डीआईजी मुख्यालय में मस्त जेल अफसरों ने मचा रखी लूट

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डीआईजी मुख्यालय में मस्त जेल अफसरों ने मचा रखी लूट
डीआईजी मुख्यालय में मस्त जेल अफसरों ने मचा रखी लूट
राकेश यादव
राकेश यादव

आगरा जेल परिक्षेत्र की जेलें सुर्खियों में,डीआईजी मुख्यालय में मस्त, जेल अफसरों ने मचा रखी लूट। कासगंज के बाद आगरा जिला जेल का भ्रष्टाचार आया सामने। मनचाही बैरेक में जाने के बंदियों को देना पड़ रहा 7000 रुपए। डीआईजी मुख्यालय में मस्त जेल अफसरों ने मचा रखी लूट

लखनऊ। आगरा जेल परिक्षेत्र के डीआईजी लखनऊ मुख्यालय में मस्त हैं, वही उनके परिक्षेत्र की जेलों में अधिकारियों ने लूट मचा रखी हैं। कांसगंज जेल के बाद आगरा जिला जेल का भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। भ्रष्टाचार के मामले में आगरा जिला जेल प्रदेश की नंबर वन जेल बन गई है। इस जेल में बंदियों से मनमाफिक बैरेक में जाने के लिए 7000 रुपए लिए जा रहे है। इसके अलावा सभी मामलों में जमकर वसूली की जा रही है। यह बात हिन्दू सेवा संस्थान के पदाधिकारियों ने जिला प्रशासन और जेल के अधीक्षक को सौंपे गए ज्ञापन में कही है।

संस्थान के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि जेल में बंदियों से प्रतिदिन पांच से सात लाख रुपए की अवैध वसूली की जा रही है। आरोप है कि नाम के पहले अक्षर से (अल्फाबेटिकल) बैरेक में जाने से बचने के लिए बंदियों को 7000 रुपए की मोटी रकम देने के विवश होना पड़ रहा है। बैठकी और मशक्कत के नाम पर 4000 रुपए वसूल किए जा रहे है। सुविधा शुल्क नहीं देने वाले बंदियों से शौचालय और नलियों की सफाई कराई जाती है। काम नहीं करने पर उनकी पिटाई कराई जाती है। यही नहीं सुविधा शुल्क के लिए बंदियों को ब्याज पर उधार पैसा तक दिलाया जाता है।

सूत्रों का कहना है कि शासन ने आगरा जेल परिक्षेत्र के डीआईजी जेल को कारागार मुख्यालय की भी जिम्मेदारी सौंप रखी है। इस अव्यवस्था की वजह से वह परिक्षेत्र की जेलों पर ध्यान ही नहीं देते हैं। यही वजह है कि कांसगंज जेल अधीक्षक की दबंगई से जेल के सुरक्षाकर्मियों के साथ बंदियों में खासा आक्रोश व्याप्त है। डेढ़ माह के कार्यकाल में 36 जेलकर्मियों को स्पष्टीकरण और चार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की संस्तुति कर डाली।

जिला जेल आगरा में तो अधीक्षक और जेलर ने लूट मचा रखी है। हिंदू सेवा संस्थान के पदाधिकारियों ने जिला प्रशासन का दिए गए शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि इस जेल में बंदी के प्रवेश करते ही वसूली शुरू हो जाती है। मशक्कत के नाम पर बंदियों से छह हजार से कई लाख तक की वसूली की जा रही है। इसके साथ ही जेल अंदर बंदियों के कल्याण के लिए संचालित की जा रही कैंटीन तो अफसरों की कमाई का मुख्य स्रोत बन गई है। कैंटीन की बिक्री में बढ़ोत्तरी करने के लिए जेल में बंदियों को घटिया भोजन परोसा जा रहा है।

बंदियों को जो दाल परोसी जा रही है उसमें दाल ढूंढे नहीं मिलती है। रोटियों का तो और ही बुरा हाल हैं। चाय तो ऐसी दी जाती है जिसे जानवर भी देखना पसंद नहीं करते है। कैंटीन में जेल के बाहर आसानी से 15 रुपए में मिलने वाली खाद्य सामग्री को 50 से 60 रुपए में बेचा जा रहा है। जेल में प्रवेश की प्रतिबंधित वस्तुओं की जमकर कालाबाजारी की जा रही है। पान, बीडी, मसाला, सिगरेट, तंबाकू, गांजा, चरस और ब्लेड को अनाप शनाप दामों पर बेचा जा रहा है।

संस्थान के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि मुख्यमंत्री समेत अन्य आला अफसरी ने जेल प्रशासन के भ्रष्टाचार को यदि रोका नहीं गया तो वह लोग धरना प्रदर्शन के लिए विवश होंगे। उधर इस संबंध में जब कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन ही नहीं उठा।

महिला हेड वार्डर को पदावनत करने का सिलसिला शुरू

नियम विरुद्ध तरीके से प्रोन्नति पाईं महिला जेल वार्डर को डिमोशन करने की प्रक्रिया तो शुरू हो गई लेकिन इन जेलकर्मियों को प्रोन्नति देने वाली कमेटी के पदाधिकारियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। मिली जानकारी के मुताबिक 3 सितंबर को मेरठ जेल परिक्षेत्र के डीआईजी ने 64 महिला जेल हेड वार्डर को वार्डर पद पर डिमोट किए जाने का आदेश जारी कर दिया। कारागार मुख्यालय ने यह कार्यवाही न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में की है। इस संबंध में विभागीय अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते नजर आए। विभागीय मंत्री ने भी इस मसले पर चुप्पी साध रखी है। डीआईजी मुख्यालय में मस्त जेल अफसरों ने मचा रखी लूट