बीते दिनों कानपुर शहर में बुजुर्गों को जवान बनाने का झांसा देकर लोगों के साथ धोखाधड़ी हुई हैरत में डाल देने वाले इस मामले में बुजुर्गों को जवान बनाने के नाम पर पैंतीस करोड़ की ठगी की गई। झांसा देने वाले लोगों ने इजराइली मशीन से जवान कर देने की बात कही थी। वृद्धों को जवान बनाने के नाम पर ठगी लगभग एक साल तक चलती रही। जालसाजी के लिए इजराइल की टाइम मशीन के कमाल और आक्सीजन थेरेपी से जुड़ी मनगढ़ंत बातें बता कर लोगों को भरमाया गया। धोखाधड़ी करने वाले दंपति ने ‘नेटवर्क मार्केटिंग’ की तर्ज पर पांच सौ से ज्यादा लोगों जोड़ कर उनका ‘इलाज’ करने की हिमाकत भी कर डाली। एक तरह से जुगाड़ ही कही जा सकने वाली इस मशीन से युवा बनने के फेर में लोगों ने न केवल धन गंवाया, बल्कि सेहत से जुड़ी परेशानियां भी उनके हिस्से आईं। जवान बनाने की प्रक्रिया में कई लोगों के चेहरे जल गए या त्वचा पर सफेद निशान पड़ गए। चिरयुवा रहने की ललक में लुटते लोग
दरअसल, लोगों में सदा युवा बने रहने की मनःस्थिति घर करती जा रही है। अब झांसेबाजी की सोची-समझी रणनीति के साथ ही, उम्र की स्वीकार्यता को लेकर लोगों का बदलता मनोविज्ञान जिम्मेदार है। कहना गलत नहीं होगा कि कभी टीवी सिनेमा की दुनिया में चर्चित चेहरों तक सिमटा सौंदर्य और युवा बने रहने का । जुनून अव हर ओर दिख रहा है। सोशल मीडिया की दिखावे की जीवनशैली कहें साधन संपन्न होने के के कारण धन लुटा कर चिर युवा रहने की ललक । शारीरिक सौंदर्य और यौवन को बनाए रखने के लिए कुछ भी करने की सनक हमारे देश में ही नहीं, दुनियाभर में बढ़ी है। खूबसूरती निखारने वाले सामानों से बाजार अटे पड़े हैं। शारीरिक सौष्ठव के साथ जवान रहने के नुस्खे देने वालों की भीड़ भी बढ़ रही है। आभासी दुनिया से लेकर असली दुनिया तक त्वचा की कसावट और चमक बरकरार रखने के तौर-तरीकों को जानने की ललक रखने वाले कम नहीं। ठग प्रवृत्ति के लोग इसी मानसिकता का फायदा उठाते हैं। तकनीकी संवाद के दौर में अपने अनुभव साझा कर दूसरों को भी प्रेरित करने या जोड़ने की रीत भी चल पड़ी है। कानपुर में युवा बनाने | का झांसा देने वालों ने ‘नेटवर्क मार्केटिंग’ के माध्यम से ही लोगों का भरोसा जीता था।
यौवन लौटा लाने वाली अविश्वसनीय सी बात पर भरोसा करने के लिए भी ठगों ने उनसे जुड़ने वाले लोगों को लालच दिया। जवान बनने की ‘थेरेपी’ ले रहे लोगों को ‘नेटवर्क मार्केटिंग’ से लोगों को जोड़ने पर बाकायदा कमीशन देने का वादा किया गया। इतना नहीं बाजार की रणनीति के मुताबिक ही शुरुआती पेशकश में कम शुल्क रखा गया। लोगों को बताया गया कि एक साल बाद नब्बे हजार वाली योजना तीन लाख रुपए की हो जाएगी। यह वादा भी किया कि कोई व्यक्ति पूरी ‘थेरेपी’ नहीं लेता है, तो कंपनी एक साल बाद अग्रिम के पूरे पैसे वापस कर देगी। ऐसी बातें जान कर कई लोग जवान बनने की इच्छा से इस जाल में फंसते चले गए। जो लुभावनी बातें दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले किसी उत्पाद के प्रचार में देखने कि मिलती हैं, उनको आधार बना कर इस ठगी के लिए उपभोक्ता भी तैयार किए गए। बीते कुछ वर्षों में सौंदर्य संवर्धन के उत्पाद और युवा बनाए रखने वाली सेवाओं का बाजार देश ही नहीं, दुनियाभर मैं अपने पैर फैला रहा है। हालात ऐसे हो चले हैं कि लोग चमत्कारी बदलावों की उम्मीद तक बांध लेते हैं। यह मनोदशा झांसेबाजी करने वालों के लिए माहौल बना रही है।
चिंता की बात है कि सहज रूप से उम्र की स्वीकार्यता के बजाय उम्र के हर पड़ाव पर ही युवा बने रहने की चाह लोगों को बीमारियों के घेरे में भी ला रही है। लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा स्वयं की देखभाल में लगा रहे हैं। हालांकि इस सजगता का समग्र स्वास्थ्य की देखभाल से कोई लेना-देना नहीं है। बीते दिनों अमेरिकी उद्योगपति ब्रायन जानसन के सदा जवान बने रहने की जिद भी वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बनी। चिरयुवा रहने की ठान लेने वाले ब्रायन का दावा है कि उन्होंने अपनी उम्र की चाल उलट दी है। वे सैंतालीस वर्ष की आयु में भी अठारह साल के युवक की तरह दिखने लगे हैं। यह अद्भुत दावा करने की बड़ी वजह उनका ‘एज रिवर्स’ अनुसंधान है, जिसमें हर साल लगभग सोलह सोलह करोड़ रुपए खर्च होते हैं। निस्संदेह, इसी तरह की मानसिकता के कारण इस विषय पर गहन अध्ययन भी हो रहे हैं। हाल ही में चीनी विज्ञान अकादमी और ‘बीजीआई रिसर्च’ के वैज्ञानिकों ने बताया है कि शोध के आधार पर ऐसी तकनीक के विकास पर काम हो जो उम्र को थामने में मदद कर सकती है।
हमारे सामाजिक परिवेश में भी बढ़ती आयु को लेकर असहजता देखने को मिल रही है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर क्यों लोगों में उम्रदराज होने का का भय और यौवन को बनाए रखने की यह ललक बढ़ी है? यह उत्कंठा ही युवा बनाने वाले उत्पादों के बाजार को बढ़ावा दे रही है और यह सोच बाजार के मायावी खेल का हथियार बन रही है। झांसेबाजी के नए रास्ते खोल रही है। बावजूद इसके आज उम्र को थाम लेने वाले उत्पादों का बड़ा बाजार बन गया है। समझना आवश्यक है कि बाजार का अपना खेल है, जिसे जानना आमजन की जिम्मेदारी है। यौवन कायम रखने का यह जुनून दूसरे लोगों पर भी मानसिक दबाव बना रहा है। ऐसा । मनोवैज्ञानिक दबाव जो मन को बीमार करता है। असल में सोशल मीडिया के माध्यम से ‘क्लिक’ भर में देश-दुनिया तक पहुंचती तस्वीरों ने भी चिर युवा बने रहने की सोच को बढ़ावा दिया है। अध्ययन बताते हैं कि सोशल मीडिया पर सुंदर दिखने की होड़ में हर उम्र के लोग अवसाद का शिकार हो रहे हैं। महिलाएं और युवा तो सौंदर्य संवर्धन के जाल में बुरी तरह फंस रहे हैं।
कुछ साल पहले एक अध्ययन में सामने आया था कि महिलाएं सबसे अधिक चिंतित इस बात से रहती हैं कि वे कैसी दिखती हैं। ब्रिटेन की एक संस्था ‘वेट वाचर्स’ की ओर से किए गए इस अध्ययन के मुताबिक दिनभर में एक महिला अपने आपको आठ बार कोसती है। हताशा से भरा यह भाव इतना गहरा है कि स्त्रियों को अपने जीवन से जुड़े करीब सभी पहलू कमतर लगने लगते हैं। नतीजा यह होता है कि कुंठा और तनाव का शिकार बन जाती हैं दिखावटी आभासी संसार ने इस भाव को और पोषित किया है। मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं। कि तकनीक ने जिस तरह दूरियां घटाई हैं, एक दूसरे के प्रति प्रतिस्पर्धा की भावना को भी बल दिया है। नतीजतन लोग हर कीमत पर युवा बने रहने के जाल में फंस रहे हैं। आवश्यकता इस बात की है कि लोगों में अपनी उम्र की सहज स्वीकार्यता का भाव बना रहे। चिरयुवा रहने की ललक में लुटते लोग