विश्व शांति दिवस

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विश्व शांति दिवस
विश्व शांति दिवस

अजय कुमार झा

अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस प्रत्येक वर्ष 21 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा शांति और शांतिपूर्ण समाधानों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना है, और हिंसा और युद्ध को रोकना है। अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस की शुरुआत 1981 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें शांति मार्च, सेमिनार, और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं। इस दिवस के अवसर पर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एक संदेश जारी करते हैं, जिसमें शांति और शांतिपूर्ण समाधानों के महत्व पर जोर दिया जाता है। इसके अलावा, दुनिया भर में शांति के प्रतीक के रूप में शांति की मोमबत्तियां जलाई जाती हैं।अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस हमें शांति और शांतिपूर्ण समाधानों के महत्व की याद दिलाता है, और हमें हिंसा और युद्ध के विनाशकारी परिणामों से अवगत कराता है।  विश्व शांति दिवस

आज के दौर में विश्व को शांति की बहुत अधिक जरूरत है। विश्व में कई चुनौतियाँ और समस्याएँ हैं जो शांति को खतरे में डालती हैं, जैसे कि:युद्ध और हिंसा, आतंकवाद, संघर्ष और तनाव,आर्थिक असमानता, पर्यावरण संकट, सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल। आज कमोबेश पूरी दुनिया में जिस तरह के हाल और हालात बन रहे हैं वो निश्चय ही विश्व शांति के लिए बहुत बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं , पिछले कुछ सालों से चल रहे युद्द रूस यूक्रेन , इसराइल फिलिस्तीन के अतिरिक्त चीन ताईवान और उत्तर कोरिया की हथियारों के प्रति बढ़ती सनक तो सीधे सीधे धरती की शांति को खतरे में डाल रहे हैं।

इन समस्याओं के कारण, विश्व में शांति और स्थिरता की कमी हो रही है। शांति की जरूरत है ताकि: मानव जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।आर्थिक विकास और प्रगति हो सके. सामाजिक और सांस्कृतिक विकास हो सके पर्यावरण संरक्षण हो सके विश्व में एकता और सहयोग बढ़ सके। शांति की जरूरत है ताकि हम एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें और विश्व को एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित स्थान बना सकें।विश्व शांति के लिए कई खतरे हो सकते हैं।

प्रमुख खतरे इस प्रकार हैं:-

युद्ध और हिंसा: देशों के बीच युद्ध, आतंकवाद, और हिंसा विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

राजनीतिक तनाव: देशों के बीच राजनीतिक तनाव, विवाद, और मतभेद विश्व शांति को खतरे में डाल सकते हैं।

आर्थिक असमानता: आर्थिक असमानता, गरीबी, और बेरोजगारी विश्व शांति के लिए खतरा हो सकती है।

पर्यावरण संकट: पर्यावरण संकट, जैसे कि जलवायु परिवर्तन, विश्व शांति के लिए खतरा हो सकता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक मतभेद: सामाजिक और सांस्कृतिक मतभेद, जैसे कि धर्म, जाति, और भाषा के आधार पर मतभेद, विश्व शांति के लिए खतरा हो सकते हैं।

प्रौद्योगिकी और साइबर हमले: प्रौद्योगिकी और साइबर हमले विश्व शांति के लिए खतरा हो सकते हैं।

महामारी और स्वास्थ्य संकट: महामारी और स्वास्थ्य संकट विश्व शांति के लिए खतरा हो सकते हैं।

इन खतरों को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, संवाद, और समझौते महत्वपूर्ण हैं।दक्षिण एशिया में शांति की स्थिति जटिल है, क्योंकि यह क्षेत्र विविध देशों और संस्कृतियों का मेल है। कुछ देशों में शांति और स्थिरता है, जबकि अन्य में तनाव और संघर्ष हैं भारत, नेपाल, और भूटान जैसे देशों में अपेक्षाकृत शांति है, जबकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और म्यांमार में संघर्ष और तनाव हैं और पड़ोसी देश बांग्लादेश में तो अभी हाल ही में तख्तापलट के बाद स्थिति नारकीय है।  इसके अलावा, इस क्षेत्र में आर्थिक असमानता, राजनीतिक तनाव, और सामाजिक-आर्थिक मुद्दे भी शांति को प्रभावित करते हैं। मजहबी कट्टरता विश्व शांति के लिए एक बड़ा खतरा है। यह विभिन्न समुदायों और देशों के बीच तनाव और संघर्ष को बढ़ावा देती है और अक्सर हिंसा और आतंकवाद को जन्म देती है।

मजहबी कट्टरता के कारण:- 

अन्य मतों के प्रति असहिष्णुता: कट्टरपंथी अक्सर अपने मत को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं और अन्य मतों के प्रति असहिष्णु होते हैं।

 हिंसा और आतंकवाद: कट्टरपंथी अक्सर हिंसा और आतंकवाद का सहारा लेते हैं अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए। 

सामाजिक विभाजन: कट्टरपंथी अक्सर सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देते हैं और समाज को विभाजित करते हैं। 

शिक्षा और ज्ञान के प्रति बाधा: कट्टरपंथी अक्सर शिक्षा और ज्ञान के प्रति बाधा बनते हैं और लोगों को स्वतंत्र रूप से सोचने  से रोकते हैं।विश्व शांति को बनाए रखने के लिए, यह आवश्यक है कि हम मजहबी कट्टरता के खिलाफ एकजुट हों और सहिष्णुता, संवाद, और शिक्षा को बढ़ावा दें।

भारत विश्व शांति के लिए एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रहा है और इसके प्रयासों ने वैश्विक शांति और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत के प्रयासों में शामिल हैं:-

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भागीदारी: भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जैसे कि कांगो और साइप्रस में शांति स्थापना मिशन। 

अहिंसा और शांतिपूर्ण सह अस्तित्व का पालन: भारत अहिंसा और शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के सिद्धांतों का पालन करता है, जो विश्व शांति के लिए महत्वपूर्ण हैं।

विकास सहयोग: भारत विकासशील देशों के साथ सहयोग करता है, जिससे उनकी आर्थिक और सामाजिक विकास में मदद मिलती है।

क्षेत्रीय संगठनों में भागीदारी: भारत क्षेत्रीय संगठनों जैसे कि सार्क और बिम्सटेक में सक्रिय रूप से भाग लेता है, जो क्षेत्रीय शांति और सहयोग को बढ़ावा देते हैं।

 शांति और सुरक्षा पर वैश्विक चर्चा में भागीदारी: भारत शांति और सुरक्षा पर वैश्विक चर्चा में सक्रिय रूप से भाग लेता है, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इसकी सदस्यता। भारत के योगदान और प्रभाव ने विश्व शांति को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और इसके प्रयास जारी हैं।

आतंकवाद विश्व शांति के लिए एक बड़ा खतरा है क्योंकि यह:-

हिंसा और मौत को बढ़ावा देता है: आतंकवाद हिंसा और मौत को बढ़ावा देता है, जिससे निर्दोष लोगों की जान जाती है और समाज में डर और अस्थिरता फैलती है। 

सामाजिक और आर्थिक विकास को रोकता है: आतंकवाद सामाजिक और आर्थिक विकास को रोकता है क्योंकि यह निवेश और पर्यटन को प्रभावित करता है और संसाधनों को सुरक्षा पर केंद्रित करने के लिए मजबूर करता है।

राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा देता है: आतंकवाद राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा देता है, क्योंकि यह सरकारों और संस्थाओं पर दबाव डालता है और सामाजिक तनाव को बढ़ाता है।

वैश्विक संबंधों को प्रभावित करता है: आतंकवाद वैश्विक संबंधों को प्रभावित करता है, क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सुरक्षा को प्रभावित करता है।

मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है: आतंकवाद मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है, क्योंकि यह निर्दोष लोगों को निशाना बनाता है और उनके अधिकारों का हनन करता है।आतंकवाद विश्व शांति के लिए एक बड़ा खतरा है, और इसके खिलाफ लड़ने के लिए वैश्विक सहयोग और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।

विस्तारवाद की नीति और देशों के बीच आर्थिक असमानता  से भी विश्व शांति को बहुत बड़ा खतरा है, क्योंकि यह:-

सीमाओं के विवाद को बढ़ाता है: विस्तारवाद सीमाओं के विवाद को बढ़ाता है, जिससे युद्ध और संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है। 

स्थानीय संघर्षों को बढ़ावा देता है: विस्तारवाद स्थानीय संघर्षों को बढ़ावा देता है, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता फैलती है।

अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करता है: विस्तारवाद अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करता है, जिससे वैश्विक तनाव और संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है।

मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है: विस्तारवाद मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है, क्योंकि यह स्थानीय आबादी के अधिकारों का हनन करता है। 

वैश्विक सुरक्षा को खतरा पहुंचाता है: विस्तारवाद वैश्विक सुरक्षा को खतरा पहुंचाता है, क्योंकि यह युद्ध और संघर्ष की संभावना बढ़ाता है। विश्व शांति दिवस