घरौनी बनने में बड़ा खेल

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घरौनी बनने में बड़ा खेल
घरौनी बनने में बड़ा खेल


पुश्‍तैनी जमीनों पर मकान तो थे, लेकिन नहीं था मालिकाना हक कही। घरौनी बनने में हो तो नहीं रहा बड़ा खेल,किसान नेताओं का बड़ा आरोप। (घरौनी) मालिकाना हक वाले कागजात से नाखुश दिख रहें ग्रामीण। आबादी की जमीन पर पुश्तैनी काबिज व्यक्तियों का नक्शें में कम दिखा कर किया जा रहा खेल। सीधे वितरण किया जा रहा घरौनी प्रमाणपत्र , नहीं ली जा रहीं कोई आपत्ति प्रपत्र,7,8,9 रहा सभी की नजरों से दूर। घरौनी बनने में बड़ा खेल

विनोद यादव

केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना संपत्ति अधिकार (घरौनी) बनाने पर राजस्व कर्मियों के मनमाने रवैए से ग्रामीण परेशान हैं। ड्रोन लगा कर लेखपाल सर्वे में ग्रामीणों की जमीन इधर से उधर कर रहे हैं। हैदरगढ़ और सदर नवाबगंज तहसील क्षेत्र में घरौनी सर्वे कार्य में लगे लेखपालों पर ग्रामीणों ने मनमानी का आरोप लगाया हैं। ग्रामीणों ने बताया कि जिस जमीन पर अपना घर बनाए हैं, उसको बचाने लिए तहसील से लेकर डीएम दफ्तर तक चक्कर काट रहे हैं। वहीं, तहसील के अधिकारी कार्रवाई का आश्वासन दे कर मामले को ठंडे बस्ते में छोड़ रहे हैं। वहीं सरकार का दावा हैं पीएम स्वामित्व योजना के अंतर्गत अब तक 66 लाख से ज्यादा घरौनियां तैयार हो चुकी हैं। प्रदेश के 90 हजार से अधिक गांवों के लिए घरौनियां तैयार कराई जा रही हैं, जिनमें से 47 हजार से अधिक गांवों की घरौनियों का कार्य पूरा कर लिया गया है। इसमें भी प्रदेश के ललितपुर का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा सीधे मॉनिटरिंग की वजह से प्रदेश में घरौनी बनाने के कार्य में तेजी देखने को मिली है।

प्रतिमाह दो लाख घरौनी बनाने के लक्ष्य के सापेक्ष बीते 45 दिनों में 4 लाख 31 हजार 794 से अधिक घरौनियां बनाई गई हैं, जो 144 प्रतिशत तेज गति से लक्ष्य की ओर बढ़ रही है।स्वामित्व योजना में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले जिलों में ललितपुर सर्वश्रेष्ठ रहा है। इसके बाद कासगंज, मुरादाबाद, जालौन और संभल टॉप 05 जिलों में शामिल हैं। इन सभी जिलों में लक्ष्य के सापेक्ष 99 फीसदी से ज्यादा कार्य संपन्न हुआ है। सरकार का एक बड़ा दावा हैं कि अब तक ग्रामीणों को उनके मकान पर बैंक लोन नहीं देते थे, क्योंकि गांव में बने मकान का मालिकाना हक साबित करने वाला कोई दस्तावेज उनके पास नहीं था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण आबादी में बने घरों के असली मालिकों को योगी सरकार उनका मालिकाना हक दे रही है। स्वामित्व योजना के तहत उनके आवास का मालिकाना हक प्रदान करने वाला दस्तावेज (ग्रामीण आवासीय अभिलेख/घरौनी प्रमाण पत्र) मुहैया कराने जा रही है लेकिन घरौनी का कार्य जिस तेजी से चल रहा हैं वैसे वैसे ग्रामीणों की नाराजगी भी देखने को मिल रहीं हैं।सुल्तानपुर जिले के जयसिंहपुर तहसील ,वल्दीराय तहसील सहित कई तहसीलों में घरौनी से संबंधित प्रारुप प्रपत्र ,7,8,9 न वितरण किये गयें न ही भू स्वामी की आपत्ति ही स्वीकार की गयी हैं।

भारतीय किसान मजदूर यूनियन( अराजनैतिक ) संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी हदय राम वर्मा एंव जिलाध्यक्ष योगेंद्र श्रीवास्तव ने सुल्तानपुर जिले के तिकोनियापार्क में हजारों किसानों को इकट्ठा कर घरौनी में हो रहें खेल का पर्दाफाश किया। जिलाध्यक्ष योगेंद्र श्रीवास्तव से जब घरौनी के मुद्दे पर वार्ता की गयी तो उन्होंने बताया कि घरौनी मात्र मकान का मालिकाना हक दिलाने वाला सरकारी कागज भर नहीं है. यह लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाने, आत्मसम्मान का बोध कराने और आत्मनिर्भरता की राह दिखाने का माध्यम है.” घरौनी से गांव में संपत्ति विवाद और भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकता था और जरूरत पड़ने पर इनके जरिए सहजतापूर्वक लोन भी लिया जा सकता है.”लेकिन ड्रोन द्वारा किये जा रहें घरौनी के सर्वे में क्षेत्रीय लेखपाल जिसकी जितनी पहले से पुरानी आबादी पर घर बना हैं उसको गुमराह किया जा रहा हैं वास्तविकता यह हैं कि उसकी सही मायने में पूरी घरौनी बनाई ही नहीं जा रहीं न उसको कोई घरौनी से संबंधित प्रारुप व प्रपत्र ही दिया जा रहा हैं।

जिसके शिकायत एसडीएम जयसिंहपुर और जिलाधिकारी सुल्तानपुर दोनों से की गयी लेकिन उसका कोई निराकरण नहीं हो सका। आम जन में घरौनी को लेकर बड़ा संदेह पैदा हुआ हैं राजस्व विभाग का कोई अधिकारी भू स्वामियों से वार्ता करने को तैयार नहीं हैं। सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल खडे़ करते हुए भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) गुट के जिलाध्यक्ष अनुपम वर्मा ने बताया कि पूरे जिले में घरौनी बनाने के नाम पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। बंकी ब्लाक के जाटाबरौली गांव में दो सगे भाइयों से घरौनी सर्वे में जमीन चढ़ाने के लिए अलग पैसे ले लिए। किसान संगठन से जुड़े एक भाई रामानंद ने बताया कि पैसे न देने पर मेरा हिस्सा नक्शे में नहीं चढ़ाया गया।सवाल यह हैं क्या विवाद बताकर घरौनी बनाने से इनकार किया जा रहा हैं लेखपालों द्वारा या जानबूझकर कर पुरानी आबादी की जमीन पर घर बना कर रह रहें लोगों की घरौनी को कम दिखाया जा रहा हैं। हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एड् कुलदीप जनवादी से जब घरौनी के मुद्दे पर पत्रकारों ने वार्ता की तो उन्होंने बताया कि जिसका घर दो बिस्वा में बना हैं उसको एक बिस्वा से भी कम में दर्ज कर दिया जा रहा हैं लम्बाई ,चौडाई की कोई माप नहीं की जा रहीं हैं।

जब घरों की लम्बाई चौडाई की माप नहीं हो रही तो द्वार और गौवशाला की माप बड़े दूर की बात रहें। यदि घरौनी की सही पैमाइश करके किसानों को उनके यथार्थ कब्जेदारी को दर्शाकर घरौनी उनकी बनायी गयी तो माने जनपद के न्यायालयों से 45% मुकदमे अपने आप खत्म हो जाएंगे जो जमीनी विवाद के चल रहें हैं।जो घरौनी सर्वे में लगे लेखपाल ग्रामीणों की पुश्तैनी भूमि को विवादित बता कर घरौनी बनाने से मना कर रहे हैं। सर्वे में यदि मानों विजय का 4 बिस्वा में मकान बना हैं और उनके घर को लेखपाल घरौनी बनाते समय 2 बिस्वा से भी कम में दर्ज कर देता हैं बाकी बची जमीन को या खाली छोड़ रहा हैं या किसी पड़ोसी के घरौनी में जोड़ रहा हैं तो एक नया विवाद आने वाले समय में खड़ा होगा। यदि कोई अपनी पुश्तैनी जमीन बचाने के लिए पीड़ित तहसील से लेकर मुख्यालय तक अफसरों की चौखट के चक्कर लगा रहे हैं और उसके काबिज जमीन पर दूसरे व्यक्ति को घरौनी बनाकर दे दिया जाए तो यह भी विवाद का नया रुप ले रहा हैं। ऐसे हजारों सवाल भू स्वामियों के जेहन में चल रहें हैं और चर्चा भी हो रही हैं मगर उसका कोई स्थाई स्वरूप निखर कर बाहर नहीं आ रहा हैं शायद ऐसा इसलिए हैं कि लेखपालों द्वारा प्रपत्र 7,8,9 किसी को वितरण नहीं किया जा रहा और उनकी सहमति का फर्जी हस्ताक्षर कर विभाग को भेज दिया जा रहा हैं। वैसे तो यह केंद्र एंव राज्य सरकार की दूरदर्शी सोच हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों पर तरह तरह के आरोप भी लग रहें हैं। घरौनी बनने में बड़ा खेल