सहकारिता से उन्नति का पथ प्रशस्त

208

सहकारिता से उन्नति का पथ प्रशस्त

मध्य प्रदेश में सहकारिता से हो रहा उन्नति का पथ प्रशस्त।

संतोष मिश्रा

भोपाल। पारस्परिक सहायता के आधार पर स्वावलंबन की सहकारिता ही ऐसी व्यवस्था है, जिसमें सदस्य समानता के आधार पर स्वेच्छा से अपने उत्थान हेतु सामूहिक प्रयास करते है। परस्पर सहयोग की भावना से संगठित तौर पर किये गये प्रयासों के फलस्वरूप सदस्य न सिर्फ अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित कर सकते हैं, अपितु एक दूसरे की आर्थिक उन्नति में भी सक्रिय योगदान दे सकते है।

मध्य प्रदेश में सहकारिता से उन्नति का पथ प्रशस्त हो रहा है। सहकारी संस्थाओं द्वारा किसानों को खरीफ और रबी फसल के लिये शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देने, उन्नत बीज और उर्वरक उपलब्ध कराने के साथ समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूँ, धान आदि फसलों का उपार्जन किया जा रहा है। सहकारिता विभाग में विभिन्न क्षेत्रों में रजिस्टर्ड समितियाँ स्थानीय स्तर पर नागरिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ प्रदेश के विकास में योगदान दे रही हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की किसानों के हित में शुरू की गई अनेक योजना में शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर किसानों को ऋण उपलब्ध कराने की योजना महत्वपूर्ण है। इस योजना से किसानों को सूदखोरों और ब्याज के कुचक्र से मुक्ति मिल रही है। शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर किसानों को ऋण उपलब्ध कराने में साल दर साल बढ़ोत्तरी हो रही है। ऋण उपलब्धता में वर्ष 2021-22 में वर्ष 2019-20 की तुलना में 47 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2019-20 में 11 हजार 471 करोड़ रूपये का ऋण किसानों को वितरित किया गया था, जबकि वर्ष 2021-22 में 16 हजार 807 करोड़ रूपये का ऋण वितरित किया गया। चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 14 हजार 700 करोड़ से अधिक के ऋण का वितरण किया जा चुका है।

यह भी पढ़ें- हिंडनबर्ग रिपोर्ट से अडानी ग्रुप में भूचाल

सहकारिता से उन्नति का पथ प्रशस्त

किसानों को खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कराने में सहकारी समितियों का उल्लेखनीय योगदान है। प्रदेश में 4 हजार 534 पैक्स (प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाएँ) सामान्य सुविधा केन्द्रों से किसानों को केसीसी पर (किसान क्रेडिट-कार्ड) कृषि ऋण और खाद-बीज का वितरण सुनिश्चित कर रही हैं। पैक्स से वर्ष 2020-21 में 10 लाख 85 हजार क्विंटल और वर्ष 2021-22 में 10 लाख 3 हजार क्विंटल प्रमाणित बीज किसानों को दिया गया। प्रदेश में संगठित क्षेत्र के कुल बीज उत्पादन का 80.15 प्रतिशत सहकारी बीज संस्थाओं द्वारा उत्पादित किया जा रहा है। इन संस्थाओं के उपार्जन केन्द्रों द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूँ, धान आदि फसलों का उपार्जन किया जाता है।

सहकारी संस्थाओं से प्रदेश में फसलों का रिकॉर्ड उपार्जन किया गया है। वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी के समय में भी किसानों से एक करोड़ 29 लाख 42 हजार मीट्रिक टन गेहूँ और 37 लाख 26 हजार मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया गया था। वर्ष 2021-22 में एक करोड़ 28 लाख 16 हजार मीट्रिक टन गेहूँ और 45 लाख 82 हजार मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया गया। पैक्स द्वारा शासकीय उचित मूल्य दुकानों का भी संचालन किया जा रहा है।

सहकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण पैक्स को सशक्त करने के लिये आई.टी. से जोड़ा जा रहा है। मध्यप्रदेश, पैक्स का कम्प्यूटराइजेशन करने वाला देश का पहला राज्य है। प्रदेश की सभी 4 हजार 534 पैक्स का कम्प्यूटराइजेशन किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा 177 करोड़ रूपये की लागत से किये जा रहे पैक्स के कम्प्यूटराइजेशन को अगले 3 वर्ष में पूरा किया जायेगा। पैक्स में माइक्रो एटीएम की स्थापना का कार्य भी प्रगति पर है। नाबार्ड की सहायता से 29 जिला सहकारी बैंक की शाखाओं और उनसे संबद्ध पैक्स में 4 हजार 628 माइक्रो एटीएम की स्थापना की जा रही है। माइक्रो एटीएम से पैक्स तक बैंकिंग सुविधा का विस्तार हो सकेगा।

सहकारिता विभाग द्वारा अनेक क्षेत्र में कार्य कर रही सहकारी संस्थाओं को फेसिलिटेट भी किया जा रहा है। महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में 10 हजार से अधिक महिला बहु-प्रयोजन सहकारी समितियों का गठन सहकारिता विभाग द्वारा किया गया है। ग्रामीण उद्योग और परिवहन, उद्यानिकी, पर्यटन, खनिज, श्रम, सेवा-प्रदाता आदि नये क्षेत्रों में भी विभाग द्वारा 814 सहकारी संस्थाओं का गठन किया गया है। विभिन्न प्रयोजनों के लिये नागरिकों द्वारा सहकारी संस्थाओं का गठन किया जाता है। ऐसे नागरिकों के लिए सहकारी संस्थाओं के गठन को अधिक सुविधाजनक बनाने पंजीयन की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया है। सहकारी संस्थाओं के ऑडिट आवंटन की प्रक्रिया को भी रेण्डम तरीके से ऑनलाइन किया गया है। ऐसा करने वाला प्रदेश, देश का पहला राज्य है।सहकारिता में अधिकाधिक जन-समुदाय, विशेषकर युवाओं और महिलाओं को जोड़ कर इसे जन-आंदोलन का स्वरूप देने पर विभाग कार्य कर रहा है। सहकारी संस्थाओं को आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर और व्यावसायिक इकाई के रूप में विकसित किया जा रहा है।

सहकारिता से उन्नति का पथ प्रशस्त