स्पष्टीकरण न देने वाले अफसर पर शासन मेहरबान..!

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स्टाफ कार आवंटन में हुआ खेल..!
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स्पष्टीकरण का जवाब नहीं देने वाले अफसर पर शासन मेहरबान..! तोहफे में आरोपी अफसर को सौंपे कई महत्वपूर्ण प्रभार। कार्यवाही में दोहरा मापदंड अपनाए जाने से कर्मियों में आक्रोश। स्पष्टीकरण न देने वाले अफसर पर शासन मेहरबान..!

राकेश यादव

लखनऊ। कारागार मुख्यालय में बैठे आला अफसरों को महिमा अपरंपार है। इस विभाग में नोटिस (स्पष्टीकरण) का जवाब नहीं देने वालों को तोहफा और निलंबन के बाद चार्जशीट का जवाब देने वाले को बहाल नहीं किया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि स्पष्टीकरण का जवाब नहीं देने वाले अधिकारी को तोहफे के तौर पर कई महत्वपूर्ण कार्य आवंटित कर दिए गए। ऐसा तब किया गया है जब इस अधिकारी को सेवानिवृत होने में अब सिर्फ तीन माह का समय ही शेष बचा हुआ।

बीते दिनों कारागार मुख्यालय के मुखिया ने बगैर दिखाए एक अफसर की फाइल को सीधे शासन को भेज दिया था। इसकी जानकारी होने पर विभागाध्यक्ष ने दो बाबुओं को निलंबित कर दिया। इसके साथ ही डीआईजी मुख्यालय को इस मामले में स्पष्टीकरण दिया गया। इससे पूर्व कैदियों की समय पूर्व रिहाई के एक मामले में जेल अधीक्षक को निलंबित कर दिया। सूत्र बताते है कि निलंबित अधीक्षक के न्यायालय की शरण में जाने पर न्यायालय ने शासन से पूछा कि इसमें सिर्फ एक ही अधिकारी दोषी है। अन्य कोई नहीं। इस पर शासन के निर्देश पर आनन फानन में तत्कालीन डीआईजी मुख्यालय को 10(2) का नोटिस जारी कर दिया। सूत्रों की माने तो दोनों ही अधिकारियों ने नोटिस का जवाब नहीं दिया। एक अधिकारी तो सेवानिवृत हो गए वही दूसरे अधिकारी पर शासन और मुख्यालय ने तोहफों की बौछार कर दी।

जिम्मेदार आला अफसर नहीं उठाते फोन

कारागार विभाग में कार्यवाही में दोहरा मापदंड अपनाए जाने के संबंध में जब प्रमुख सचिव/ महानिदेशक कारागार राजेश कुमार सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया तो उनसे बात नहीं हो पाई। आईजी जेल पीवी रामाशास्त्री का भी फोन नहीं उठा। मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्टीकरण दिए जाने वाले अधिकारी को कई जिम्मेदारियां सौंपे जाने की पुष्टि तो कि लेकिन इसके अलावा और कुछ भी बोलने से साफ मना कर दिया।

सूत्र बताते हैं कि स्पष्टीकरण देने के बाद शासन और मुख्यालय के आला अफसर इस कदर मेहरबान हो गए कि उसको मुख्यालय के साथ इस अधिकारी को जेल प्रशिक्षण संस्थान का प्रभार सौंप दिया गया। इसके साथ ही उन्हें बरेली और प्रयागराज जेल परिक्षेत्र का अपीलीय अधिकारी भी नामित कर दिया गया। इसके बाद हाल ही में शासन ने उनको कानपुर जेल परिक्षेत्र का भी अतिरिक्त प्रभार भी अग्रिम आदेश होने तक सौंप दिया गया। वहीं दूसरी ओर प्रयागराज जेल परिक्षेत्र के प्रभारी आईपीएस अधिकारी की रिपोर्ट पर बांदा जेल के जेलर को निलंबित कर दिया गया। निलंबन के बाद मिली चार्जसीट का जवाब देने के बाद भी इस अधिकारी को अभी तक बहाल नहीं किया गया है। मुख्यालय के कार्यवाही में दोहरा मापदंड अपनाए जाने का यह मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है कि विभाग में बड़े अधिकारियों को बख्श और छोटे अधिकारी को नाप दिया जाता है। स्पष्टीकरण न देने वाले अफसर पर शासन मेहरबान..!