भाजपा के पतन में ही युवाओं का उत्थान-अखिलेश

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भाजपा पर आक्रामक रुख अपनाते हुए अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा भर्ती नहीं छलावा करती है और जब एक छल पकड़ा जाता है, तो भाजपाई दूसरा धोखा ले आते हैं। अब यूपी पीसीएस और आर ओ-एआरओ की परीक्षा में दो शिफ़्ट की भाजपाई साज़िश को कैंडिडेट्स भाँप गये हैं, इसीलिए उसके खिलाफ आंदोलनरत हैं। उनकी आवाज़ में समाजवादी अपनी आवाज मिलाते हैं और उनकी जायज़ माँग के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हैं।

दरअसल ये भाजपा की चाल है कि युवाओं को सरकारी नौकरी न मिले और वो बेरोज़गार ही रहें और एक दिन सस्ते में मज़दूरों की तरह काम करने पर मजबूर हो जाएं। इससे भाजपाई मुनाफ़ाख़ोरों की तिजोरी भरती रहे और वो भाजपा को चंदा देतें रहें, जिसका दुरुपयोग वो चुनाव जीतने के लिए करते रहें। अब बेरोज़गार युवा भाजपा का ये चुनावी-दुष्चक्र समझ गया है और भाजपा की मंशा भी, इसीलिए वो अब चुनाव में भाजपा को हराने के लिए मुट्ठी बाँध कर संकल्प ले रहा है।

भाजपा का भविष्य और युवाओं का भविष्य, दो विरोधाभासी बातें हैं। जो भाजपा नौकरी और रोज़गार की परिभाषा में फँसाकर युवाओं और उनकी नौकरी के सपने देखनेवाले उनके माता-पिता को उलझाए रखती है, उससे कोई भी उम्मीद करना बेकार है। भाजपा के पतन में ही युवाओं का उत्थान है। भाजपा की हार ही, युवाओं की जीत है।

भाजपा ने सत्ता में आने के बाद नौजवानों के लिए किया ही क्या है? 2 करोड़ नौकरियों देने को वादा था, 10 लाख भी नौकरियां नहीं दी। नौजवानों को लैपटॉप देने का कहा वह वादा भी भूल गए। वाईफाई देने का वादा भी उन्हे याद नहीं रहा। आज नौजवान रोजगार के अभाव में अवसादग्रस्त होकर आत्महत्या कर रहा है।

प्रदेश में कहीं नया उद्योग चालू नही हुआ है। पूंजी निवेश के बड़े-बडे़ दावे हवाई साबित हुए है। नौजवान को रोजगार मिल नहीं रहा है, उन्हें उसकी तमाम नौकरियों से छंटनी हो रही है। संविदा पर काम करने वालों को न्यूनतम वेतन भी नहीं मिल रहा है। उनकी सेवा में हर समय असुरक्षा रहती है। ऐसी भाजपा सरकार से जितनी जल्दी मुक्ति मिले, उतना ही अच्छा।