राम की नैया पार कराने वाले निषादराज के वंशजों के साथ भाजपा कर रही वादा खिलाफी। निषाद पार्टी संजय निषाद एंड फॅमिली की प्रा.लि. लूट कम्पनी-लौटन राम निषाद निषाद पार्टी संजय निषाद एंड फॅमिली की प्रा.लि.लूट कम्पनी
अजय सिंह
गाजीपुर। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटनराम निषाद ने भाजपा पर 17 अतिपिछड़ी जातियों के साथ छल-कपट व वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार निषाद, मछुआ,मल्लाह,केवट, मांझी,बिन्द,धीवर,कहार,गोड़िया,रैकवार ,कुम्हार, प्रजापति,भर,राजभर जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए प्रस्ताव क्यों नहीं भेज रही..? राम के नाम पर राजनीति करने वाली भाजपा राम की वनवास काल में मदद करने और राम की नैया पार लगवाने वाले निषादराज के वंशजों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है?उन्होंने कहा कि भाजपा ने निषाद मछुआरा समाज की जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कराने व इनके परम्परागत पुश्तैनी पेशों की बहाली का वादा किया था,लेकिन भाजपा ने अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव नहीं भेजा, उल्टे सपा सरकार ने जो प्रस्ताव भेजा था, उसे रद्द कर दिया।
उन्होंने भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि संजय निषाद को निषाद समाज का ठेकेदार समझकर बाप बेटों को मंत्री,एमएलसी,एमएलए, सांसद बनाकर बालू-मौरंग खनन,मत्स्य पालन, मत्स्याखेट और शिकारमाही जैसे परम्परागत पुश्तैनी पेशों को सार्वजनिक कर निषादों से छीनकर माफिया तत्वों के हाथों नीलाम कर दिया। उन्होंने कहाकि निषाद पार्टी संजय निषाद एंड फेमिली की प्रा.लि.ठग कम्पनी है और सुभासपा ओमप्रकाश राजभर एंड संस की प्रा.लि.कम्पनी है,जो निषाद, राजभर के नाम पर राजनीतिक सौदेबाजी कर रहे हैं।
निषाद ने बताया कि योगी सरकार ने सपा सरकार के समय 22 व 31 दिसंबर,2016 की अधिसूचना के सम्बंध में न्यायालय के निर्णय का अनुपालन न कर सोची समझी रणनीति के तहत संविधान के अनुच्छेद- 341 का उल्लंघन करते हुए 24 जून,2019 को सपा सरकार की हूबहू अधिसूचना जारी कराया। भाजपा व योगी ने अपने ही कार्यकर्ता गोरख प्रसाद से चुपके चुपके याचिका योजित कराकर 17 सितम्बर,2019 को स्टे करा दिया। राम-निषाद राज की मित्रता की दुहाई देकर निषाद-मल्लाह, केवट,मांझी,बिन्द,कश्यप,कहार,धीवर,गोड़िया ,रैकवार आदि का वोट लेकर सरकार बनाने के बाद निषाद जातियों के साथ विश्वासघात और वादाखिलाफी कर रही है।उन्होने कहा कि कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा आदि द्वारा 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कराने का मुद्दा चुनाव घोषणा पत्र में रखा गया,इसके बाद भी निषाद समुदाय की जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा नहीं मिला, आखिर क्यों?
क्या आरजीआई ही सुपर पॉवर है? समाजवादी पार्टी की सरकार ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान से निषाद जातियों का वृहद मानव शास्त्रीय अध्ययन कराकर शामिल करने का औचित्य 31 दिसंबर 2004 और 8 बिंदुओं का ज़वाब 16 मई 2006 को भेजा। आरजीआई द्वारा बार बार कुछ न कुछ मीन-मेख निकालकर सवाल ज़वाब किया जाता रहा।
निषाद ने बताया कि 5 मार्च, 2004 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने निषाद मछुआ समुदाय की जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भिजवाया। 2007 में मुख्यमंत्री बनने पर मायावती ने पहली ही कैबिनेट बैठक में 30 मई, 2007 को केंद्र के पास 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने सम्बन्धित विचाराधीन प्रस्ताव को वापस मंगाकर निरस्त करने का निर्णय लिया। 6 जून,2007 को केंद्र सरकार से प्रस्ताव को वापस मंगाकर निरस्त कर दिया। लेकिन राष्ट्रीय निषाद संघ द्वारा विरोध प्रदर्शन करने के कारण मायावती ने 4 मार्च 2008 को 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री के नाम अर्द्ध शासकीय पत्र भेजा।निषाद ने कहा कि जब योगी सांसद थे, उस समय कई बार निषाद, मल्लाह, केवट, बिन्द, धीवर, मांझी , गोड़िया, कहार आदि को अनुसूचित जाति में शामिल करने का मुद्दा उठाये।
3 जुलाई,2015 को गोरखपुर के निषाद मछुआरा सम्मेलन में कहा था कि-निषादों के मान-झम्मन, अधिकार व आरक्षण की लड़ाई अब भाजपा लड़ेगी।भाजपा नेता कहते थे कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर प्रस्ताव भेजकर अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाया जाएगा।पर,अब योगी व भाजपा निषाद व अतिपिछड़ी जातियों के साथ विश्वासघात व वादाखिलाफी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2012 के घोषणा पत्र में निषाद मछुआरा जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कराने का मुद्दा शामिल किया था और 5 अक्टूबर 2013 को नितिन गडकरी ने फिशरमेन विज़न डाक्यूमेंट्स जारी कर 2014 में सरकार बनने पर निषाद मछुआरा समुदाय की समस्याओं का समाधान करने का वादा किया था।लेकिन भाजपा सरकार ने कुछ देने की बजाय इनके परम्परागत अधिकारों को खत्म कर दिया।
निषाद ने कहा कि भाजपा चुनाव के समय श्रीराम-निषादराज की मित्रता का गुणगान करती है, लेकिन सत्तासीन होने के बाद निषाद जातियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करने लगती है। संजय निषाद को भाजपा के हाथ की कठपुतली बताते हुए कहा कि इसने आरक्षण के नाम पर निषाद मछुआरा समाज को झूठा सपना दिखाकर सिर्फ पारिवारिक हित साधने में जुटा हुआ है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना व मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के नाम पर भोले भाले अशिक्षित निषाद मछुआरों से संजय निषाद के कमीशन एजेंट अनुदान और छूट का लालच दिखाकर लूट कर रहे हैं। जब जब भाजपा की प्रदेश में सरकार बनी, उसने निषाद समाज के परम्परागत अधिकारों को सार्वजनिक कर माफियाओं के हाथों नीलाम कर पुश्तैनी पेशेवर जातियों की रोजी रोटी छीनने का ही काम किया है।
राम-निषादराज की मित्रता की भाजपा द्वारा चर्चा सिर्फ राजनीतिक नाटकबाजी व निषाद वोटबैंक पर डकैती का तरीका है। सपा सरकार ने 5 अप्रैल को निषादराज गुहा जयंती के लिए सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था जिसे मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ ने रद्द कर दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में निषादराज के वंशज भाजपा की चुनावी नैया को डुबाने का काम करेंगे। उन्होंने भाजपा के सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास सबका प्रयास नारे को ढोंग और पाखंड बताते हुए कहा कि सबका साथ लेकर सिर्फ अपनों का काम कर रही है। जिस भाजपा ने मण्डल कमीशन का विरोध करने के लिए कमंडल राजनीति की शुरुआत कर ओबीसी आरक्षण का विरोध किया,पिछड़ों वंचितों की हितैषी नहीं हो सकती है।भाजपा लोकतंत्र, संविधान व सामाजिक न्याय की कट्टर विरोधी है। निषाद पार्टी संजय निषाद एंड फॅमिली की प्रा.लि.लूट कम्पनी