सामाजिक न्याय की बाट जोहते अनशनकारी यूनानी फार्मासिस्टों का मरणासन्न हालत।
अजय सिंह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आजकल चुनाव है,अनुसूचित जाति के सर्वाधिक मतदाता होने के कारण उत्तर प्रदेश को विशेष बनाता है , लेकिन 11 दिनों से भूख हड़ताल आमरण अनशन पर बैठे अनुसूचित जाति के युवा अभ्यर्थियों जो पिछले 8 वर्षों से परेशान हैं ,न्याय नहीं मिल पा रहा है ,उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है , तथा राजनीतिज्ञ लोग भी खबर नहीं ले रहे हैं ,वादे बड़े-बड़े करते हैं की हम सामाजिक न्याय आपको दिलाने में प्रयास करेंगे और जब वास्तविक रूप से सामाजिक न्याय दिलाने की बात होती हो तो नजर नहीं आते हैं ,बड़े दुख पूर्वक कहना पड़ रहा है की लगातार 10 दिनों से अन्न का त्याग करने के कारण हम तीनों अनशन कारी अभ्यर्थियों की स्वास्थ्य बेहद खराब है लेकिन ना ही शासन-प्रशासन और ना ही किसी प्रकार की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराइ गई ,जबकि दो दिन पूर्व ही चिकित्सा अधीक्षक नगरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चंदननगर लखनऊ उत्तर प्रदेश को लिखित मौखिक एवं पोस्ट ऑफिस द्वारा पत्र उपलब्ध करा दिया गया था ।
आज बड़ी-बड़ी दावे करने वाली संवैधानिक संस्था राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तक मे गुहार लगाई गई लेकिन अभी तक लंबित पड़ी हुई हैं ।बहुत आश्चर्य होता है की भारत एक युवा देश है और युवाओं का यह हालत है ,सरकार इस देश में शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से नौकरी मांगने लायक ही युवा तैयार करती है और जब युवा नौकरी पाने के लिए आगे बढ़ता है तो समस्याएं मुंह बाएं बैठी रहती हैं अतः आज जरूरत है कि देश की सबसे बड़ी संवैधानिक आयोग राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तत्काल महामहिम राष्ट्रपति महोदय को रिपोर्ट सौंपते हुए संसदात्मक कार्रवाई कराते हुए न्यायालयों में रिपोर्ट प्रेषित करें क्योंकि ज्यादातर मामले कोर्ट में ही उलझे हुए हैं अगर सामाजिक न्याय की परिकल्पना परिरचना एवं एक अच्छे समाज अच्छा संसार का निर्माण करना है तो यह निर्णय लेना पड़ेगा और भ्रष्टाचार से आंख मूंद लेने से भ्रष्टाचार अपने आप कम नहीं हो जाएगा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़नी पड़ेगी तभी सर्व समाज को समुचित न्याय मुहैया हो सकेगी और सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का नारा सार्थक हो सकेगा।