परिषदीय बच्चों में भारतीय इतिहास,संस्कृति और धरोहरों के प्रति गर्व का बीजारोपण कर रही योगी सरकार। 15 हजार बच्चों को शैक्षिक भ्रमण से ऐतिहासिक व सांस्कृतिक के इतिहास से करा रही परिचित। बच्चों के यात्रा भाड़े, नाश्ता-भोजन और आपातकालीन खर्चों के लिए भी की गई है बजटीय व्यवस्था। प्रत्येक जनपद से 200 बच्चों को कराया जा रहा शैक्षिक भ्रमण। शिक्षक संभाल रहे हैं सुरक्षा और मार्गदर्शन का दायित्व। हर 20 बच्चों के समूह के साथ एक शिक्षक अथवा शिक्षिका है नियुक्त। शिक्षक संभाल रहे हैं सुरक्षा का दायित्व
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के समग्र शैक्षिक विकास के लिए एक अभिनव पहल की है। सरकार का उद्देश्य न केवल बच्चों को शैक्षिक रूप से सशक्त बनाना है, बल्कि उनमें भारतीय इतिहास, संस्कृति और धरोहरों के प्रति जागरूकता और गर्व की भावना विकसित करना भी है। इसके लिए प्रदेश के सभी 75 जिलों से 15,000 बच्चों का चयन कर उन्हें राज्य के ऐतिहासिक स्थलों का एक दिवसीय शैक्षिक भ्रमण कराया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक जिले से 200 बच्चों को इसमें सम्मिलित किया गया है, जो मुख्य रूप से ग्रामीण और शहरी परिषदीय विद्यालयों के गरीब और आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों के हैं।
भ्रमण का पूरा खर्च उठा रही योगी सरकार
योगी सरकार इस योजना के अंतर्गत 75 लाख रुपये का व्यय कर रही है, जिसमें बच्चों की यात्रा के लिए भाड़े का खर्च, नाश्ता और भोजन की व्यवस्था तथा आपातकालीन परिस्थितियों के लिए बजटीय प्रावधान शामिल हैं। इसका उद्देश्य बच्चों को उनके सामान्य शैक्षिक पाठ्यक्रम से इतर व्यावहारिक और ऐतिहासिक जानकारी देना है, ताकि वे भारतीय धरोहरों और ऐतिहासिक स्थलों को न केवल देखें बल्कि उनके महत्व को समझें और उनसे प्रेरणा लें।
शुरू है यात्रा, बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा का है पूरा ध्यान
यह शैक्षिक भ्रमण 24 सितंबर से शुरू हुआ है और इसे बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए आयोजित किया जा रहा है। हर 20 बच्चों के समूह के साथ एक शिक्षक अथवा शिक्षिका की जिम्मेदारी तय की गई है, जो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ भ्रमण के दौरान उन्हें ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ी जानकारी भी प्रदान करेंगे। प्रत्येक जनपद से 10 शिक्षकों को इस भ्रमण कार्यक्रम में शामिल किया गया है। इन शिक्षकों को यह भी जिम्मेदारी दी गई है कि वे बच्चों को भ्रमण के दौरान भारत के इतिहास, संस्कृति और धरोहरों के प्रति जागरूक करें। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक जिले के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और संबंधित अधिकारियों को इस योजना की निगरानी और सुचारू संचालन का दायित्व सौंपा गया है ताकि भ्रमण के दौरान बच्चों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। यात्रा के दौरान बच्चों को सुरक्षा और संरक्षा के अलावा आवश्यक जानकारी और सहयोग प्रदान करने के लिए सभी प्रशासनिक और सुरक्षा संबंधित उपाय किए गए हैं।
व्यक्तित्व विकास के साथ राष्ट्रप्रेम का संदेश
योगी सरकार की इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके पाठ्यक्रम से बाहर वास्तविक दुनिया में शैक्षिक अनुभव प्रदान करना है। साथ ही, इस योजना का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह भी है कि बच्चों को भारत की समृद्ध धरोहरों और गौरवशाली इतिहास से परिचित कराया जाए। भ्रमण के दौरान बच्चों को विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों, स्मारकों और संग्रहालयों की यात्रा कराई जाएगी, जहां उन्हें उन स्थलों के महत्व, उनके निर्माण के समय की परिस्थितियों और उनसे जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इससे बच्चों में न केवल इतिहास के प्रति रुचि जाग्रत होगी बल्कि उनमें राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति की भावना भी मजबूत होगी।
व्यक्तित्व विकास और समाज के स्तंभों का निर्माण है उद्देश्य-संदीप सिंह
इस सम्बन्ध में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह का कहना है कि सरकार का यह मानना है कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों में न केवल शैक्षिक समझ बढ़ती है बल्कि उनके व्यक्तित्व का भी सर्वांगीण विकास होता है। इस प्रकार के शैक्षिक भ्रमण से बच्चों की सोचने और समझने की क्षमता का विस्तार होता है। वे अपने परिवेश से बाहर निकलकर वास्तविक दुनिया के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं, जो उनके मानसिक विकास और सृजनात्मकता को बढ़ावा देने में सहायक होता है। बच्चों के लिए इस प्रकार के अनुभव बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि यह उनके भविष्य के निर्णय लेने की क्षमता और उनके सोचने के दृष्टिकोण को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। शिक्षक संभाल रहे हैं सुरक्षा का दायित्व