भाजपा के हाथ से फिसलता लोकसभा चुनाव, कुछ ने चुनाव के पहले तो कुछ टिकट के बाद छोड़ रहे मैदान। एक तरफ लोकसभा चुनाव सर पर है, और दूसरी तरफ बीजेपी को एक के बाद एक बड़ा झटका लग रहा है। बीजेपी सांसद गौतम गंभीर और जयंत सिन्हा के चुनाव मैदान से भागने के बाद अब भोजपुरी स्टार पवन सिंह से भी बीजेपी का टिकट मिलने के बाद लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। यही नहीं गुजरात के पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने तो मेहसाणा सीट से अपनी दावेदारी ही वापस ले ली है। भाजपा के हाथ से फिसलता लोकसभा चुनाव
भाजपा की हालत इतनी ख़राब है कि पार्टी ने असम में परिसीमन हो जाने के बाद भी पहले वाली सीटों पर ही अपनी लिस्ट निकाल दी। बहुत किरकिरी होने के बाद भी नई लिस्ट लानी पड़ी।घोषित लोकसभा टिकट को लेकर जहाँ राजनीतिक पंडितों ने आश्चर्य जताया है वहीं कुछ लोगों ने इसे मोदी और शाह की बीजेपी पर कमजोर होती पकड़ का प्रमाण भी माना है। मीडिया और सोशल मीडिया पर भी बीजेपी के चेहरों के चयन पर खासी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।भाजपा ने ये सोचा भी नहीं था कि जनवरी में जो लोकसभा चुनाव वो अपनी झोली में होने का दावा कर रहे थे, मार्च आते-आते वो कई सीटों पर हाथ से फिसलता और अधिकांश सीटों पर कांटे की टक्कर वाला हो चुका है।
भाजपा ने जब लोकसभा चुनाव के लिए अपने 195 उम्मीदवारों की सूची जारी की तो उसमें पश्चिम बंगाल की 42 में से 20 सीटों से उम्मीदवारों के नाम थे। पार्टी की तरफ से भोजपुरी गायक और पावर स्टार के रूप में मशहूर पवन सिंह को आसनसोल संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया था। पवन सिंह भोजपुरी फिल्म और म्यूजिक इंडस्ट्रीज में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। पवन सिंह का बहुत बड़ा फैनबेस है। पवन सिंह की लोकप्रियता का आलम यह है कि उनका गाना यूट्यूब पर रिलीज होते ही एक ही दिन में चार से पांच मिलियन व्यूज बटोर लेता है। ऐसे में जब आसनसोल से उनकी उम्मीदवारी का ऐलान हुआ तो कई लोग ऐसे थे जिनको बहुत आश्चर्य हुआ। लोगों का कहना था कि पवन सिंह को तो आरा से टिकट देना चाहिए था फिर बंगाल के आसनसोल से क्यों टिकट दे दिया।
आखिर कहाँ चूक गई भाजपा…?
ये सवाल मीडिया से लेकर तो राजनीतिक गलियारों में सुर्खियाँ बटोर रहा है कि आखिर कहाँ चूक गई बीजेपी ? इसके दो ही जवाब हो सकते हैं, पहला – भाजपा ने कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की एक साल से चल रही तैयारियों को कमतर आँका। दूसरा – भाजपा हक़ीक़त में लोकसभा चुनाव के लिए तैयार ही नहीं थी।
पवन सिंह को टिकट मिलने के बाद से ही टीएमसी ने भोजपुरी गायक की उम्मीदवारी को लेकर हमला बोल दिया था। तृणमूल कांग्रेस ने पवन सिंह के जरिये बीजेपी पर महिला विरोधी होने का आरोप लगा रही है। पार्टी समर्थकों का कहना था कि पीएम मोदी एक तरफ तो नारी शक्ति के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, वहीं दूसरी तरफ स्त्री द्वेषी, महिला के साथ दुर्व्यवहार करने वाले को चुनाव मैदान में उतारते हैं। पवन सिंह के खिलाफ अपनी पत्नी के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा था। इतना ही नहीं एक मशहूर भोजपुरी अभिनेत्री के साथ उनके दुर्व्यवहार की खबरें भी मीडिया में सुर्खियां बनी थीं। टीएमसी का कहना था कि बंगाल की महिलाएं आपको करारा जवाब देंगी।
मीडिया की हवा मीडिया तक ही सीमित
मीडिया ने बीजेपी के पक्ष में जो हवा बनाने के कोशिश की थी वो चुनाव की घोषणा के पहले ही केवल मीडिया कक्ष तक सिमट चुकी है। जनता को मीडिया की चाकरी की अच्छे से भनक लग चुकी है, इसलिए बीजेपी और मीडिया को सीधे सीधे जनता से लड़ना पड़ रहा है। एक बात कभी नहीं भूलनी चाहिए कि राजनीति में हवा जब जमीन छोड़ देती है, तो परिणाम अप्रत्याशित आते हैं। पूरा देश देख रहा है कि किस तरह बीजेपी जमीन छोड़कर हवा में चुनाव लड़ना चाहती है, शायद बीजेपी को इसकी महंगी कीमत चुकानी पड़ेगी। भाजपा के हाथ से फिसलता लोकसभा चुनाव