
अजय सिंह
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट के रूप में एक बहुत बेहतरीन सौगात दी गई थी। जिसको चलाने में नगर निगम आज तक का समर्थ रहा है। नगर निगम ने पिंक टॉयलेट के संचालन का ठेका लायन सिक्योरिटी को दिया था, जिसका हर महीने भुगतान भी किया गया। पर अफसोस कि बात थी कि पिंक टॉयलेट पर उपस्थित कर्मचारी को वेतन का भुगतान नहीं प्राप्त हुआ। इसके लिए पिंक टॉयलेट की महिला कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक को शिकायत पत्र दी थी। पर फिर भी उन्हें भुगतान नहीं किया गया। साथी लखनऊ में जितने भी पिंक टॉयलेट हैं उसका ठेका भी मौजूदा स्थिति में किसी को नहीं मिला है। पर क्या यह पिंक टॉयलेट महिलाओं के लिए बना था या फिर सरकार को चूना और महिलाओं को बेवकूफ बनाने के लिए…?नगर निगम के पिंक टॉयलेट में खुला, चाय-नाश्ते की दुकान…. पिंक टॉयलेट में खुली,चाय-नाश्ते की दुकान
लखनऊ के गोमती नगर क्षेत्र स्थित रेलवे स्टेशन के पास पिंक टॉयलेट पर चाय नाश्ते की दुकान लगी है। अब आप ही बताएं पिंक टॉयलेट पर महिला हो या पुरुष चाय नाश्ते करने जाएगा या महिलाएं शौचालय का इस्तेमाल करेंगी। यह चाय नाश्ते की दुकान आज से नहीं, काफी समय से है और नगर निगम की आंख में यह झलका भी नहीं। ज्यादातर पिंक टॉयलेट पर ताला लगा हुआ है। जिसका संचालन नहीं हो रहा है। तो क्या यह पिक टॉयलेट बनाने का इरादा इतना ही था कि ठेकेदारों को भुगतान कर दिया जाए, विभाग में कमीशनखोरी पूरी हो जाए, दिखावे के तौर पर पिंक टॉयलेट बनाकर रख दिया जाए और महिलाओं के लिए सरकार कितनी जागरुक है, इसे दिखाने के लिए पिंक टॉयलेट का निर्माण कर दिया जाए।
लेकिन महिलाओं की बात आती है तो पिंक टॉयलेट की सेवा कैसे लें, उसमें तो ताला बंद मिलेगा। यदि अगर ऐसा ही करना था तो सरकार को पिंक टॉयलेट के नाम चूना लगाने की क्या जरूरत थी और अगर चुना लगाना ही था तो पूरा चुना लगाते यानि कागज़ों में दर्शा देते, निर्माण की क्या जरूरत थी। योगी सरकार में विभाग घोटाले पर घोटाला कर रहा है, कागज़ों पर पुख्ता इंतजाम हैं पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करते हैं, पर प्रशासन शांत क्यों….? पिंक टॉयलेट में खुली,चाय-नाश्ते की दुकान



