

योग क्रिया सदियों पुरानी परंपरा है जो अब तक चली आ रही है। योग क्रिया में सबसे बड़ी भूमिका श्वास की होती है। प्राणायाम श्वास नियमन का अभ्यास है। यह योग का एक मुख्य घटक है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। यौगिक क्रिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल श्वास का किया जाता है जिसके ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक रुप से भी काफी लाभ हैं। प्राणायाम का सीधा-सीधा मतलब होता है अपनी सांसों पर नियंत्रण रखना, इसी कला को प्राणायाम कहते हैं। आपको बता दें कि संस्कृत में प्राण का मतलब जीवन ऊर्जा और यम का अर्थ नियंत्रण होता है। इसमें सांस लेना और छोड़ना होता है। प्राणायाम शारीरिक मुद्रा और ध्यान लगाने के साथ किया जाता है। इसमें अपनी सांसों को नियंत्रित करना होता है। इससे व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं। अगर आप रोजाना प्राणायाम करेंगे तो हमेशा स्वस्थ महसूस कर सकते हैं। प्राणायाम करने से आपकी शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ती है। इससे आपका तनाव भी कम होता है और आप मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं।प्राणायाम सांसों को नियंत्रित करने की एक प्राचीन तकनीक है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए कई लाभ प्रदान करती है, जैसे तनाव कम करना, ध्यान केंद्रित करना और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना। इतना ही नहीं, प्राणायाम का अभ्यास करने से ब्लड शुगर,ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी नियंत्रण में रखा जा सकता है। जानें स्वस्थ जीवन में प्राणायाम का महत्व
सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि आप एक्टिव लाइफस्टाइल को मेंटेन करें और डाइट में हेल्दी फूड्स को शामिल करें। खासकर,युवाओं को अपनी दिनचर्या में जरूरी बदलाव करने चाहिए। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि वर्तमान समय में ज्यादातर युवाओं को पार्टी करने के साथ-साथ रात में देर तक जागना और सुबह देर तक सोते रहना पसंद होता है। ऐसे में लोगों को एक्ससाइज और योग का समय भी नहीं मिलता है। जिसके कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं कम उम्र से ही शुरू हो जाती हैं। फिट और हेल्दी रहने के लिए जरूरी है कि आप नियमित योग और प्राणायाम का अभ्यास करें। प्राणायाम,योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। रोजाना प्राणायाम का अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।

कौन सा प्राणायाम प्रतिदिन करना चाहिए..? जानें स्वस्थ जीवन में प्राणायाम का महत्व
योगाचार्य के.डी.मिश्रा ने बताया कि आजकल लोगों की जिंदगी में तनाव बहुत है, जिसका बुरा प्रभाव शरीर पर होता है। ऐसे में प्राणायाम एक ऐसी विधि है जो हमें तनाव के साथ-साथ अन्य मानसिक समस्याओं से दूर रखने में मदद कर सकती है। प्राणायाम के अभ्यास से शरीर में ऑक्सीजन का फ्लो बेहतर होता है, जिससे शरीर को एनर्जी मिलती है और पाचन तंत्र के साथ-साथ हार्ट/हेल्थ भी बेहतर होती है।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम
अनुलोम-विलोम प्राणायाम {नाड़ी शोधन} का अभ्यास तनाव को कम करता है। ध्यान में सुधार करता है। हार्ट हेल्थ को बेहतर करता है और रेस्पिरेटरी हेल्थ को बढ़ावा देता है। इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास मस्तिष्क के दोनों हिस्सों को संतुलित करता है और मानसिक स्पष्टता यानी मेंटल क्लियरिटी बढ़ाता है। नाड़ी शोधन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए सीधे बैठें और दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका बंद करें और बायीं नासिका से सांस लें। अब अनामिका और छोटी उंगली से बायीं नासिका बंद करें और दाहिनी नासिका से सांस छोड़ें। इसी तरह अब दाहिनी नासिका से सांस लें और बायीं नासिका से सांस छोड़ें। नाड़ी शोधन का अभ्यास रोजाना कम से कम 5-10 मिनट करें।
हार्ट हेल्थ को बेहतर करने के लिए आप अनुमोल-विलोम कर सकते हैं। प्राणायाम में अनुलोम-विलोम से आप कई रोगों को दूर कर सकते हैं। इसमें एक नाक से सांस लेने के बाद दूसरे से सांस ली जाती है। इसके नियमित अभ्यास से स्ट्रेस दूर होता है। साथ ही, आपका मन शांत होता है। अनुलोम-विलोम हार्ट ब्लॉकेज को कम करने में मदद करता है। साथ ही, हार्ट ब्लॉकेज के बाद होने वाली समस्याओं को भी कम करता है।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम (नाड़ी शोधन) शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह दिमाग और नर्वस सिस्टम के लिए फ़ायदेमंद है। यह मानसिक तनाव को कम करता है। यह एकाग्रता, आध्यात्मिक शक्ति, और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है। यह फेफड़ों को मज़बूत करता है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है।

कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम का नियमित अभ्यास शरीर को शुद्ध करता है। पाचनशक्ति को बढ़ाता है। फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और मानसिक स्पष्टता में सुधार करता है। इसके साथ ही कपालभाति शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। कपालभाति प्राणायाम मेटाबोलिज्म को भी बढ़ाता है। कपालभाति प्राणायाम करने के लिए आपको पद्मासन और सिद्धासन में बैठना होता है। कपालभाति का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले अपने पेट को ढीला छोड़कर सीधे बैठें। फिर आप सामान्य तरीके से 2-3 बार सांस लें। इसके बाद आपको जोर से सांस अंदर लेना है और उतने ही जोर से बाहर छोड़ना है। आपके सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया का असर यहां आपके पेट पर दिखना चाहिए। इसी तरह 5-10 मिनट तक सांस छोड़ें और फिर लें। इस क्रिया को 20-30 बार करें।
कपालभाति प्राणायाम से पाचन तंत्र मज़बूत होता है। गैस, एसिडिटी, कब्ज़ जैसी समस्याओं में आराम मिलता है। कोलेस्ट्रॉल कम होता है। धमनियों में रुकावटें दूर होती हैं। तंत्रिका तंत्र के लिए फ़ायदेमंद होता है। दिमाग़ की कोशिकाओं में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है। हार्मोनल इंबैलेंस ठीक होता है। शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। त्वचा का स्वास्थ्य बेहतर होता है। आंखों के नीचे के काले घेरे ठीक होते हैं। शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है। स्मरण शक्ति और दिमाग तेज़ होता है। बालों को झड़ने से रोकाता है। चेहरे में चमक और निखार आती है।

भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम एक योगासन है। यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। इससे दिमाग शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है। भ्रामरी प्राणायाम करने से माइग्रेन और सिरदर्द जैसी समस्याओं से भी आराम मिलता है। भ्रामरी प्राणायाम मन को तत्काल शांत करता है। यह प्राणायाम मन को उत्तेजना, निराशा और चिंता से मुक्त करने के लिए एक उत्तम श्वसन तकनीक है और यह बहुत हद तक क्रोध को भी दूर करता है। यह एक साधारण तकनीक है जिसे कार्यस्थल या घर, किसी भी स्थान पर किया जा सकता है और तनावमुक्त होने के लिए तात्कालिक विकल्प है।यह प्राणायाम नींद की क्वालिटी को बेहतर करने में भी सहायक होता है। जिन लोगों को सिरदर्द या माइग्रेन की शिकायत रहती है उनके लिए इस प्राणायाम का अभ्यास लाभकारी होता है। भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए सीधे बैठें और अपनी आंखें बंद करें। अब अपने दोनों हाथों के अंगूठों से कानों को बंद करें। अब ओम का उच्चारण करते हुए गहरी सांस लें और सांस छोड़ते समय मधुमक्खी की आवाज की तरह ‘हम्म’ की आवाज करें। इस प्राणायम का नियमित 5-10 बार करें।
भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास कर हार्ट हेल्थ को बेहतर कर सकते हैं। यह शरीर को अधिक ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बना सकता है, जिससे हृदय स्वास्थ्य रहता है।
उज्जयी प्राणायाम
उज्जायी प्राणायाम का नियमित अभ्यास रेस्पिरेटरी सिस्टम को मजबूत करता है और एकाग्रता की क्षमता को बढ़ाता है। इस प्राणायाम का अभ्यास मन को शांत करता है, जिससे तनाव और एंग्जायटी जैसी समस्याएं दूर हो सकती हैं। उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए पद्मासन और सिद्धासन आसन में बैठे रहें अब जोर से सांस लें ताकि गले तक से आवाज आए। इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इसमें समुद्र की लहरों के जैसे सांसों से आवाज निकालना है। इससे काफी रिलैक्स मिलता है। दूसरे चरण में अपने मुंह को बंद रखें और नाक से सांस बाहर छोड़ें। इसे कुल 10-15 बार करें।
उज्जयी प्राणायाम से आपके ब्रेन और बॉडी को ऑक्सीजन मिलती है। इससे मन शांत होता है। इस आसन से स्ट्रेस, तनाव, चिंता और हाई बीपी की समस्या में आराम मिलता है। हार्ट की ब्लॉकेज के दौरान आप इस आसन को कर सकते हैं। इससे ऑक्सीजन की मात्रा बढती है। .

शीतली प्राणायाम
शीतकारी प्राणायाम। फुसफुसाती सांस शीतली प्राणायाम और शीतकारी प्राणायाम में हम मुंह से सांस लेते हैं। ये अजगर की सांस लेने की प्रक्रिया की तरह ही है। अजगर, मुर्गी, हिरण के बच्चे मुंह खोलकर गहरी सांस लेते हैं और वे सभी हवा के साथ अंदर चले जाते हैं और इसे पचाने की क्षमता रखते हैं। शीतली प्राणायाम, गर्मी में शरीर को ठंडा रखने का एक योगासन है। यह प्राणायाम करने से गुस्सा कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है।इस प्राणायाम से बॉडी को ठंडा रखने का प्रयास किया जाता है। पहले की ही तरह पद्मासन और सिद्धासन आसन में बैठ जाएं। अब से 6 बार गहरी सांस लें। अब अपने मुंह से ओ शेप बनाएं और जोर सांस अदर लें और नाकों से सांस बाहर निकालें। यह प्राणायाम भूख,प्यास, नींद और आलस की समस्या को दूर कनरने में फायदेमंद है। यह प्राणायाम दांतों और मसूड़ों के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना जाता है।इसे भी 5-10 बार दोहराएं।
शीतली प्राणायाम करने से गर्मी में शरीर ठंडा रहता है। हाई बीपी की समस्या में आराम मिलता है। नर्वस सिस्टम की परेशानियों में फ़ायदेमंद है। गुस्सा कंट्रोल करने में मदद मिलती है। शरीर को स्वस्थ बनाता है।

प्राणायाम के लाभ:-
शारीरिक लाभ:-
- तनाव कम करना: प्राणायाम तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना: नियमित प्राणायाम से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- हृदय स्वास्थ्य में सुधार: कुछ प्राणायाम हृदय गति को नियंत्रित करने और रक्तचाप को कम करने में मदद करते हैं।
- फेफड़ों की क्षमता में सुधार: प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और सांस लेने में सुधार करता है।
- पाचन में सुधार: कुछ प्राणायाम पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
- ऊर्जा स्तर में वृद्धि: प्राणायाम शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है और थकान को कम करता है।
- स्किन को अच्छा करता है: प्राणायाम शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे त्वचा में निखार आता है।
- शरीर के अंगों की मसाज: प्राणायाम से शरीर के अंगों की मसाज होती है, जिससे शरीर के सभी टॉक्सिन यूरिन के रास्ते से बाहर निकल जाते हैं।
मानसिक लाभ:-

- ध्यान केंद्रित करना: प्राणायाम ध्यान केंद्रित करने और एकाग्रता में सुधार करने में मदद करता है।
- मन को शांत करना: प्राणायाम मन को शांत और स्थिर बनाता है।
- आत्म-जागरूकता बढ़ाना: प्राणायाम आत्म-जागरूकता को बढ़ाता है और व्यक्ति को अपने मन और शरीर के साथ बेहतर ढंग से जुड़ने में मदद करता है।
- आत्म-नियंत्रण में सुधार: प्राणायाम आत्म-नियंत्रण और आत्म-संयम में सुधार करने में मदद करता है।
- मानसिक स्पष्टता में सुधार: प्राणायाम मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता में सुधार करता है।
चमत्कारी लाभ:- जानें स्वस्थ जीवन में प्राणायाम का महत्व
- प्राणायाम से शरीर में प्राण शक्ति (ऊर्जा) बढ़ती है, जिससे व्यक्ति को अधिक ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस होता है।
- प्राणायाम से मन शांत और स्थिर होता है, जिससे व्यक्ति को तनाव और चिंता से राहत मिलती है।
- प्राणायाम से शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है, जिससे व्यक्ति को स्वस्थ और हल्का महसूस होता है।
- प्राणायाम से व्यक्ति को अपने मन और शरीर के साथ बेहतर ढंग से जुड़ने में मदद मिलती है, जिससे व्यक्ति को आत्म-जागरूकता और आत्म-नियंत्रण में सुधार होता है।
योग के जरिए आप रोगों से खुद का बचाव कर सकते हैं। आज इस बात को पूरी दुनिया मानती है। यही वजह है आज योगाभ्यास करने वाले लोगों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। दरअसल, शारीरिक गतिविधियों में होने वाली कमी को दूर करने के लिए आप योग व मेडिटेशन का अभ्यास कर सकते हैं। इससे आपका तन और मन दोनों ही स्वस्थ और शांत बनते हैं। आज के दौर में स्ट्रेस में बढ़ोतरी और शारीरिक गतिविधियों में कमी के कारण कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की समस्या आम परेशानी बनती जा रही है। यह रोग हार्ट संबंधी समस्याओं का बड़ा कारण माने जाते हैं। इसको दूर करने के लिए आप लाइफस्टाइल में बदलाव कर प्राणायाम कर सकते हैं।
इन सभी प्राणायाम का नियमित अभ्यास आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है। इन प्राणायामों का अभ्यास करते समय हमेशा ध्यान रखें कि किसी भी प्रकार की असुविधा महसूस होने पर तुरंत बंद कर दें। जानें स्वस्थ जीवन में प्राणायाम का महत्व