भारत के आर्थिक विकास मे मील का पत्थर साबित होगी-जलेबी फैक्ट्री..?

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भारत के आर्थिक विकास मे मील का पत्थर साबित होगी-जलेबी फैक्ट्री..?
भारत के आर्थिक विकास मे मील का पत्थर साबित होगी-जलेबी फैक्ट्री..?

विजय सहगल 

1 अक्टूबर 2024 का दिन भारत के इतिहास मे स्वर्ण अक्षरों से लिखा जायेगा। जब भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस के युवा हृदय सम्राट राहुल बाबा ने हरियाणा के गोहाना से देश को एक नई राह दिखा कर भारत के औद्योगिक विकास मे जलेबी फैक्ट्री के माध्यम से जलेबी मिठाई को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला कर, पचास हज़ार से भी ज्यादा  रोजगार प्रदान करने के मार्ग प्रशस्त किया। स्वतन्त्रता के बाद भारत के नीतिनियंताओं, योजना निर्माण कर्ताओं, नौकरशाहों की वही पुरानी, घिसी पिटी सोच से हठ कर एक नए रोजगार मूलक आविष्कार का सृजन को अपनी बहन प्रियंका गांधी के माध्यम से देश को सांझा करते हुए उन्होने कहा कि उन्होने ऐसी जलेबी ज़िंदगी मे पहली बार खायी  और एक डिब्बा प्रियंका के लिए लेकर आने का वादा  किया क्योकि अन्य भारतीयों की तरह उसे जलेबी बहुत प्रिय है। भारत के आर्थिक विकास मे मील का पत्थर साबित होगी-जलेबी फैक्ट्री?

 उन्होने गोहाना के मातूराम हलवाई के मेहनत और खून पसीने की तारीफ करते हुए उसकी एक सौ कारीगरों की हलवाई की  दुकान को पचास हजार कर्मचारियों की बड़ी जलेबी फैक्ट्री मे परिवर्तित करने के अमूल्य सुझाव दिये जो उनकी वैज्ञानिक, विकासोन्मुख सोच को दर्शाता है। काश! स्वतंत्रता के बाद हमारे राजनेताओं की ऐसी दूरदृष्टि और उन्नत सोच होती तो हम अमेरिका, चीन से भी आगे निकल, आज विश्व मे  नंबर एक की अर्थव्यवस्था, वर्षों पहले हो चुके होते..? वास्तव मे इन प्रतिभासम्पन्न, प्रतिभावान, गुणवान और बुद्धिमान भाई-बहिन की, भारत के विकास के लिये,  कितना सुंदर रोड मैप हैं, कितनी उन्नतशील  नीतियाँ और कितने विकाशील कार्यक्रम हैं, प्रशंसा करे बिना नहीं रहा जा सकता। एक चाय बेचने और बनाने वाला तो कभी सोच भी नहीं सकता। वैसे वीडिओ मे जब राहुल गांधी मातूराम की जलेबी को गोहाना से होते हुए पूरे देश और फिर अमेरिका, जापान के बाद दुनियाँ के अन्य देशों मे निर्यात की बात कर रहे तो मंच पर बैठे सांसद, दीपेन्द्र हुड्डा एवं अन्य लोगों की शक्ल देखने लायक थी। राहुल गांधी का जलेबी फैक्ट्री वाला बयान गले की हड्डी की तरह न उगलते बन रहा था, न निगलते!!    

राहुल गांधी ने एक साधारण स्थानीय जलेबी को देश मे हीं नहीं अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो  ख्याति दिलायी, उसको  देश कभी भूल नहीं सकता। सैकड़ों सालों से देश मे जलेबी बनाने वाले हलवाई जो नहीं सोच सके, राहुल गांधी जैसे  नौजवान युवा नेता ने मिनटों मे जलेबी फैक्ट्री की सोच को विकसित कर, उसे कार्य रूप मे  परिणित कर दिया!! धन्य है ऐसा देश और धन्य है ऐसी  धरा जिसने राहुल गांधी जैसे नौनिहाल को अपने मिट्टी के आगोश मे पाला पोसा और बड़ा किया!! ऐसा प्रतीत होता हैं कि राहुल गांधी की प्रतिभा, ज्ञान और कौशल को विपक्षी दलों ने कम करके आँका अन्यथा जलेबी की फैक्ट्री वाली उनकी सोच,उनकी प्रतिभा और ज्ञान के अनुसार तो, “होनहार बिरवान के होत  चीकने पात” वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे थे। जब गोहाना जैसे छोटे से कस्बे मे  मातूराम जैसे हलवाई की दुकान से जलेबी की फैक्ट्री स्थापित कर पचास हजार लोगो को रोजगार दिया जा सकता है, तब  सारे उत्तर भारत मे स्थित हजारों लाखों जलेबी की दुकान से कितने व्यक्तियों को रोजगार दिया जा सकता है, इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है? 

 बहुत से गुणीजनों का कहना हैं और अन्य बहुत से श्रेष्ठी वर्ग का मानना है कि राहुल जी को भारतीयता और जलेबी के बनाये जाने का  बुनियादी ज्ञान ही नहीं हैं? जलेबी तो हलवाई की दुकान पर गर्म-गर्म खाई जाती हैं, कभी फैक्ट्री मे नहीं बनाई जाती?  फिर उसको देश के कोने कोने या विदेशों मे कैसे निर्यात किया जा सकता हैं? उन माननीयों का कहना तो ठीक हैं पर ये साधारण सोच हैं.  राहुल गांधी  की सोच अत्यंत उच्च और आध्यात्मिक हैं। वे श्रीमद्भगवत गीता के जानकार हैं। तभी तो गीता के अध्याय 12 के श्लोक 18 को उद्धृत करते हुए उनका मानना हैं कि जिस तरह, शत्रु-मित्र, मान-अपमान, सर्दी-गर्मी, सुख-दुःख मे हमे आसक्ति रहित और सम होना चाहिये, उसी तरह जलेबी को गर्म या ठंडा खाने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता!!, फिर भले ही ठंडी जलेबी एक दिन, एक हफ्ते या एक माह बाद भी क्यों न खायी जाय?

इसी भाषण मे उन्होने मातूराम हलवाई की फैक्ट्री मे 50 हजार लोगो के रोजगार सृजन के पश्चात मोदी जी पर आरोप लगाया कि मोदी जी उसे लोन नहीं देंगे, वे सारा लोन अंबानी और अडानी को देंगे। जैसे महाभारत मे अभिमन्यु को चक्रव्यूह मे फंसाया था, बैसे मातूराम को नोटबंदी और जीएसटी के चक्रव्यूह मे फंसाया लेकिन लगता है गोहाना का मातूराम हलवाई, राहुल गांधी के जलेबी फैक्ट्री के झांसे मे नहीं फंसा अन्यथा उसकी गोहाना मे जो थोड़ी बहुत चल रही हलबाई की दुकान को जलेबी फैक्ट्री मे बदलने  मे बो हाल हो जाता जैसे, “धोबी का कुत्ता घर का न घाट का” ।       

राहुल गांधी के दिल मे देश के विकास के लिए नित नए नए आइडिया आते रहते हैं।  लोग उनके मसखरेपन जैसे कभी आलू से सोना बनाने की योजना, कभी राजस्थान की कुम्भ राम लिफ्ट इरीगेशन योजना को, कुंभकरण लिफ्ट इरीगेशन योजना बोलना,आटे को लीटर मे मापना, कोका कोला कंपनी वाले को एक शिकंजी बेचने वाला बतलाना, मैकडॉनल्डस को ढाबा चलाने वाला, प्रधानमंत्री के बाहर जाने  को, प्रधानमंत्री बार मे जाते है बतलाना, जो आँख मारने का एक्शन उन्होने संसद मे किया था कुछ बैसा ही एक्शन उन्होने गोहाना की सभा मे भी, जलेबी की फैक्ट्री को उद्धृत करते हुए भी  किया। तब उनकी प्रतिभा, ज्ञान, कौशल और शिक्षा के पराक्रम को  समझ पाना कठिन ही नहीं, असंभव है लेकिन कॉंग्रेस मे हो रहे  चमत्कार को इस बात के लिये तो नमस्कार करना  ही पड़ेगा कि उसने  दुनियाँ की इस कहावत को झूठा सिद्ध कर दिया कि  “काठ  की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती”। भारत के आर्थिक विकास मे मील का पत्थर साबित होगी-जलेबी फैक्ट्री?