प्रमोद तिवारी का मोदी सरकार पर तीखा हमला

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प्रमोद तिवारी का मोदी सरकार पर तीखा हमला
प्रमोद तिवारी का मोदी सरकार पर तीखा हमला

राम मंदिर से लेकर G7 तक–प्रमोद तिवारी का मोदी सरकार पर तीखा हमला। राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता ने सेना के शौर्य और धार्मिक आस्था के राजनीतिक इस्तेमाल का लगाया आरोप, विदेश नीति को बताया विफल। प्रमोद तिवारी के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में गर्मी बढ़ा दी है। भाजपा की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन तिवारी द्वारा उठाए गए मुद्दों ने कई अहम सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं। प्रमोद तिवारी का मोदी सरकार पर तीखा हमला

लखनऊ। राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सेना के शौर्य और धार्मिक आस्था जैसे पवित्र विषयों का खुला राजनीतिकरण कर रही है। उन्होंने अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से लेकर भारत को G7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रण न मिलने तक की घटनाओं को लेकर सरकार की नीतियों को कठघरे में खड़ा किया।

प्रमोद तिवारी ने कहा कि भगवान श्रीराम का मंदिर देश की करोड़ों जनता की आस्था का प्रतीक है, न कि किसी राजनीतिक दल का प्रचार माध्यम। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा आम श्रद्धालुओं को प्रथम तल की प्राण प्रतिष्ठा में न बुलाने के आह्वान को “भाजपा की असलियत उजागर करने वाला कदम” बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि 22 जनवरी को हुए प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री को केंद्र में रखा गया, जबकि देश के धर्माचार्यों की उपेक्षा की गई।

उन्होंने कहा, “यह आस्था का नहीं, सत्ता का उत्सव था। भाजपा को भगवान श्रीराम की मर्यादा का सम्मान करना चाहिए और उन्हें राजनीतिक मंच से अलग रखना चाहिए।” सेना के शौर्य और पराक्रम को लेकर भी प्रमोद तिवारी ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि “भारतीय सेना के शौर्य को प्रधानमंत्री की तस्वीरों और नारों में भुनाया जा रहा है। यह सेना के पराक्रम का राजनीतिकरण है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”

विदेश नीति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष कनाडा द्वारा G7 शिखर सम्मेलन में भारत को आमंत्रित न किया जाना देश के लिए एक “अपमान का कड़वा घूंट” है। उन्होंने इसे भारत की अंतरराष्ट्रीय साख में गिरावट और मोदी सरकार की “अपरिपक्व विदेश नीति” का परिणाम बताया।

“विश्वगुरु की बात करने वाली सरकार आज अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग पड़ गई है। यह स्थिति चिंताजनक है।” उन्होंने संसद का विशेष सत्र बुलाने की विपक्ष की मांग को उचित ठहराते हुए कहा कि CDS जनरल अनिल चौहान द्वारा यह स्वीकार करना कि हमारा विमान गिरा था, एक गंभीर राष्ट्रीय मुद्दा है। ऐसे मामलों पर जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए संसद का मंच सबसे उपयुक्त है।

प्रमोद तिवारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बार-बार की जा रही मध्यस्थता की पेशकश का भी जिक्र किया और सवाल किया कि प्रधानमंत्री मोदी ट्रंप के दावे को झूठा साबित करने का साहस क्यों नहीं दिखा पा रहे हैं। “देश को यह अधिकार है कि सरकार संसद के जरिए इन सभी मुद्दों पर पारदर्शिता से सच्चाई सामने रखे। जब देश की महान सेना दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दे रही थी, तब दुनिया का कोई बड़ा देश भारत के साथ खुलकर खड़ा नहीं हुआ। यह दर्शाता है कि हमारी विदेश नीति कितनी कमजोर हो चुकी है।” प्रमोद तिवारी का मोदी सरकार पर तीखा हमला