ओबीसी,एससी को पीएम,सीएम ही नहीं,संवैधानिक अधिकार चाहिए। कर्नाटक मंत्रिमंडल पर मायावती की टिप्पणी खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे वाली जैसी। PM-CM ही नहीं,संवैधानिक अधिकार चाहिए
लखनऊ। अहमदाबाद में आयोजित तेली सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह द्वारा य़ह कहना कि काँग्रेस ने लगभग 56 साल तक शासन किया लेकिन उसने ओबीसी के लिए कुछ नहीं किया।यही नहीं शाह ने काँग्रेस पर ओबीसी को अपमानित,उपेक्षित व उत्पीड़ित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने मोदी को पीएम बनाकर ओबीसी को सम्मान दिया। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता लौटन राम निषाद ने कहा कि ओबीसी, एससी,एसटी को मदारी के बन्दर जैसा पीएम,सीएम नहीं चाहिए।बल्कि पीएम,सीएम के साथ 60 प्रतिशत ओबीसी को संविधान के अनुच्छेद 15(4),16(4),16(4-1) के आधार पर हर स्तर पर समानुपातिक कोटा chahiye।उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए भाजपा सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का खूब प्रचार किया,लेकिन य़ह सफेद हाथी ही साबित हुआ है।जब से मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी है,पिछड़ों की हकमारी ही हो रहीं है।
संघ नियन्त्रित भाजपा सरकारें गोलवलकर की बंच ऑफ थाट्स और वी ऑर अवर नेशनहुड डीफाइंड किताब की नीतियों को लागू करने में जुटी हैं। नरेन्द्र मोदी नील वर्ण शृंगाल सरीखे स्वघोषित ओबीसी हैं,जिन्हें मण्डल को खत्म करने के लिए भाजपा ने आरएसएस के रिमोट कंट्रोल वाला पीएम बनाया है। काँग्रेस सरकार ने 2011 में सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना (एसईसीसी) कराया था। लेकिन अपने ओबीसी बताने वाले मोदी ने जब 30 अगस्त 2016 को जनगणना के आँकड़े सार्वजनिक कराए तो एससी, एसटी, धार्मिक अल्पसंख्यक (मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी,रेसलर),ट्रांस जेंडर, दिव्यांग के साथ भाषाई जनसंख्या को घोषित कराए, पर ओबीसी का आँकड़ा सार्वजनिक नहीं कराया। सरकारें कछुआ, मगरमच्छ, घड़ियाल, डॉल्फिन,भालू, बन्दर, शेर, चीता, जानवरों आदि की गणना कराती है तो ओबीसी की जातिगत जनगणना क्यों नहीं कराती? उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना संवैधानिक मुद्दा है।
निषाद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी में ओबीसी वंचित वर्ग के प्रति तनिक भी आत्मीयता होती,ओबीसी का भाव होता तो संविधान की 7 वीं अनुसूची के अनुच्छेद 246 के अनुसार ओबीसी की जातिगत जनगणना कराकर एससी, एसटी की भाँति ओबीसी को भी कार्यपालिका, विधायिका में समानुपातिक कोटा देने का कदम उठाए होते।लेकिन मोदी सरकार ने ओबीसी की जातिगत जनगणना न कराने के लिए गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय से उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल कराकर मना कर दिया।क्रीमी लेयर की बाध्यता को खत्म करने की बजाय क्रीमी लेयर की नयी परिभाषा तैयार कराकर 324 ओबीसी के चयनित आईएएस अधिकारियों को डीओपीटी द्वारा बाहर करा दिया। ओबीसी को अभी तक समूह- क में 27 प्रतिशत की बजाय 16.88 प्रतिशत एवं समूह-ख में मात्र 15.77 प्रतिशत ही कोटा मिल पाया है। प्रधानमंत्री के अंदर ओबीसी की भावना होती तो ओबीसी का बैकलॉग पूरा करने के लिए विशेष भर्ती शुरू कराते,ओबीसी को एससी, एसटी की भाँति समानुपातिक कोटा देने का शासनादेश जारी किए होते।
कर्नाटक में नव गठित 10 सदस्यीय कैबिनेट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर एससी, मुस्लिम के अपमान का काँग्रेस पर आरोप लगाया है। मायावती की टिप्पणी खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे वाली जैसी है।उन्होंने कहा कि जब मायावती 4 बार मुख्यमंत्री बनीं तो ओबीसी एवं मुस्लिम को डिप्टी सीएम क्यों नहीं बनाई?उन्होंने कहा कि काँग्रेस ने देवराज अर्श के अहिंदा फ़ार्मूला (अल्पसंख्यक, पिछड़ा, दलित) एवं स्टालिन के सोशल जस्टिस फ़ार्मूला को लागू करने के लिए काँग्रेस नेतृत्व के प्रति आभार प्रकट किया है। कर्नाटक की सरकार में ओबीसी के सिद्धारमैया (कुरुबा,भेड़िहार या चरवाहा) को मुख्यमंत्री, डीके शिवकुमार (ओबीसी, वोक्कालिगा)को उप मुख्यमंत्री,एमबी पाटिल (लिंगायत, ओबीसी),रामालिंगा रेड्डी(रेड्डी, ओबीसी); अनुसूचित जाति के जी.परमेश्वर,प्रियांक खड़गे,के. एच. मुनियप्पा;एसटी वर्ग के सतीश झारकिहोली (नायक/वाल्मीकि),मुस्लिम वर्गके ज़मीर अहमद एवं क्रिस्चियन समुदाय के के.जे. जार्ज को कैबिनेट में जगह देकर सामाजिक व जातिगत समीकरण को मजबूती प्रदान किया है। मण्डलवाद,पेरियारवाद, अम्बेदकरवाद आधारित राजनीति के लिए अभूतपूर्व निर्णय है। PM-CM ही नहीं,संवैधानिक अधिकार चाहिए