स्वच्छ हवा रखने में नागरिकों की भूमिका

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स्वच्छ हवा रखने में नागरिकों की भूमिका
स्वच्छ हवा रखने में नागरिकों की भूमिका

सर्दी शुरू होते ही उत्तर भारत में एक बड़े हिस्से में स्वच्छ हवा लोगों की पहुंच से दूर होने लगती है। इस वैरान वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है। इस वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकारी एजेंसियों, उद्योगों और नागरिकों की तरफ से सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है। स्वच्छ हवा रखने में नागरिकों की भूमिका

विजय गर्ग 

वर्ष 2017 से भारत सरकार ने दिल्ली- एनसीआर के लिए ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस प्लान (ग्रेप) राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम और 15वें वित्त आयोग के ‘मिलियन प्लस चैलेंज फंड’ के तहत धन आवंटन जैसे कदमों के माध्यम से वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दर्शाई है। हालांकि वायु गुणवत्ता में कुछ सुधार होने के बावजूद अभी भी कई शहर राष्ट्रीय परिवेशीय वायु गुणवत्ता मानकों की पार कर जा रहे हैं। सर्दियों के वैरान बारिश कम होने, हवा की गति धीमी होने और मिक्सिंग हाइट (यानी सतह से ऊपर की वह ऊंचाई जहाँ तक प्रदूषण तत्वों का फैलाव हो सकता है) घटने से प्रदूषण तत्वों के फंसने जैसी उत्तर भारत की मौसमी परिस्थितियों के कारण वायु प्रदूषण का बिखराव मुश्किल हो जाता है। इससे हवा में पार्टिकुलेट यानी अतिसूक्ष्म कणों का घनत्व बढ़ जाता है, जिससे एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) अधिक हो जाता है। इसलिए एकमात्र समाधन है कि सर्दियों के दौरान विभिन्न उत्सर्जनों में व्यापक कटौती की जाए।

सामूहिक व्यवहार में बदलाव 

वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए नागरिकों को अपने सामूहिक व्यवहार में ढांचागत बदलाव लाने चाहिए। इन बदलावों में यह शामिल है कि हम कैसे यात्रा करते है। इससे वाहनों से होने वाला उत्सर्जन प्रभावित होता है कैसे हम कचरे का प्रबंधन करते हैं याने कचरा जलाते हैं या उसका विज्ञानिक विधि से निस्तारण करते हैं और कैसे खाना पकाते हैं या स्वयं को गर्म रखते हैं जिसके लिए हम अक्सर जैव ईंधन जलाते हैं, जिससे उत्सर्जन बढ़ता है। दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में कमीशन फार एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) ने नागरिकों के लिए वायु प्रदूषण के दौरान उठाए जाने वाले कदमों की एक सूचं दी है। ये कदम वायु प्रदूषण की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए, ग्रेप स्टेज 1 लागू होने के दौरान जब एक्यूआई खराब श्रेणी और 201-300 के बीच रहता है, नागरिकों से वाहनों की प्रदूषण जांच कराते हुए उन्हें अच्छी स्थिति में रखने जैसे उपाय करने का अनुरोध किया जाता है जब वायु गुणवत्ता ज्यादा बिगड़ जाती है और ग्रेप स्टेज 3 लागू होता है, तब सरकार नागरिकों को घर से काम करने का विकल्प चुनने की सलाह देती है। इन उपायों की सफलता में नागरिकों की और से इनका अनुपालन महत्वपूर्ण है। 

प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों की जानकारी

लोगें की प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों की जानकारी देते हुए वायु गुणवत्ता प्रशासन में सक्रिय सहयोग करने की नागरिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए। नागरिक अपने साधारण मोबाइल फोन से नागरिक शिकायत निवारण एप के माध्यम से टूटी सड़कों, कूड़ा-कचरा जलाने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों जैसे प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों की जानकारी दे सकते हैं। देश के लगभग 130 शहरों में सिटी एक्शन प्लान के तहत इस उद्देश्य से आनलाइन प्लेटफार्म उपलब्ध कराए गए हैं, जिसके माध्यम से नागरिक वायु प्रदूषण से जुड़ी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में में समीर, ग्रीन दिल्ली और एमसीडी 311 जैसे कई मोबाइल एप्लीकेशंस हैं, जी इन शिकायतों को देखते हैं। पिछले साल काउंसिल आन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) ने पर्यावरण विभाग (जीएनसीटीडी) के साथ मिलकर प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों की सूची बनाने और प्राथमिकता निर्धारण की एक पद्धति तैयार की थी। यह उपाय अन्य राज्यों में भी इस्तेमाल किया गया है। इस पद्धति का आधार शहर के सजग नागरिकों की और से सार्वजनिक शिकायत निवारण एप पर दर्ज कराई जाने वाली शिकायतें हैं। इस तरह के एप के बारे में जागरूकता और इनका उपयोग बढ़ाना जरूरी है, क्योंकि अभी इनका उपयोग बहुत ही सीमित है। 

जनभागीदारी 

भारत में वायु गुणवत्ता सुधरों के माध्यम से जोर देने के लिए धन उपलब्धता और राजनीतिक गतिशीलता दोनों ही मामलों में सीमित संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धी मांग हमेश मौजूद रहेगी। हालांकि जागरूक और मुखर नागरिक अपने परिवार, समुदायें और इंटरनेट मीडिया पर इसके बारे में जागरूकता बढ़ाते हुए इसके महत्व में बढ़ोतरी कर सकते हैं। यदि आस-पड़ोस में प्रदूषण स्त्रोतों से जुड़ी शिकायतों की संख्या काफी बढ़ जाती है, तो यह सजग नागरिकों की एक महत्वपूर्ण चिंता का संकेत होगा, जो संभावित रूप से राजनीतिक प्राथमिकताओं को प्रभावित कर सकता है। स्वच्छ भारत मिशन इसका एक प्रमुख उदाहरण है कि कैसे किसी पहल को जन आंदोलन में बदलकर सफल बनाया जा सकता है।

जवाबदेही 

स्वच्छ हवा जितना एक मौलिक अधिकार है, उतना ही एक साझी जिम्मेदारी है। नागरिकों को वायु प्रदूषण के बारे में गंभीरता से विचार करन चाहिए और इसे दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। भारत की तेजी से बिगड़ती वायु गुणवत्ता की समस्या को दूर करने के लिए नागरिकों की न केवल अधिकारियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए, बल्कि इसे बेहतर बनाने वाले सामुदायिक प्रयासों में सक्रिय भागीदारी दिखानी चाहिए। तभी हम प्रदूषण मुक्त सर्दियों का आनंद दोबारा हासिल सकते हैं, जो अभी प्रदूषण के साथ आती है। स्वच्छ हवा रखने में नागरिकों की भूमिका