देश के सबसे बड़े राज्य में चौकानें वाला सच सामने आया। 75वें स्वतंत्रता दिवस पर किसी को नहीं मिला राष्ट्रपति पदक। प्रदेश का कोई जेल अफसर राष्ट्रपति पदक के योग्य नहीं….!
लखनऊ। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के किसी भी अधिकारी व कर्मचारी को 75वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रपति का कोई भी पदक नहीं मिला। एक लाख से अधिक कैदियों की देखभाल करने वाले हजारों जेल कर्मियों में कोई भी अधिकारी व कर्मचारी पदक योग्य नहीं मिला। ऐसा तब हुआ जब गुजरात, मिजोरम, सिक्किम जैसे छोटे राज्यो के कई अधिकारियों की राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया। यह प्रदेश के लिए काफी शर्मनाक बात है।
भारत सरकार का गृह मंत्रालय गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर उत्कृष्ट व सराहनीय कार्य करने वाले जेल कर्मियों को राष्ट्रपति के सुधारात्मक एवम शौर्य पदक से सम्मानित करता है। वर्ष-2022 के स्वतंत्रता दिवस पर भारत सरकार के गृह मंत्रालय को देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में एक भी ऐसा योग्य अधिकारी व कर्मचारी नहीं मिला जिसको राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया जा सके। ऐसा तब हुआ है जब देश के अन्य राज्यो की तुलना में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक एक लाख से ज्यादा कैदी जेलों में बंद है। यही नहीं उत्तर प्रदेश में जेल अधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों की संख्या भी अन्य राज्यो की अपेक्षा अधिक है। इसके बावजूद इस बार के स्वतंत्रता दिवस उत्तर प्रदेश जेल विभाग का कोई भी अधिकारी व कर्मचारी पदक योग्य नहीं मिला।
नामों के चयन में होता जमकर पक्षपात….! राष्ट्रपति पदक के नामों के चयन में भी जेल मुख्यालय व शासन में जमकर पक्षपात होता है। विभागीय अधिकारियों व कर्मियों की माने तो शासन व मुख्यालय में बैठे आला अफसर नामों का चयन चहेते अधिकारियों व कर्मियों का ही करते है। इसी पक्षपात की वजह से कई अधिकारियों को यह पदक दो बार तक मिल चुका है। यही नहीं कई ऐसे कर्मियों को यह पदक दिला दिया गया जिन्होंने जेलों पर कभी डयूटी तक नहीं की। यही नहीं कई ऐसे अधिकारियों को यह पदक दिला दिया गया जिनके ऊपर आरोपों व जांच के भरमार है।
सूत्रों की माने तो शायद ऐसा पहली बार हुआ है जब देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश जहाँ अन्य राज्यों की अपेक्षा कैदी अधिक होने व अधिकारी-कर्मचारी अधिक होने के बावजूद कोई भी अधिकारी व कर्मचारी राष्ट्रपति पदक के योग्य नहीं मिला हो। इससे पूर्व के वर्षों में चार से पांच अधिकारियों व कर्मचारियों को राष्ट्रपति के सुधारात्मक सेवा पदक से अलंकृत नहीं किया गया हो। वर्तमान समय में प्रदेश की जेलों में महानिदेशक पुलिस/ महानिरीक्षक जेल के अलावा एक अतिरिक्त आईजी जेल, चार डीआईजी जेल (एक आईपीएस), करीब एक दर्जन वरिष्ठ अधीक्षक, तीन दर्जन से अधिक अधीक्षक, सैकड़ो जेल व डिप्टी जेलर के अलावा हज़ारों की संख्या में हेड वार्डर व वार्डर तैनात है। इतनी बड़ी संख्या में केंद्रीय गृह मंत्रालय को कोई भी अधिकारी व कर्मचारी पदक योग्य नहीं मिला। उधर इस संबंध में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी से काफी प्रयासों के बाद भी बात नहीं हो पाई।