पकारों, अध्यात्म, उद्योग, विरासत, व्यवसाय, देवालय, नवाचार, ग्रामीण पृष्ठभूमि व संस्कृति जगत से जुड़े 12 समूह काशी का भ्रमण कर विषय विशेषज्ञों से संवाद करेंगे। तमिलनाडु के श्रद्धालु प्रयागराज और अयोध्या भी भ्रमण करेंगे। वे यहां निर्मित हो रहे भव्य श्रीराम मंदिर का भी दर्शन करेंगे। 500 वर्षों बाद 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री के करकमलों से श्रीराम विराजमान होंगे।

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में तेजी से बढ़ रहा गौरवशाली आस्था के प्रति सम्मान व पुनर्स्थापना का कार्य

प्रभु श्रीराम द्वारा रामेश्वर धाम में स्थापित पवित्र ज्योतिर्लिंग और काशी में विराजमान आदि विशेश्वर पवित्र ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजित हैं। यह ज्योर्तिलिंग काशी और तमिलनाडु के संबंधों का केंद्रबिंदु है। भगवान राम व भगवान शिव के माध्यम से निर्मित इस संबंध सेतु को आदि शंकराचार्य ने भारत के चारों कोनों में पवित्र पीठ की स्थापना कर आगे बढ़ाया था। वर्तमान में प्रधानमंत्री जी इस महायज्ञ को नई गति प्रदान कर रहे हैं। उनके यशस्वी नेतृत्व में देश की गौरवशाली आस्था के प्रति सम्मान व पुनर्स्थापना का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। काशी विश्वनाथ धाम भी इसका जीवंत उदाहरण है। उत्तर-दक्षिण संगम से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को मिलेगा नया बल-योगी