विष्णु को सृष्टि का पालन करने वाला देवता माना जाता है। श्रीराम और श्रीकृष्ण भी विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
अयोध्या/बाबा बाजार मवई। रुदौली सर्किल के अधीनस्थ थाना मवई की पुलिस चौकी सैदपुर के अंतर्गत ग्राम हरिहरपुर में विगत 07 नवंबर से आयोजित मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के अलावा अनेक देवी-देवताओं की विभिन्न लीलाओं का वर्णन जनकल्याण रामलीला समिति के प्रतिभावान कलाकारों द्वारा बड़े मनमोहक ढंग से अपनी अपनी प्रतिभा प्रदर्शन किया। माता केकई, माता मंथरा,भरत,शत्रुघ्न के पात्र का किरदार निभाने वाले प्रतिभावान कलाकारों के मध्य हुए मर्यादित संवाद को सुनकर, प्रतिभा को देखकर दर्शक दीर्घा में बैठे महिला,पुरु ,बुजुर्ग,बच्चे के मन को मोह लिया। जनकल्याण रामलीला समिति के मंच पर क्षेत्रीय भाजपा विधायक रामचंद्र यादव ने समिति के सभी कलाकारों ,सहयोगियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि विगत 25 वर्षों से प्रत्येक वर्ष उक्त तिथियों में आयोजित इस रामलीला के आयोजन से लोगों को नई उर्जा प्राप्त होने के साथ-साथ ज्ञानवर्धक कथाओं का बोध भी होता है। इस धार्मिक आयोजन के संचालन से विभिन्न प्रकार की कुरुतिया,आपसी मनमुटाव एवं भ्रांतियां स्वता समाप्त हो जाती है। इसलिए जनकल्याण रामलीला समित के आयोजक, संचालक एवं सभी कलाकार बधाई के पात्र हैं।
कार्यक्रम संचालक सूर्यबक्स यादव के निर्देशन में रामायण की तर्ज का प्रयोग कलाकारों द्वारा बड़े बेहतरीन ढंग से किया गया जिसकी धुन,और,ध्वनि एवं स्वर का वर्णन करना संभव नहीं है। बताते चलें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का के पात्र का किरदार निभाने वाले सत्येंद्र कुमार यादव,शेशावतारी लखन लाल के पात्र का किरदार निभाने वाले यतेंद्र यादव,जगत जननी माता सीता मैया के पात्र का किरदार निभाने वाले विशाल कुमार,भारत के पात्र का किरदार निभाने वाले संदीप यादव,शत्रोहन लाल के पात्र का किरदार निभाने वाले अनुज पांडे,माता केकयी के पात्र का किरदार निभाने वाले गुड्डू, माता मंथारा के पात्र का किरदार निभाने वाले राजेंद्र कुमार,सहित विभिन्न कलाकारों द्वारा लोगों को अपनी प्रतिभा से भाव विभोर कर दिया कर दिया।रामलीला के धार्मिक मंच संचालक सूर्यबक्स यादव एवं कार्यक्रम की व्यवस्था श्रीराम साहू ने बड़े व्यवस्थित ढंग से किया किया।
ग्राम हरिहर पुर मे होने वाले 10 दिवसीये जन कल्याण राम लीला का कार्यक्रम आगामी 17 नवंबर को मेले के बाद होगा समापन रामलीला का मंचन वर्तमान समय पूरे शबाब पर।विगत 25 वर्षों से अनवरत प्रत्येक वर्ष उक्त तिथि में हो रहे रामलीला के धार्मिक मंच पर क्षेत्रीय विधायक रामचंद्र यादव ने अपने उदबोधन में कलाकारों का किया उत्साहवर्धन प्रद्त्य की प्रोत्साहन राशि।रामलीला समिति के सभी प्रतिभावान कलाकारों ने धार्मिक मंच पर अपनी- अपनी प्रतिभा का किया बखूबी प्रदर्शन लोगों ने की वाहवाही।मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का किरदार निभाने वाले सत्येंद्र कुमार यादव ,लक्ष्मण के पात्र का किरदार निभाने वाले यतेंद्र यादव, माता सीता का किरदार निभाने वाले विशाल, भरत का किरदार निभाने वाले संदीप, शत्रोहन का किरदार निभाने वाले अनुज पांडे, ने लोगों का मन मोहा।
अयोध्या से निकल कर रामलीला देश दुनिया के अलग-अलग कोने तक जा पहुंची।रामलीला की सफलता उसका संचालन करनेवाले व्यास सूत्राघार पर निर्भर करती है, क्योंकि वह संवादों की गत्यात्मकता तथा अभिनेताओं को निर्देश देता है। साथ ही रंगमंचीय व्यवस्था पर भी पूरा ध्यान रखता है। रामलीला के प्रांरभ में एक निश्चित विधि स्वीकृत है। स्थान-काल-भेद के कारण विधियों में अंतर लक्षित होता है। कहीं भगवान के मुकुटों के पूजन से तो कहीं अन्य विधान से होता है। इसमें एक ओर पात्रों द्वारा रूप और अवस्थाओं का प्रस्तुतीकरण होता है, दूसरी ओर समवेत स्वर में मानस का परायण नारद-बानी-शैली में होता चलता है। लीला के अंत में आरती होती है।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सदियों से भारतीय जन-मानस के मन-मंदिर में विराजमान हैं। क्या पढ़े-लिखे और क्या निरक्षर, सब के मन में श्रीराम आराध्य हैं। श्रीराम को घर-घर और जन-जन तक पहुंचाने में रामलीलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। शारदीय नवरात्र के आरंभ होने के साथ ही देश के अनेक स्थानों और खासकर उत्तर भारत में रामलीलाओं का आयोजन सदियों से हो रहा है। इसमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की लीलाओं को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग श्रद्धा-सम्मान के साथ एकत्रित होते हैं।सैकड़ों वर्ष पहले शुरू हुई रामलीला आज गांव-गांव तक पहुंच गई है। एक अनुमान के अनुसार उत्तर प्रदेश में छोटी-बड़ी लगभग 21,000 रामलीला समितियां हैं। इनमें से कइयों का बजट तो करोड़ों रुपए का है।
श्रीराम का चरित्र आदर्श और सत्य पर आधरित है। धर्म कहता है कि सत्य कभी तिरोहित नहीं होता, कभी परिवर्तित नहीं होता और न ही उसमें किसी प्रकार की कमी होती है। इन गुणों के कारण श्रीराम के चरित्र में बार-बार नवीनता का दर्शन होता है। यही नवीनता श्रद्धालुओं को बार-बार रामलीला देखने को विवश करती है। रामलीला का स्वरूप जहां विशुद्ध है, वहां दर्शकों की संख्या कम नहीं होती है। जहां पर सामयिक चमत्कार या हल्के-फुल्के आकर्षण मुख्य रूप से प्रस्तुत किए जाते हैं, वहां सार तत्व के अभाव में बाह्य आकर्षण अधिक समय तक किसी को बांधकर नहीं रख सकते हैं। सार तत्व के अभाव में दर्शकों की तात्विक जिज्ञासा शांत नहीं हो पाती है और वे रामलीलाओं से दूर होने लगते हैं।