स्वस्थ जीवन का आधार योग

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स्वस्थ जीवन का आधार योग
स्वस्थ जीवन का आधार योग
राजू यादव
राजू यादव

स्वस्थ जीवन का आधार है योग। योग शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। प्रतिरक्षा से लेकर जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने तक में लाभकारी योगासनों को स्वास्थ्य विशेषज्ञ शारीरिक और मानसिक फिटनेस का मूल मंत्र मानते हैं। योगाभ्यास की आदत आपको शारीरिक रूप से सक्रिय बनाए रखने के साथ कई प्रकार के रोगों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। योगाभ्यास शरीर में लचीलापन,शक्ति और संतुलन बढ़ाता है, तनाव कम करता है, और मन को शांत करता है। स्वस्थ जीवन का आधार योग

प्राणायाम योग का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर और मन को स्वस्थ एवं संतुलित रखने में मदद करता है। यह सांसों को नियंत्रित करने की एक विधि है, जिससे शरीर और मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। नियमित प्राणायाम करने से तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याएँ कम होती हैं। प्राणायाम करने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्म-संयम भी बढ़ता है। यह एक विशेष श्वास-प्रश्वास तकनीक है, जिसमें सांसों को नियंत्रित किया जाता है। यह श्वसन तंत्र को मजबूत करता है, हृदय को स्वस्थ रखता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है। इसके अभ्यास से शरीर की ऊर्जा बढ़ती है, जिससे दिनभर स्फूर्ति और सकारात्मकता बनी रहती है। प्राणायाम न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इसलिए, स्वस्थ जीवन के लिए योग एवं प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करें।

प्राणायाम स्वस्थ जीवन की कुंजी है। योग क्रिया एक सदियों पुरानी परंपरा है, जो आज भी स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। योग में श्वास की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह शरीर और मन को संतुलित करने का कार्य करती है। प्राणायाम श्वास को नियंत्रित करने की एक योगिक विधि है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होती है। संस्कृत में ‘प्राण’ का अर्थ जीवन ऊर्जा और ‘याम’ का अर्थ नियंत्रण होता है, अर्थात प्राणायाम का सीधा अर्थ है—सांसों पर नियंत्रण रखना। इस प्रक्रिया में सांस को भीतर लेना, रोकना और बाहर छोड़ना शामिल होता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है और मन को गहरी शांति मिलती है। नियमित प्राणायाम करने से व्यक्ति तनावमुक्त, ऊर्जावान और मानसिक रूप से संतुलित रहता है। प्राणायाम के अभ्यास से ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा, यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, ध्यान केंद्रित करने और समग्र स्वास्थ्य सुधारने में भी अत्यंत प्रभावी सिद्ध होता है।

स्वस्थ जीवन का आधार प्राणायाम

सेहतमंद रहने के लिए सक्रिय जीवनशैली अपनाना और स्वस्थ आहार का सेवन करना बेहद आवश्यक है। खासतौर पर युवाओं को अपनी दिनचर्या में सकारात्मक बदलाव करने की जरूरत है। क्योंकि आजकल अधिकांश युवा देर रात तक जागने और सुबह देर से उठने की आदत डाल चुके हैं। इस कारण उनकी दिनचर्या अनियमित हो जाती है, जिससे एक्सरसाइज और योग के लिए समय निकालना मुश्किल हो जाता है। अनियमित दिनचर्या और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण कम उम्र में ही कई स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न होने लगती हैं। ऐसे में स्वस्थ और फिट रहने के लिए नियमित योग और प्राणायाम का अभ्यास करना बेहद जरूरी है। प्राणायाम, योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी संतुलित और मजबूत बनाता है। इसके अभ्यास से तनाव कम होता है, एकाग्रता बढ़ती है और शरीर ऊर्जावान महसूस करता है।

कौन सा प्राणायाम प्रतिदिन करना चाहिए..? स्वस्थ जीवन का आधार योग

योगाचार्य के.डी.मिश्रा ने बताया कि आजकल लोगों की जिंदगी में तनाव बहुत है, जिसका बुरा प्रभाव शरीर पर होता है। ऐसे में प्राणायाम एक ऐसी विधि है जो हमें तनाव के साथ-साथ अन्य मानसिक समस्याओं से दूर रखने में मदद कर सकती है। प्राणायाम के अभ्यास से शरीर में ऑक्सीजन का फ्लो बेहतर होता है, जिससे शरीर को एनर्जी मिलती है और पाचन तंत्र के साथ-साथ हार्ट/हेल्थ भी बेहतर रहता है। 

अनुलोम-विलोम प्राणायाम

अनुलोम-विलोम प्राणायाम {नाड़ी शोधन} का अभ्यास तनाव को कम करता है। ध्यान में सुधार करता है। हार्ट हेल्थ को बेहतर करता है और रेस्पिरेटरी हेल्थ को बढ़ावा देता है। इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास मस्तिष्क के दोनों हिस्सों को संतुलित करता है और मानसिक स्पष्टता यानी मेंटल क्लियरिटी बढ़ाता है। नाड़ी शोधन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए सीधे बैठें और दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका बंद करें और बायीं नासिका से सांस लें। अब अनामिका और छोटी उंगली से बायीं नासिका बंद करें और दाहिनी नासिका से सांस छोड़ें। इसी तरह अब दाहिनी नासिका से सांस लें और बायीं नासिका से सांस छोड़ें। नाड़ी शोधन का अभ्यास रोजाना कम से कम 5-10 मिनट करें। हार्ट हेल्थ को बेहतर करने के लिए आप अनुमोल-विलोम कर सकते हैं। प्राणायाम में अनुलोम-विलोम से आप कई रोगों को दूर कर सकते हैं। इसमें एक नाक से सांस लेने के बाद दूसरे से सांस ली जाती है। इसके नियमित अभ्यास से स्ट्रेस दूर होता है। साथ ही आपका मन शांत होता है। अनुलोम-विलोम हार्ट ब्लॉकेज को कम करने में मदद करता है। साथ ही हार्ट ब्लॉकेज के बाद होने वाली समस्याओं को भी कम करता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम (नाड़ी शोधन) शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह दिमाग और नर्वस सिस्टम के लिए फ़ायदेमंद है। यह मानसिक तनाव को कम करता है। यह एकाग्रता, आध्यात्मिक शक्ति, और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है। फेफड़ों को शुद्ध करता है, तनाव कम करता है। यह फेफड़ों को मज़बूत करता है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है।

कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति प्राणायाम का नियमित अभ्यास शरीर को शुद्ध करता है। पाचनशक्ति को बढ़ाता है। फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और मानसिक स्पष्टता में सुधार करता है। इसके साथ ही कपालभाति शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। कपालभाति प्राणायाम मेटाबोलिज्म को भी बढ़ाता है। कपालभाति प्राणायाम करने के लिए आपको पद्मासन और सिद्धासन में बैठना होता है। कपालभाति का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले अपने पेट को ढीला छोड़कर सीधे बैठें। फिर आप सामान्य तरीके से 2-3 बार सांस लें। इसके बाद आपको जोर से सांस अंदर लेना है और उतने ही जोर से बाहर छोड़ना है। आपके सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया का असर यहां आपके पेट पर दिखना चाहिए। इसी तरह 5-10 मिनट तक सांस छोड़ें और फिर लें। इस क्रिया को 20-30 बार करें। कपालभाति प्राणायाम से पाचन तंत्र मज़बूत होता है। गैस,एसिडिटी,कब्ज़ जैसी समस्याओं में आराम मिलता है। कोलेस्ट्रॉल कम होता है। धमनियों में रुकावटें दूर होती हैं। तंत्रिका तंत्र के लिए फ़ायदेमंद होता है। दिमाग़ की कोशिकाओं में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है। हार्मोनल इंबैलेंस ठीक होता है। शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। त्वचा का स्वास्थ्य बेहतर होता है। आंखों के नीचे के काले घेरे ठीक होते हैं। शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है। स्मरण शक्ति और दिमाग तेज़ होता है। बालों को झड़ने से रोकाता है। चेहरे में चमक और निखार आती है।

भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम एक योगासन है। यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। इससे दिमाग शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है। भ्रामरी प्राणायाम करने से माइग्रेन और सिरदर्द जैसी समस्याओं से भी आराम मिलता है। भ्रामरी प्राणायाम मन को तत्काल शांत करता है। यह प्राणायाम मन को उत्तेजना,निराशा और चिंता से मुक्त करने के लिए एक उत्तम श्वसन तकनीक है और यह बहुत हद तक क्रोध को भी दूर करता है। यह एक साधारण तकनीक है जिसे कार्यस्थल या घर, किसी भी स्थान पर किया जा सकता है और तनावमुक्त होने के लिए तात्कालिक विकल्प है। यह प्राणायाम नींद की क्वालिटी को बेहतर करने में भी सहायक होता है। जिन लोगों को सिरदर्द या माइग्रेन की शिकायत रहती है उनके लिए इस प्राणायाम का अभ्यास लाभकारी होता है। भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास कर हार्ट हेल्थ को बेहतर कर सकते हैं। यह शरीर को अधिक ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बना सकता है, जिससे हृदय स्वास्थ्य रहता है। भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए सीधे बैठें और अपनी आंखें बंद करें। अब अपने दोनों हाथों के अंगूठों से कानों को बंद करें। अब ओम का उच्चारण करते हुए गहरी सांस लें और सांस छोड़ते समय मधुमक्खी की आवाज की तरह ‘हम्म’ की आवाज करें। इस प्राणायम का नियमित 5-10 बार करें। 

उज्जयी प्राणायाम

उज्जायी प्राणायाम का नियमित अभ्यास रेस्पिरेटरी सिस्टम को मजबूत करता है और एकाग्रता की क्षमता को बढ़ाता है। इस प्राणायाम का अभ्यास मन को शांत करता है, जिससे तनाव और एंग्जायटी जैसी समस्याएं दूर हो सकती हैं। उज्जयी प्राणायाम से आपके ब्रेन और बॉडी को ऑक्सीजन मिलती है। इससे मन शांत होता है। इस आसन से स्ट्रेस, तनाव, चिंता और हाई बीपी की समस्या में आराम मिलता है। हार्ट की ब्लॉकेज के दौरान आप इस आसन को कर सकते हैं। इससे ऑक्सीजन की मात्रा बढती है। उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए पद्मासन और सिद्धासन आसन में बैठे रहें अब जोर से सांस लें ताकि गले तक से आवाज आए। इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इसमें समुद्र की लहरों के जैसे सांसों से आवाज निकालना है। इससे काफी रिलैक्स मिलता है। दूसरे चरण में अपने मुंह को बंद रखें और नाक से सांस बाहर छोड़ें। इसे कुल 10-15 बार करें।

सूर्यभेदी प्राणायाम

सूर्यभेदी प्राणायाम एक शक्तिशाली योग तकनीक है। जो शरीर में ऊर्जा और मानसिक स्पष्टता लाने में मदद के साथ शरीर को ऊर्जावान और सक्रिय बनाए रखता है। यह प्राणायाम शरीर की पिंगला नाड़ी (सूर्य नाड़ी) को सक्रिय करता है, जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार बढ़ता है और मानसिक स्पष्टता आती है। यह ठंड से बचाव करता है,पाचन में सुधार करता है और रक्त संचार को बढ़ाता है। गैस,अपच और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करता है। हृदय और रक्त संचार प्रणाली को बेहतर बनाता है। शरीर को गर्मी प्रदान करता है और सर्दी-जुकाम में लाभदायक है। याददाश्त और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है। सूर्यभेदी प्राणायाम से ध्यान और मानसिक संतुलन में मदद मिलती है। इससे शरीर की कोशिकाएं पुनर्जीवित होती हैं और उम्र धीमी होती है। इससे नाड़ी संस्थान मज़बूत होता है। इससे कुंडलिनी शक्ति का जागरण होता है। सूर्यभेदी प्राणायाम कोशिकाओं की मरम्मत और पुनर्जीवन में मदद करता है, जिससे आपकी उम्र और त्वचा की झुर्रियां रुक जाती है। यह प्राणायाम विशेष रूप से बुढ़ापा रोकने और शरीर के भीतर युवावस्था बनाए रखने के लिए लाभदायक होता है। यदि इसे सही विधि से किया जाए,तो यह समग्र स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। सूर्यभेदी प्राणायाम का तात्पर्य यह है कि यह प्राणायाम सूर्य ऊर्जा को शरीर में प्रवाहित करता है और ठंडक को दूर करता है। इसमें दाईं नासिका छिद्र (सूर्य नाड़ी) से श्वास अंदर ली जाती है और बाईं नासिका छिद्र (चंद्र नाड़ी) से श्वास बाहर छोड़ी जाती है।

शीतली प्राणायाम स्वस्थ जीवन का आधार योग

शीतकारी प्राणायाम फुसफुसाती सांस शीतली प्राणायाम और शीतकारी प्राणायाम में हम मुंह से सांस लेते हैं। ये अजगर की सांस लेने की प्रक्रिया की तरह ही है। अजगर, मुर्गी, हिरण के बच्चे मुंह खोलकर गहरी सांस लेते हैं और वे सभी हवा के साथ अंदर चले जाते हैं और इसे पचाने की क्षमता रखते हैं। शीतली प्राणायाम, गर्मी में शरीर को ठंडा रखने का एक योगासन है। यह प्राणायाम करने से गुस्सा कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है। इस प्राणायाम से बॉडी को ठंडा रखने का प्रयास किया जाता है। हाई बीपी की समस्या में आराम मिलता है। नर्वस सिस्टम की परेशानियों में फ़ायदेमंद है। गुस्सा कंट्रोल करने में मदद मिलती है। शरीर को स्वस्थ बनाता है। पहले की ही तरह पद्मासन और सिद्धासन आसन में बैठ जाएं। अब से 6 बार गहरी सांस लें। अब अपने मुंह से ओ शेप बनाएं और जोर सांस अदर लें और नाकों से सांस बाहर निकालें। यह प्राणायाम भूख,प्यास, नींद और आलस की समस्या को दूर कनरने में फायदेमंद है। यह प्राणायाम दांतों और मसूड़ों के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना जाता है।इसे भी 5-10 बार दोहराएं।

स्वस्थ जीवन का आधार प्राणायाम

भस्त्रिका प्राणायाम स्वस्थ जीवन का आधार योग

भस्त्रिका प्राणायाम योग की एक महत्वपूर्ण श्वास तकनीक है, जिसे “प्राणायाम का इंजन” भी कहा जाता है। भस्त्रिका प्राणायाम में तेजी से श्वास अंदर लेने और बाहर छोड़ने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह प्राणायाम शरीर को गर्म करता है और ऊर्जावान बनाता है। यह शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाता है, फेफड़ों की कार्यक्षमता को सुधारता है और मानसिक स्पष्टता लाने में मदद करता है। भस्त्रिका प्राणायाम एक शक्तिशाली योग अभ्यास है, जो शरीर और मन दोनों को सशक्त बनाता है। इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों प्राप्त कर सकते हैं। रोज भस्त्रिका प्राणायाम किया जाए तो शारिरिक रूप के साथ-साथ मानसिक रूप से भी स्वस्थ्य रह सकते हैं। भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए पद्मासन या फिर सुखासन में बैठ जाएं। कमर, गर्दन, पीठ एवं रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए शरीर को बिल्कुल स्थिर रखें। इसके बाद बिना शरीर को हिलाए दोनों नासिका छिद्र से आवाज करते हुए श्वास भरें। फिर आवाज करते हुए ही श्वास को बाहर छोड़ें। अब तेज गति से आवाज लेते हुए सांस भरें और बाहर निकालें। यही क्रिया भस्त्रिका प्राणायाम कहलाती है। हमारे दोनों हाथ घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रहेंगे और आंखें बंद रहेंगी। ध्यान रहे, श्वास लेते और छोड़ते वक्त हमारी लय ना टूटे। भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास से मोटापा दूर होता है। शरीर को प्राणवायु अधिक मात्र में मिलती है और कार्बन-डाई-ऑक्साइड शरीर से बाहर निकलती है। इस प्राणायाम से रक्त की सफाई होती है। शरीर के सभी अंगों तक रक्त का संचार भली-भांति होता है। जठराग्नि तेज हो जाती है। दमा, टीवी और सांसों के रोग दूर हो जाते हैं। फेफड़े को बल मिलता है, स्नायुमंडल सबल होता है। वात, पित्त और कफ के दोष दूर होते है। इससे पाचन संस्थान, लीवर और किडनी की मसाज होती है।

प्राणायाम के शारीरिक लाभ:- प्राणायाम तनाव,चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है। नियमित प्राणायाम से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। प्राणायाम हृदय गति को नियंत्रित करने और रक्तचाप को कम करने में मदद करते हैं। प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और सांस लेने में सुधार करता है। नियमित प्राणायाम से पाचन क्रिया बेहतर होती हैं। प्राणायाम शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है और थकान को कम करता है। प्राणायाम शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे त्वचा में निखार आता है। प्राणायाम से शरीर के अंगों की मसाज होती है, जिससे शरीर के सभी टॉक्सिन यूरिन के रास्ते से बाहर निकल जाते हैं।

प्राणायाम के मानसिक लाभ:-प्राणायाम ध्यान केंद्रित करने और एकाग्रता में सुधार करने में मदद करता है। प्राणायाम मन को शांत और स्थिर बनाता है। प्राणायाम आत्म-जागरूकता को बढ़ाता है और व्यक्ति को अपने मन और शरीर के साथ बेहतर ढंग से जुड़ने में मदद करता है। प्राणायाम आत्म-नियंत्रण और आत्म-संयम में सुधार करने में मदद करता है। प्राणायाम मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता में सुधार करता है।

प्राणायाम के चमत्कारी लाभ:- प्राणायाम से शरीर में प्राण शक्ति (ऊर्जा) बढ़ती है, जिससे व्यक्ति को अधिक ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस होता है। इससे मन शांत और स्थिर होता है, जिससे व्यक्ति को तनाव और चिंता से राहत मिलती है। प्राणायाम से शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है, जिससे व्यक्ति को स्वस्थ और हल्का महसूस होता है। प्राणायाम से व्यक्ति को अपने मन और शरीर के साथ बेहतर ढंग से जुड़ने में मदद मिलती है, जिससे व्यक्ति को आत्म-जागरूकता और आत्म-नियंत्रण में सुधार होता है।

योग के माध्यम से आप कई बीमारियों से खुद का बचाव कर सकते हैं और आज पूरी दुनिया इस तथ्य को स्वीकार कर चुकी है। यही कारण है कि योगाभ्यास करने वालों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। शारीरिक गतिविधियों की कमी को पूरा करने के लिए योग और ध्यान (मेडिटेशन) का अभ्यास सबसे अच्छा विकल्प है। इससे न केवल तन स्वस्थ रहता है, बल्कि मन भी शांत और संतुलित बना रहता है। आज के समय में तनाव, शारीरिक निष्क्रियता और अस्वस्थ जीवनशैली के कारण कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएँ आम हो गई हैं। ये सभी हृदय रोगों के प्रमुख कारण माने जाते हैं। इन समस्याओं से बचाव के लिए योग और प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करना आवश्यक है। नियमित प्राणायाम से शरीर में ऑक्सीजन का संचार बेहतर होता है, रक्त संचार सुचारू रूप से चलता है और मानसिक तनाव कम होता है। इसलिए, स्वस्थ जीवन के लिए योग, प्राणायाम और सही जीवनशैली को अपनाएं और बीमारियों से दूर रहें। योग/प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल कर स्वस्थ जीवन का आनंद लें।

इन सभी प्राणायाम का नियमित अभ्यास आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है। इन प्राणायामों का अभ्यास करते समय हमेशा ध्यान रखें कि किसी भी प्रकार की असुविधा महसूस होने पर तुरंत बंद कर दें।  स्वस्थ जीवन का आधार योग