
निष्पक्ष दस्तक कि खबर का असर …..

प्रदेश सरकार ने प्रमुख सचिव कारागार को हटाया। सुप्रीम कोर्ट के एक मामले को लेकर राजेश सिंह पर गिरी गाज। योगी सरकार ने ACS राजेश कुमार सिंह को सभी पदों से हटाया,अनिल गर्ग बने प्रमुख सचिव कारागार लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपर मुख्य सचिव (ACS) राजेश कुमार सिंह को सभी पदों से हटा दिया। सरकार ने कार्यवाही के बजाए हटाकर मामले को किया रफादफा। अनिल गर्ग बनाए गए नए प्रमुख सचिव कारागार। प्रमुख सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह किए गए प्रतीक्षारत। प्रदेश सरकार ने प्रमुख सचिव कारागार को हटाया
लखनऊ। प्रदेश सरकार ने कारागार विभाग के प्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है। उन्हें सहकारिता और कारागार से हटा दिया गया है। लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी गलत हलफनामा देने वाले प्रमुख सचिव के खिलाफ हटाने के अलावा और कोई कठोर कार्यवाही नहीं की गई। यह मामला विभागीय अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। सरकार ने प्रमुख सचिव पद से हटाए गए राजेश कुमार सिंह को प्रतीक्षारत सूची में डाल दिया है. उनकी जगह अनिल गर्ग को प्रमुख सचिव कारागार का प्रभार सौंपा गया है। कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कार्रवाई करने करने की बात कही थी।

उल्लेखनीय है कि बीते दिन कैदियों की सजा माफी मामले में कोर्ट ने कहा था कि, न्यायालय के सामने झूठ बोलते हुए और सुविधानुसार अपना रुख बदलते हुए बर्दाश्त नहीं करेगा। 2 जजों की पीठ का कहना था कि हलफनामे में लिखी गई बात और उनका बयान बिल्कुल अलग है। बयान सहित शपथपत्र में दिए गए कुछ बयान झूठे प्रतीत होते हैं. राजेश कुमार सिंह ने 12 अगस्त को दलील दी थी कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के कार्यालय ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के कारण राज्य में लागू आदर्श आचार संहिता के कारण एक दोषी की सजा माफी से संबंधित फाइल के निपटारे में देरी की। पीठ ने फटकार लगाते हुए ये भी कहा था कि ऐसे अधिकारियों को जेल जाना चाहिए, तभी सुधार आएगा। राज्य सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। राजेश कुमार सिंह ने कहा था कि उन्होंने अनजाने में यह कह दिया कि आदर्श आचार संहिता के कारण मुख्यमंत्री सचिवालय ने सजा माफी से संबंधित फाइलें स्वीकार नहीं करने के सफाई दी थी।
जेल अफसरों ने ली राहत की सांस
प्रमुख सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह के विभाग से हटने पर प्रदेश के जेल अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। आकंठ भ्रष्टाचार में लिप्त इस अधिकारी ने विभाग के डीआईजी की जेल अधीक्षक के निलंबन की संस्तुति करने के बाद भी दोषी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। यही नहीं स्थानांतरण सत्र के दौरान विभागीय अधिकारियों से मोटी रकम लेकर उन्हें मनमाफिक जेलों पर तैनात किया। बताया गया है लखनऊ जेल में पूर्व अधीक्षक के कार्यकाल के दौरान दर्जनों की संख्या में गंभीर घटनाएं हुई। इसके बाद भी लखनऊ जेल अधीक्षक के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की।
प्रमुख सचिव कारागार पद से हटाए गए राजेश कुमार सिंह को लेकर विभागीय अफसरों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि सुप्रीमकोर्ट के निर्देश के बाद प्रदेश सरकार ने प्रमुख सचिव कारागार को पद से हटाकर खानापूर्ति कर दी। इनके खिलाफ कोई कठोर कार्यवाही नहीं की गई। जबकि सुप्रीमकोर्ट ने झूठा हलफनामा देने वाले अधिकारी को अनपढ़ होने की बात कहते हुए कहा था कि यूपी सरकार को ऐसे अधिकारियों को जेल भेजना चाहिए। इसके साथ ही इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। चर्चा है कि सरकार ने इन्हें हटाकर मामले को रफादफा कर दिया।