
पारसमणि अग्रवाल कोंच
बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि पाना आसान होता है लेकिन निभाना उतना ही मुश्किल फिर चाहे रिश्ता हो, राजनीति हो या कोई और क्षेत्र। ऐसा ही कुछ हाल मौजूदा समय में दिल वालों की दिल्ली का है। भाजपा ने अपने 27 साल के वनवास को समाप्त कर सत्ता की कुर्सी तो हासिल कर ली लेकिन यह कुर्सी मखमली नहीं बल्कि चुनौतियों से भरी हुई है। दिल्ली में परिवर्तन की आंधी के साथ बीजेपी ने भी अपनी रणनीति बदली और सत्ता तक पहुंचने में सफल रही। इस ऐतिहासिक सफर की शुरुआत उसी मैदान से हुई जहां भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे ने अपने आंदोलन को देशव्यापी रूप देकर जनता को जागरूक किया था। इसी आंदोलन के साथी अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में कदम रखते हुए आप का गठन किया और सत्ता तक पहुंचे। अगर अरविंद केजरीवाल सरकार के कार्यों की समीक्षा करें, तो शिक्षा, स्वास्थ्य, मुफ्त बिजली-पानी, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, और मोहल्ला क्लीनिक जैसी योजनाओं का लाभ आम आदमी को मिला हालांकि, भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरने के कारण उनकी सरकार को मतदाताओं ने अस्वीकार कर दिया। परिणामस्वरूप, दिल्ली की जनता ने बीजेपी को विकल्प के रूप में स्वीकार किया, जिससे अरविंद केजरीवाल को हार का सामना करना पड़ा। दिल वालों की दिल्ली में चुनौतियों भरी “रेखा”
बीजेपी के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती अपने संकल्प पत्र में किए गए वादों को पूरा करना है। इनमें यमुना की सफाई, स्वच्छ पेयजल, प्रदूषण मुक्त हवा, प्रति वर्ष 50,000 नई नौकरियां, महिलाओं को प्रति माह 2500 रुपये की आर्थिक सहायता, मुफ्त बस यात्रा, सीवर और नालों की सफाई, ट्रैफिक जाम से निजात और मुफ्त बिजली-पानी जैसी योजनाओं को जारी रखना शामिल है। विशेष रूप से, शीला दीक्षित के 15 वर्षों के कार्यकाल के दौरान दिल्ली में हुए विकास कार्यों की तुलना में ‘रेखा सरकार‘ के प्रदर्शन की समीक्षा की जाएगी। इसके अलावा, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को उपराज्यपाल और केंद्र सरकार के साथ तालमेल बिठाते हुए यह साबित करना होगा कि वह केवल एक ‘कठपुतली मुख्यमंत्री’ नहीं हैं। इसके लिए उन्हें शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज जैसे मजबूत नेतृत्व का उदाहरण सामने रखना होगा।
दिल्ली की जनता के सामने आज कई गंभीर समस्याएँ हैं जिनमें बढ़ता वायु प्रदूषण, ट्रैफिक जाम, जल संकट, और महिलाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। इन समस्याओं का समाधान निकालना बीजेपी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। दिल्ली में हर साल सर्दियों के मौसम में प्रदूषण चरम पर पहुँच जाता है, जिससे जनता को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर परेशानियाँ झेलनी पड़ती हैं। यमुना नदी की सफाई और जल संरक्षण योजनाएँ इस समस्या के समाधान में मदद कर सकती हैं। दिल्ली में ट्रैफिक जाम एक प्रमुख समस्या है। इसको दूर करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना और मेट्रो नेटवर्क का विस्तार जरूरी होगा। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं। भाजपा सरकार को इस मुद्दे पर कड़े कदम उठाने होंगे ताकि महिलाओं को सुरक्षित वातावरण मिल सके।बीजेपी सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह जनता की अपेक्षाओं पर खरी उतरे। विपक्षी दलों की आलोचनाओं से बचने के लिए भाजपा को शीघ्र ही अपनी विकास योजनाओं पर काम शुरू करना होगा। चुनावी वादों को पूरा करने में किसी भी तरह की ढिलाई भाजपा के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। दिल्ली की जनता ने परिवर्तन का रास्ता चुना है, लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इस अवसर को किस तरह भुनाती है और अपनी सरकार को जनहितकारी सिद्ध कर पाती है या नहीं। यदि बीजेपी अपने वादों को पूरा करती है, तो यह दिल्ली की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत होगी। दिल वालों की दिल्ली में चुनौतियों भरी “रेखा”