पंचायती राज मंत्रालय और गुजरात में ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद ने पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण के लिए ग्राम पंचायत विकास योजना में सहयोग करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन से पंचायती राज संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण और क्षमता निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। पंचायती राज मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार ने पंचायती राज संस्थाओं से डिजिटल तकनीक का उपयोग करने तथा सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना के साथ से सभी लोगों को साथ लेकर चलने का आह्वान किया। गुजरात के आणंद में ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद परिसर में भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) और गुजरात के ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद (आईआरएमए) ने आज एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
पंचायती राज मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार और ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद के निदेशक डॉ. उमाकांत दास ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता ज्ञापन देश भर में पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) की मजबूती और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने तथा एक कार्य योजना स्थापित करने के लिए तैयार किया गया है। इस कार्य योजना के अंतर्गत पंचायती राज मंत्रालय और ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजीएस) के स्थानीयकरण के लिए ग्राम पंचायत विकास योजना के क्षेत्र में सहयोग करेंगे।
श्री कुमार ने इस अवसर पर कहा, “यदि ग्रामीण क्षेत्रों में सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति स्थायी और सार्थक प्रकृति की है, तो पंचायती राज संस्थाओं को स्पष्ट दृष्टि के साथ सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण और विषयगत लक्ष्यों को प्राप्त करने के विषयों के साथ उनकी पहचान करने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा, “ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद”, “एकमात्र संस्थान है जो ऐसी जरूरतों और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में है जो ग्रामीण भारत के समग्र विकास के लिए आवश्यक हैं।” श्री कुमार ने पंचायती राज संस्थाओं से आह्वान किया कि वे सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना के साथ सभी को साथ लेकर अंतिम छोर तक पहुंचने के लिए प्रौद्योगिकी/डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करें।
जब देश में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाया जा रहा है, ऐसे में ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद और पंचायती राज मंत्रालय के बीच समझौता इससे अधिक उपयुक्त समय पर नहीं हो सकता था – ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद के निदेशक डॉ. उमाकांत दास
इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. उमाकांत दास ने कहा कि ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद की स्थापना ग्रामीण प्रबंधकों को जमीनी स्तर पर काम करने के लिए प्रतिबद्ध बनाने के घोषित उद्देश्य से की गई थी। उन्होंने कहा की जब देश प्रगतिशील भारत के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर और इसके लोगों के गौरवशाली इतिहास का उत्सव मनाने के लिए राष्ट्र ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है, ऐसे समय पर ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद और पंचायती राज मंत्रालय के बीच समझौता होना इससे अधिक उपयुक्त समय पर नहीं हो सकता था। उन्होंने कहा कि जो लोग पंचायती राज संस्थान और ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद जैसे संस्थानों का आधार हैं, उन पर ग्रामीण विकास की जिम्मेदारी है। डॉ. उमाकांत दास ने कहा कि यह सहयोग, ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद संकाय और प्रतिभागियों को पंचायती राज संस्थान के साथ मिलकर काम करने और सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के बड़े लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में वास्तविकता में उनके कौशल को सुधारने में मदद करेगा।
पंचायती राज मंत्रालय की संयुक्त सचिव रेखा यादव ने सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण और जमीनी स्तर पर विभिन्न हितधारकों के साथ उनके एक साथ आने पर एक अवलोकन साझा किया। सामुदायिक भागीदारी जुटाने में मौजूद चुनौतियों और अवसरों को पहचानने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि पंचायती राज मंत्रालय इसे अच्छी तरह पहचानता है और इसके प्रयास अब सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के कार्यान्वयन और निगरानी पर केंद्रित हैं। उन्होंने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त की कि ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद के साथ इस समझौते के सामान्य उद्देश्यों के लिए अपनी विशेषज्ञता, तकनीकी कौशल और व्यावहारिक अनुभव लाने की आशा है और सहयोगी प्रयास पूरे देश में सर्वोत्तम प्रथाओं को कार्यान्वित करेंगे।
समझौता ज्ञापन समारोह में संस्थान के ग्राम फील्डवर्क खंड (वीएफएस) और ग्रीष्म इंटर्नशिप खंड (एसआईएस) के दौरान पंचायती राज मंत्रालय फेलो के साथ अपने पीजीडीएम छात्रों को एकीकृत करने के लिए ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद की रणनीति जैसे विभिन्न क्षेत्र पर ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद फैकल्टी की प्रस्तुति के साथ-साथ इसकी निरंतर प्रतिबद्धता भी देखने को मिली। इसके अलावा ग्रामीण समुदायों को शामिल करते हुए भारत की अर्थव्यवस्था और आजीविका परिदृश्य को बदलने तथा स्थायी मॉडल बनाने के लिए अनुसंधान और क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी इस अवसर पर प्रस्तुत किए गये। पंचायती राज मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार, पंचायती राज मंत्रालय की संयुक्त सचिव रेखा यादव और ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद के ग्रामीण प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम के प्रमुख कार्यक्रम के विद्यार्थियों के बीच एक संवाद सत्र द्वारा किया गया।