नूंह-सोहना में साम्प्रदायिक फसाद क्यों हुआ..?

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नूंह-सोहना में साम्प्रदायिक फसाद क्यों हुआ..?
नूंह-सोहना में साम्प्रदायिक फसाद क्यों हुआ..?

आखिर हरियाणा के नूंह-सोहना में साम्प्रदायिक फसाद क्यों हुआ…? आखिर दंगाइयों के सामने हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा क्यों फेल हो जाते हैं….? अब एयर फोर्स सतर्क। राजस्थान के भरतपुर में निगरानी बढ़ाई। नूंह में कर्फ्यू, भरतपुर में नेटबंदी। नूंह-सोहना में साम्प्रदायिक फसाद क्यों हुआ..?

एस पी मित्तल

31 जुलाई को हरियाणा के नूंह-सोहना में विश्व हिन्दू परिषद की शोभायात्रा पर पहले पत्थरबाजी और फिर आगजनी की जो घटनाएं हुई उससे सवाल उठता है कि दंगाइयों के सामने हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा क्यों फेल हो जाता है? आखिर कौन लोग हैं जो उकसावे की कार्यवाही कर मौके से भाग जाते हैं और आम हिन्दू मुसलमान हिंसा की आग में झुलस जाता है। शोभायात्रा पर जिस तरह पथराव हुआ, उससे प्रतीत होता है कि यह सुनियोजित था। सब जानते हैं कि हरियाणा का नूंह सोहना साहब साइबर क्राइम का हब है। यहां ऐसे साइबर अपराधियों के ठिकाने हैं जो भारत सहित अन्य देशों में मोबाइल पर ठगने का काम करते हैं। कई बार पुलिस ने यहां से साइबर अपराधियों को पकड़ा है। साइबर क्राइम की स्थिति को देखते हुए ही सरकार ने नूंह में साइबर पुलिस थाना स्थापित किया। इस थाने से साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसा जाने लगा।

पुलिस की इस कार्यवाही से साइबर अपराधी गुस्से में थे। 31 जुलाई को जब हालात बिगड़े तो सबसे ज्यादा निशाना साइबर थाने को ही बनाया गया। साइबर थाना पहुंचने के लिए रास्ते में जो वाहन खड़े मिले, उनमें आग लगा दी। एम्बुलेंस को भी नहीं छोड़ा गया। थाने पहुंचने के बाद दंगाइयों का मकसद कम्प्यूटरों में रखे डेटा को नष्ट करना था, इसलिए पूरे थाने को आग के हवाले करने का प्रयास किया गया। यह बात अलग है कि दंगाइयों को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। सवाल यह भी है कि पथराव के समय सैकड़ों लोग सड़कों पर कैसे आ जाते हैं? क्या पहले से ही योजना बन जाती है? दुकानों, वाहनों आदि में आग लगाने की घटनाओं को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो लोग हिंसा के जिम्मेदार होते हैं, वही बाद में शांति समिति में शामिल होकर हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की बात करते हैं। 31 जुलाई की घटना के बाद पूरे हरियाणा में तनाव हो गया। सरकार ने एयर फोर्स को सतर्क रहने का आग्रह किया है ताकि सड़क मार्ग जाम होने पर एयरफोर्स के जरिए सुरक्षा बलों को भेजा जा सके। देश के विभाजन के समय में भी हरियाणा, राजस्थान की सीमा पर जान लेवा घटनाएं हुई थी।

31 जुलाई को भी 75 वर्ष पुराने हालात ही नजर आए। भले ही 31 जुलाई की हिंसा में तीन जनों की ही मौत हुई हो, लेकिन मंजर बहुत डरावना था। अभी भी हालात पूरी तरह नियंत्रण में नहीं है। हालांकि हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने हालात नियंत्रण में होने का दावा किया है, लेकिन तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए प्रतीत होता है कि हरियाणा के अन्य क्षेत्रों में भी असर पड़ेगा। हालात को देखते हुए पड़ोसी राज्य राजस्थान ने अपने अलवर और भरतपुर जिलों में सतर्कता बढ़ा दी है तथा दोनों ही पक्षों पर नजर रखी जा रही है। कई बार हरियाणा के अपराधी अलवर भरतपुर में शरण ले लेते हैं। संभागीय आयुक्त के निर्देश पर भरतपुर में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी है तथा हरियाणा के नूंह में कर्फ्यू लगा दिया गया है। नूंह-सोहना में साम्प्रदायिक फसाद क्यों हुआ..?