क्या फर्क है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के बयानों में। गहलोत ने भी अपनी ही पार्टी के विधायकों पर भाजपा से बीस बीस करोड़ रुपए लेने के आरोप लगाए थे। लाल डायरी के मामले में आखिर धर्मेन्द्र राठौड़ चुप क्यों हैं…? लोकतंत्र का इतना पाठ पढ़ने के बाद भी राजस्थान विधानसभा में शर्मसार करने वाली वारदातें। कार्टूनिस्ट जसवंत दारा का सटीक कार्टून।
एस.पी.मित्तल
कांग्रेस के निलंबित विधायक और बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा का लाल डायरी वाला बयान इन दिनों मीडिया में छाया हुआ है। गुढ़ा का कहना है कि 13 जुलाई 2020 को जब इनकम टैक्स और ईडी रेड आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ के यहां हुई तब वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आग्रह पर रेड वाले स्थान पर गए और एक डायरी निकाल कर लाए। गुढ़ा का कहना है कि इस डायरी में विधायकों की खरीद फरोख्त का हिसाब किताब है। इस डायरी में लिखावट धर्मेन्द्र राठौड़ की है। यह सही है कि राजेंद्र गुढ़ा भी सीएम गहलोत के भरोसेमंद विधायकों में से रहे, लेकिन अब जब विधानसभा चुनाव में 70 दिनों से भी कम समय रह गया है, तब राजेंद्र गुढ़ा मुख्यमंत्री की पोल खोलने में लगे हुए हैं। गुढ़ा के लाल डायरी वाले बयान पर अनेक सवाल हैं, लेकिन गुढ़ा का यह बयान भी वैसा ही है, जैसा सीएम गहलोत ने अपनी ही पार्टी के विधायकों पर आरोप लगाए थे। जुलाई 2020 में कांग्रेस के जो 18 विधायक सचिन पायलट के नेतृत्व में दिल्ली गए उनके बारे में गहलोत का कहना है कि इन्होंने भाजपा से 20-20 करोड़ रुपए लिए हैं। सीएम गहलोत का यह भी कहना रहा कि ऐसे विधायकों को 20 करोड़ रुपए वाली राशि वापस लौटा देनी चाहिए ताकि भाजपा का कोई दबाव न रहे।
यह बात अलग है कि 20-20 करोड़ रुपए लेने का कोई सबूत गहलोत ने आज तक प्रस्तुत नहीं किया है। लेकिन अपनी ही पार्टी के विधायकों के बिक जाने के बात गहलोत ने बार बार कही है। सवाल उठता है कि जब सीएम गहलोत अपनी ही बात सच बता रहे हैं तब राजेंद्र गुढ़ा की बात को झूठा कैसे बताया जा सकता है। यदि गुढ़ा का कथन झूठा है तो फिर गहलोत का कथन भी झूठा माना जाना चाहिए। सब जानते हैं कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते गहलोत ने सचिन पायलट के समर्थक विधायकों पर आरोप लगाए थे। अब वो ही रास्ता राजेंद्र गुढ़ा अख्तियार कर रहे हैं। गहलोत ने जिन हालातों में अपनी सरकार चलाई वह किसी से छिपा नहीं है। राजेंद्र गुढ़ा तो इतने भरोसे के थे कि गहलोत ने सार्वजनिक मंच से कहा यदि राजेंद्र गुढ़ा नहीं होते तो मैं मुख्यमंत्री के पद पर भी नहीं होता। यानी राजेंद्र गुढ़ा को यह पता है कि किन तौर तरीकों से सीएम के पद पर बने हुए हैं। भले ही अब राजेंद्र गुढ़ा का पास अपनी लाल डायरी न हो, लेकिन लाल डायरी किस्से कहानी सुनाने में गुढ़ा कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। स्वाभाविक है कि भाजपा भी राजेंद्र गुढ़ा के बयान को राजनीतिक मुद्दा बनाएगी। आगामी विधानसभा चुनाव में जगह जगह लाल डायरी का जिक्र होगा। लाल डायरी की काली लिखावट से गहलोत का आसानी से पीछा नहीं छुटेगा।
जहां तक राजेंद्र गुढ़ा का रेड के दौरान कोई डायरी निकालने की बात है तो यह अजीबो गरीब है। इनकम टैक्स और ईडी की रेड के समय जयपुर में केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात थे। ऐसे में कोई भी व्यक्ति रेड वाले स्थान पर प्रवेश नहीं कर सकता है। यदि गुढ़ा ने रेड के दौरान कोई डायरी हासिल की है तो यह आपराधिक कृत्य माना जाएगा। इनकम टैक्स और ईडी को तत्काल राजेंद्र गुढ़ा के खिलाफ आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाना चाहिए। सब जानते हैं कि राजेंद्र गुढ़ा ने दो बार बसपा को धोखा दिया है। वर्ष 2008 और 2018 में गुढ़ा ने उदयपुरवाटी से बसपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और विधायक बनने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। बसपा जैसी पार्टी को दो दो बार धोखा देने वाले गुढ़ा इतने भोले नहीं है कि रेड वाली डायरी चुप चाप सीएम गहलोत को दे दें। यदि वाकई डायरी थी तो गुढ़ा ने फोटो कॉपी जरूर करवाई होगी। 24 जुलाई को विधानसभा में गुढ़ा ने कोई डायरी नहीं बल्कि लाल फाइल लहराई। इस फाइल में क्या है यह गुढ़ा ही जानते हैं।
लोकतंत्र का पाठ
पौने पांच साल पहले सीपी जोशी जब राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष बने तभी से विधानसभा में लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने के लिए लगातार आयोजन हो रहे हैं। लोकतंत्र के जानकार विशेषज्ञों को बुलाकर विधायकों को जानकारी दिलवाई जा रही है। हर विशेष का कहना रहा कि विधायकों को सदन में मर्यादित आचरण करना चाहिए। सभी ने सदन में हंगामे को अमर्यादित आचरण बताया। मौजूदा मानसून सत्र की शुरुआत पर तो सीपी जोशी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बुलाकर संबोधन करवाया। राष्ट्रपति ने भी सूचारू सदन चलाने की सीख दी। खुद सीपी जोशी भी सदन में सख्ती के साथ नियमों की पालना करवाते हैं। लेकिन इसके बाद भी 24 जुलाई को राजस्थान विधानसभा में जो कुछ हुआ वह लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला रहा। विधायकों और मंत्रियों के बीच लात घूसे चले। एक विधायक को जमीन पर पटक कर पीटा गया। हालात इतने खराब हुए कि अध्यक्ष जोशी को विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। अभी भी विधानसभा 2 अगस्त तक के लिए स्थगित है। यानी सीपी जोशी जैसे अध्यक्ष के लिए भी विधानसभा का संचालन कठिन हो रहा है। सवाल उठता है कि लोकतंत्र की मर्यादा का इतना पाठ पढ़ने के बाद भी विधानसभा में शर्मसार करने वाले वारदातें क्यों हो रही हैं।
दारा का कार्टून:- राजस्थान में लाल डायरी को लेकर अशोक गहलोत की सरकार जिस तरह उलझी है, उस पर कार्टूनिस्ट जसवंत दारा ने सटीक कार्टून बनाया है।