निराशाजनक है बजट-अमरनाथ मिश्रा

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आकड़े बजी जो जानता की समझ से परे ,कुल मिलाकर आंकड़ों की बाजीगरी और आम व्यापारी से बहुत दूर का बजट पूर्व में कई ज्ञापन मुख्यमंत्री जी वित्त मंत्री एवं रक्षा मंत्री जी के माध्यम से दिया गया।

लखनऊ। केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लखनऊ व्यापार मंडल के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्रा नें कहा कि बेहद निराशाजनक है आज का बजट। आज वित् मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने बजट पेश किया उस पर श्री मिश्रा नें कहा कि आंकड़ों की बाजीगरी जो शायद जनता को तो क्या ये कि सत्ता पक्ष में बैठे सांसदों को भी समझ में नहीं आयी होगी।

सिर्फ़ इसमें एनएडीए का चुनावी गठबंधन का असर दिखा बिहार आँध्र प्रदेश और कुछ हद तक ओडिशा असम के लिए बाक़ी आम जनता से संबंधित कुछ नही। अगर व्यापारी समाज की बात कर लो कुछ भी नहीं। विचारणीय है के अटल बिहारी बाजपेयी की जब सरकार नहीं आयी थी उसके पहले से भाजपा की माँग थी इनकम टैक्स में आय की सीमा ज़्यादा होनी चाहिए बल्कि 20 १४ से पहले तो इनकी घोषणा पत्र में उन्होंने पाँच लाख तक के करमुक्त आय की घोषणा की थी।

जो कि आज तक ये नहीं कर पाए जबकि आर्थिक आधार पर आरक्षण या 8, लाख पर देते हैं तो फिर 10 लाख तक के करमुक्त आय क्यों न होनी चाहिए। आज जो स्लैब में इन्होंने बदलाव किया उस वजह 3छह था 3-7 कर दिया ६से९ से था उसको 7:10 दिया। उसी जगह इन्होंने दसपंद्रह के बीच में उसको कवर कर लिया तो फ़ायदा किसका होगा।

उन्होंने कहा कि बहुप्रतिक्षित था की local traders को संरक्षित करने ke लिए Sarkar कोई योजना ई कॉमर्स में लाएगी। परंतु को मरते हुए व्यापार को ज़िंदा करने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं GST को लागू हुए सात वर्ष पूरे हो गए हैं लेकिन अभी भी सरकार का प्रयोग जारी है ना तो ट्रिब्यूनल बना पाई है ना ही अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा उत्पीड़न समाप्त कर पाई है और न ही व्यापारियों की सबसे बड़ी माँग की सोला 4 सी के तहत पोर्टल पर देखे गए एक्टिव व्यापारी से माल ख़रीदने के बाद यदि वो डिफाल्टर होता है तो यह बोगस साबित होता है तो क्रेता की ज़िम्मेदारी क्यों सरकार ध्यान नहीं दे पाई है।

व्याप्त व्यापार जगत के लिए कोई भी अच्छी घोषणा नहीं सिर्फ़ आंकड़ों की बाज़ीगरी और अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन भाजपा अपने सबसे वोटर यानी मध्यम वर्ग व्यापारी समाज को खो देगी और फिर इनके पास कोई रास्ता न होगा कि महँगाई देखते हुए आम जनता के लिए बजट समझ पाना या उसमें कोई फ़ायदा देखना असंभव है शिक्षा चिकित्सा जिन पर GDP का कम से कम 6 पर्सेंट ७ पर्सेंट की आशा थी कि सरकार पर विज़न करेगी वो भी नहीं हुआ।

कुल मिलाकर आंकड़ों की बाजीगरी और आम व्यापारी से बहुत दूर का बजट पूर्व में कई ज्ञापन मुख्यमंत्री जी वित्त मंत्री एवं रक्षा मंत्री जी के माध्यम से दिया गया। यहाँ तक कि जिलाधिकारी और GST कमीशनर के माध्यम से भी भेजे गए जिसमें लाइसेंस राज इंस्पेक्टर राज को ख़त्म करने के लिए तमाम सुझाव दिए गए। जैसे एक तरीक़े का कारोबार करने वाले व्यापारियों को एक ही पोर्टल पर एक बार लॉगिन करने पर सारे लाइसेंस मिल जाए जैसे ड्रग लाइसेंस फ़ूड लाइसेंस आबकारी लाइसेंस मंडी के लाइसेंस मगर सरकार के द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया इसी तरह GST की विसंगतियों पर कई बार चर्चा के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ यहाँ ध्यान देने योग्य यह बात है कि अगर एक्ट में ये लिखा है कि व्यापारी को विक्रेता के द्वारा कर न चुकाने पर अर्थदंड सहित कर देना होगा तो ये भी तो एक्ट में है कि ट्रिब्युनल के स्थापना होगी और व्यापारी वहाँ अपील कर सकता है तो 7 साल यदि ट्रिब्यूनल नहीं बना तो इसका अर्थ दंड कौन देगा 3 साल जो सरकारी वेबसाइट में कमी आ रही थी जिसके कारण धाराचौहत्तर के तहत व्यापारी को तमाम अर्थदंड एवं कर का भुगतान करना पड़ा सरकार की कमियों पर अर्थदंड कौन लगाएगा है कुल मिलाकर के मौजूदा सरकार हम व्यापारी समाज को उपेक्षित रखते हुए उसे के हितों का संरक्षण
करने में असमर्थ हैं व्यापारी समाज के लिए एक निराशाजनक बजट।