केंद्र की मोदी सरकार ने संसद में स्वीकार किया कि पिछले आठ वर्षों में डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के मूल्य में 16.08 रुपये (25.39 प्रतिशत) की गिरावट दर्ज की गयी है। वित्त मंत्रालय ने संसद को सूचित किया कि 2014 में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, विनिमय दर 63.33 रुपये प्रति डॉलर थी। 11 जुलाई 2022 तक यह गिरकर 79.41 रुपये पर आ गया। जबकि 19 जुलाई को डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरकर 80 रुपये से भी ज्यादा हो गई है। आज डॉलर के मुकाबले रुपया 10 पैसे की गिरावट के साथ 79.94 के स्तर पर बंद हुआ। अमेरिकन डॉलर में तेजी और कच्चे तेल के दाम में उछाल के कारण रुपए पर दबाव दिखा। आज कारोबार के दौरान रुपया 31 पैसे टूटकर अब तक के सबसे निचले स्तर 80.15 रुपए पर पहुंच गया था। रुपया पहली बार 20 जुलाई को डॉलर के मुकाबले फिसलकर 80 के पार 80.05 के स्तर पर बंद हुआ था। रुपया शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले 79.84 पर बंद हुआ था। इससे पहले रुपए का ऑल टाइम लो 80.06 था. पिछले महीने रुपया डॉलर के मुकाबले इस स्तर तक पहुंचा था। इस साल रुपया डॉलर के मुकाबले सात फीसदी से अधिक मजबूत हुआ है।
पहली बार ऐसा हुआ है, कि डॉलर के मुकाबसे रुपये की वैल्यू 80 पार चली गई है, यानि अब आपको एक डॉलर देने पर 80 रुपये मिलेंगे। यानि, डॉलर के मुकाबले रुपये का लगातार गिरना जारी है, वहीं, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि, भारतीय रुपये के मूल्य में दिसंबर 2014 के बाद से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगभग 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि, भारतीय वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि, हाल ही में आई गिरावट कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे वैश्विक कारकों की वजह से हैं। लेकिन, उसके बाद भी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में 25 प्रतिशत तक गिरावट आना कई सवाल खड़े करता है।
डॉलर के मुकाबले 25% की गिरावट- भारत की विदेश मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में कहा कि, 31 दिसंबर 2014 को एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 63.33 भारतीय रुपये थी। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री द्वारा उल्लिखित आंकड़ों के अनुसार 11 जुलाई, 2022 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 79.41 पर आ गया है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 79.98 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया। भारतीय रुपये की कीमत में लगातार सातवें दिन गिरावट आई है। लोकसभा में एक तारांकित प्रश्न के उत्तर में भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, ‘रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे वैश्विक कारक, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और वैश्विक वित्तीय स्थितियों का सख्त होना, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर होने के प्रमुख कारण हैं।’ हालांकि, उन्होंने संसद के निचले सदन को सूचित किया कि भारतीय मुद्रा अन्य प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हुई है।
एक डॉलर की कीमत 80 रुपए के पार- 2014 से अब तक 25% गिरावट, जानें क्यों हुआ ऐसा हाल। रुपया 19 जुलाई को रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। 1 डॉलर के मुकाबले रुपया 80.01 रुपया हो गया है। रुपया आज 4 पैसे कमजोर होकर खुला है। इससे पहले डॉलर के मुकाबले रुपया 79.97 पर बंद हुआ था। पिछले एक महीने में रुपया 2% से भी ज्यादा टूट चुका है। जानकारी दें कि एक साल में रुपया डॉलर के सामने 7.4% नीचे गिर गया है।
कच्चे तेल की कीमत बढ़ी से हुआ ऐसा हाल रुपया के निचले स्तर पर पहुंचने का कारण सरकार ने कच्चे तेल की कीमत को छहराया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में रुपए के टूटने के कारण बताए। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन जंग जैसे ग्लोबल फैक्टर, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और ग्लोबल फाइनेंशियल कंडीशन्स का कड़ा होना रुपए के कमजोर होने का कारण है।
करेंसी की कीमत ऐसे होती है तय। किसी भी देश की करेंसी में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। इसके कई कारण हैं। डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो इसे उस करेंसी का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। हर देश के पास विदेशी मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय लेन-देन करता है। विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से किसी भी देश की करेंसी की चाल तय होती है। अगर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर है तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। इसे सरल भाषा में समझते हैं। अगर हमारे पास डॉलर बढ़ जाए तो रुपया मजबूत हो जाएगा। अगर हमारे पास डॉलर घट जाए तो रुपए कमजोर हो जाएगा।
रुपए कमजोर होने से किसका फायदा किसका नुकसान। इनका होगा फायदा रुपए को कमजोर होने से एक्सपोर्ट बिजनेस करने वालों को काफी फायदा होगा। उन्हें बाहर जो भी पेमेंट मिलेगा वह डॉलर में होगा। इसे व्यापारी रुपए में बदलकर ज्यादा कमाई कर सकेंगे। इससे विदेश में माल बेचने वाली IT और फार्मा कंपनी को काफी फायदा होगा। इनका होगा नुकसान रुपए के कमजोर होने से कच्चे तेल का आयात महंगा होगा। इससे महंगाई बढ़ेगी। देश में सब्जियां और खाद्य पदार्थ महंगे होंगे। भारतीयों को डॉलर में पेमेंट करना भारी पड़ेगा। विदेश घूमना महंगा होगा। विदेशों में पढ़ाई महंगी होगी।
2014 से अब तक रुपए का हाल
2014 – 58.57 रुपया
2015 – 63.44 रुपया
2016 – 66.77 रुपया
2017 – 64.88 रुपया
2018 – 68.01 रुपया
2019 – 70.33 रुपया
2020 – 75.82 रुपया
2021 – 73.26 रुपया
2022 – 80.01 रुपया
कब तक रहेगा रुपए का ऐसा हाल बाजार के जानकारों के मुताबिक अभी कुछ दिनों तक रुपए पर थोड़ा दबाव बना रहेगा। लेकिन देश के पास काफी अच्छा फॉरेक्स रिजर्व (575 मिलियन डॉलर) है। इसके बूते रिजर्व बैंक स्थिति को संभालने में सक्षम है। उम्मीद है जल्द ही RBI इस मामले में दखल देगा।