भगवा आतंकवाद का सच फिर सामने आया।अब सुशील कुमार शिंदे ने बयान दिया है कि भगवा आतंकवाद जैसी कोई बात नहीं थी। उन्होंने गलत बोला था और आज उन्हें इसका बहुत अफसोस है। उन्होंने कहा है कि उन्हें पता था कि वो गलत बोल रहे हैं। भगवा आतंकवाद का सच
राजेश कुमार पासी
2013 में यूपीए सरकार के दौरान गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बयान दिया था कि देश में भगवा आतंकवाद फैल रहा है। उन्होंने कहा था कि भाजपा और आरएसएस के ट्रेनिंग कैंपो में आतंकवाद की ट्रेनिंग दी जा रही है और देश पर भगवा आतंकवाद को बड़ा खतरा बताया था। तब से कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं ने भगवा आतंकवाद का शोर मचाना शुरू कर दिया था। शिंदे देश के गृहमंत्री थे और उन्होंने कहा था कि एक जांच रिपोर्ट से हमें ट्रेनिंग कैंपो की जानकारी मिली है, इसलिये कांग्रेस और विपक्ष के दूसरे नेताओं के पास अपनी बात को साबित करने के लिए उनका बयान ही काफी था।
अब सुशील कुमार शिंदे ने बयान दिया है कि भगवा आतंकवाद जैसी कोई बात नहीं थी। उन्होंने गलत बोला था और आज उन्हें इसका बहुत अफसोस है। उन्होंने कहा है कि उन्हें पता था कि वो गलत बोल रहे हैं। इसलिए उन्होंने यह बात कभी भी संसद में एक मंत्री के रूप में नहीं बोली थी । उन्होंने भगवा आतंकवाद की बात सिर्फ पार्टी के मंचो पर ही बोली थी और ऐसा उन्होंने अपनी मर्जी से नहीं किया था। उनका कहना है कि इसके लिए उन्हें पार्टी से निर्देश मिला था।
सवाल पैदा होता है कि देश के गृह मंत्री को झूठ बोलने के लिए मजबूर करने की किसकी हैसियत थी। दूसरा बड़ा सवाल यह है कि 11 साल बाद सुशील कुमार शिंदे को अपने झूठ पर अफसोस क्यों हो रहा है। उनके इस बयान की आड़ में 11 सालों से हिंदुओं को आतंकवादी साबित करने की कोशिश करने वाले भी क्या अपने बयानों पर अफसोस जाहिर करेंगे। क्या उनके बयान से यह साबित नहीं होता कि कांग्रेस एक हिन्दू विरोधी पार्टी है, जो बिना किसी सबूत के भगवा आतंकवाद का हव्वा खड़ा कर रही थी। कितनी अजीब बात है कि कांग्रेस ने कभी इस्लामिक आतंकवाद की बात नहीं की लेकिन बिना किसी सबूत के देश में भगवा आतंकवाद का विमर्श चला दिया। क्या कांग्रेस अपने इस पाप के लिए माफी मांगेगी।
मुंबई पर 26/11 हमले के बाद इस देश में भगवा आतंकवाद का विमर्श चलाने की कोशिश की गई हालांकि बहुत कोशिशों के बावजूद यह चल नहीं पाया। दिग्विजय सिंह ने मुंबई हमले को आरएसएस की साजिश बता दिया था। मुम्बई हमला करने वाले आतंकवादी भी कलावा पहनकर हिन्दू नाम वाले पहचान पत्र लेकर आये थे। अगर कसाब पकड़ा नहीं जाता तो शायद उसे भगवा आतंकी सिद्ध कर दिया जाता। दिग्विजय सिंह ने कभी भी मुम्बई हमलों में संघ का नाम घसीटने के लिए अफसोस जाहिर नहीं किया। मुंबई हमले की जांच करने वाले एक अधिकारी ने कहा था कि षड्यंत्रकारियों ने इसकी पूरी योजना बनाई थी कि उस हमले को हिन्दू आंतकवादियो की करतूत साबित कर दिया जाए। देखा जाए तो अगर कसाब नहीं पकड़ा जाता तो षड्यंत्रकारी अपनी योजना में सफल हो गए होते।
पिछले दिनों शरद पवार ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा है कि उनके मुख्यमंत्री काल के दौरान 1993 में मुम्बई में हुए सीरियल ब्लास्ट में कुल 12 जगहों पर बम विस्फोट हुए थे । यह सभी बम विस्फोट हिन्दू आबादी वाले इलाकों में किये गए थे. जब उन्हें यह बात पता चली तो उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 13 बम विस्फोट होने का बयान जारी कर दिया। एक मुस्लिम इलाके में बम विस्फोट होने की झूठी खबर मीडिया को दे दी गई ताकि हिंदुओ को संदेश जाए कि बम विस्फोट उनको निशाना बनाकर नहीं किये गए हैं, एक मुस्लिम इलाके को भी शिकार बनाया गया है। इससे साबित होता है कि कांग्रेस ने भगवा आतंकवाद का शोर मचाकर इस्लामिक आतंकवाद को संतुलित करने की कोशिश की थी । कांग्रेस की कोशिश थी कि देश में सिर्फ मुस्लिम आतंकवाद की बात न हो। अगर यह बात हो तो इसके जवाब में भगवा आतंकवाद की बात कह कर हिन्दू समाज को चुप करा दिया जाए। देखा जाए तो कांग्रेस को अपनी इस साजिश में सफलता भी मिली क्योंकि कांग्रेस के नेता और उसके समर्थक मीडिया गिरोह हिन्दू आतंकवाद की बात बार-बार कहते रहे हैं।
मालेगांव बम विस्फोट के मामले में भी ऐसी कोशिश की गई थी । मालेगांव के असली हमलावरों को बच निकलने का मौका दिया गया है और उस हमले के लिए कई हिंदुओ को फंसा दिया गया और आज भी वो लोग मुकदमें में फंसे हुए हैं। निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए झूठे गवाह तैयार किये गए, इसलिये ज्यादातर गवाह मुकर चुके हैं। उनका कहना है कि उनसे जबरदस्ती बयान दिलवाए गए थे। मेरा मानना है कि यूपीए सरकार के दौरान भगवा आतंकवाद का विमर्श चलाने की भरपूर कोशिश की गई थी जो सफल नहीं हो पाई क्योंकि उसका कोई आधार नहीं था। अगर सरकार ने भगवा आतंकवाद का हव्वा खड़ा करने की जगह आतंकवाद रोकने की कोशिश की होती तो देश के लिए बेहतर होता। कांग्रेस की नीयत किसी प्रकार भी आतंकवाद को रोकने की नहीं थी बल्कि उसके समांतर भगवा आतंकवाद का विमर्श खड़ा करने की थी ।
कांग्रेस न तो इस्लामिक आतंकवाद को रोक पाई और न ही भगवा आतंकवाद का हव्वा खड़ा कर पाई। पूरे देश में आतंकवादी जहां चाहे हमले कर रहे थे और उनको रोकने वाला कोई नहीं था। सवाल यह है कि जब 2014 में मोदी सरकार ने आकर आतंकवाद पर लगाम लगा दी तो यह काम कांग्रेस सरकार दस साल तक क्यों नहीं कर पाई। आज आतंकवादी हमले जम्मू-कश्मीर तक सीमित हो गए हैं और नक्सलवाद पर भी कुछ हद तक रोक लगी है लेकिन कांग्रेस के समय ऐसा क्यों नहीं हो सका। वास्तव में कांग्रेस ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं की। उसे लगता था कि अगर वो आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी तो उसका मुस्लिम वोट बैंक नाराज हो जाएगा। यही कारण है कि कांग्रेस ने 26/11 का मुम्बई हमला होने के बाद भी पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। कांग्रेस की सरकार सिर्फ पाकिस्तान को डोजियर पर डोजियर भेजती रही और उसकी कार्यवाही का इंतज़ार करती रही लेकिन पाकिस्तान अपने पालतुओं के खिलाफ कार्यवाही क्यों करता और उसने नहीं की।
कांग्रेस एक छोटी सी बात समझ नहीं पाई कि आतंकवाद का सबसे ज्यादा नुकसान मुस्लिम समाज को ही होता है। आतंकवाद ने इस्लाम को बदनाम कर दिया है। कट्टरता और आतंकवाद किसी भी धर्म के लोगों द्वारा फैलाये जाए, वो उस धर्म का ही नुकसान करेंगे। गाज़ा के कुछ आतंकवादियो ने इजराइल पर हमला किया लेकिन उसकी सजा पूरे गाज़ा निवासियों को मिली है। अब तक लगभग 45000 लोग मारे जा चुके हैं और पूरा गाज़ा मिट्टी में मिल चुका है। आतंकवाद के कारण इराक, सीरिया, यमन, लेबनान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और कई अफ्रीकी देश बर्बादी की ओर जा रहे हैं। सवाल यह है कि इन देशों में फैले आतंकवाद के कारण कौन लोग मर रहे हैं। अगर कभी सच में भगवा आतंकवाद पैदा हुआ तो उसकी कीमत हिन्दू समाज ही चुकाएगा। आतंकवाद की अनदेखी करना या उसका बचाव करना बहुत घातक है। जो लोग 1200 इजराइलियों के मरने का जश्न मना रहे थे, वही आज 45000 लोगों के मरने से दुखी हैं और यह गिनती बढ़ती जाएगी क्योंकि इजराइल की कार्यवाही लेबनान, यमन से ईरान तक जाएगी ।
मुस्लिम देशों की बरबादी के पीछे सबसे बड़ा कारण आतंकवाद है और सच यह है कि इसे पैदा करने वाले वही लोग हैं जो आज इसे खत्म करने का दावा कर रहे हैं। अपने स्वार्थो के लिये इन्होंने ही आतंकवादी संगठन खड़े किये और आज इन संगठनों को खत्म करने के नाम पर मुस्लिमो का नरसंहार कर रहे हैं। अफगानिस्तान में किसने आतंकवाद पैदा किया और फिर आतंकवाद खत्म करने के नाम पर किसने अफगानिस्तान को बर्बाद किया । इस सवाल के जवाब में सारा सच छिपा हुआ है। मेरा मानना है कि आतंकवाद का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करने वाले ही असली इस्लाम विरोधी हैं । कांग्रेस ने भगवा आतंकवाद के नाम पर हिन्दू धर्म को बदनाम करने की कोशिश की लेकिन वो खुद ही बदनाम हो गयी । दस साल से कांग्रेस सत्ता से बाहर है और अब पांच साल के लिए फिर बाहर हो गयी है।
वर्तमान राजनीतिक स्थिति ऐसी है कि कांग्रेस जल्दी सत्ता में वापस आती दिखाई नहीं दे रही है। कांग्रेस को अपने इस झूठ की अभी और कीमत चुकानी है। कांग्रेस एक तरफ कहती है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और दूसरी तरफ मुस्लिमों को खुश करने के लिए आतंकवाद के खिलाफ कार्यवाही नहीं करती। इसका मतलब है कि कांग्रेस खुद ही मुस्लिम समाज को आतंकवाद से जोड़ने का काम कर रही है। ऐसा ही काम अखिलेश यादव ने उत्तरप्रदेश में किया था। उन्होंने आतंकवादियों पर चल रहे मुकदमों को वापिस ले लिया था लेकिन माननीय उच्च न्यायालय के दखल के कारण वो सफल नहीं हो पाए। विपक्ष ही है जो आतंकवाद को मुस्लिमों से जोड़कर देखता है। कुछ लोगों के कारण पूरे समाज को दोषी नहीं ठहराया जा सकता । भगवा आतंकवाद एक ऐसा झूठ है जो कभी सच नहीं था। भगवा आतंकवाद का सच