क्या नेताजी की राह पर अखिलेश
लोकसभा उपचुनाव जीत के बाद सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के हौसले बुलंद है. और बुलंद हो क्यों न आखिर उनके चाचा शिवपाल यादव भी अब उनके साथ हैं. विगत के 5 वर्षों में समाजवादी पार्टी सड़कों पर नजर नहीं आया करती थी. जब से सपा सुप्रीमो के चाचा उनके साथ आए हैं सपा सुप्रीमो के हौसले बुलंद हैं. अब वह खुलकर सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ मैदान में उतर गए हैं.
अखिलेश यादव के मैदान में उतरने से समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हो चुके हैं. अभी तक जहां सपा कार्यकर्ता शांत था अब वह खुलकर विरोध कर रहा है. अगर इसी रणनीति पर अखिलेश यादव निरंतर कार्य करते रहे तो 2024 का चुनाव उनके लिए नया आयाम ला सकता है. शिवपाल यादव को आक्रामकता के लिए जाना जाता है. उनके समाजवादी पार्टी में आने से अब लोग गलत नीतियों का विरोध करने के लिए स्वतंत्र हो चुके हैं. वही आजकल सड़क पर नजर आ रहा है. अब धीरे-धीरे समाजवादी पार्टी अपनी पुरानी रणनीति पर आ रही है और नए लक्ष्य के लिए आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है.पिता मुलायम सिंह यादव की राह पर आये अखिलेश यादव.
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने अपने क्षेत्र को मजबूत करने में बहुत मेहनत की थी. मैनपुरी के आसपास के लोग उनके क्षेत्र छोड़ने के बाद लखनऊ और दिल्ली में जाकर मिलते थे. मुलायम उनकी समस्या सुनते और निपटाते थे. लोगों से उनका व्यक्तिगत जुड़ाव ही उनकी ताकत थी. इसीलिए उन्होंने इटावा, कन्नौज, फिरोजाबाद जैसे यादव बाहुल इलाके में अपनी पार्टी को मजबूत बनाए रखा. शायद अखिलेश यादव 2024 के चुनाव के दौरान इतना समय इन क्षेत्रों में न दे पाएं, इसी कारण वे पिता मुलायम सिंह के न रहने के बाद उनकी खाली जगह को भरने और ज्यादा से ज्यादा समय यहां देने के प्रयास में लगे हैं.
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चाचा शिवपाल यादव को अपने पाले में लेने के बाद अब अखिलेश यादव का फोकस यादवलैंड के युवाओं पर है. इसके लिए वो हर गांव में युवाओं से सीधे जुड़ कर भविष्य की रणनीति को मजबूत बना रहे हैं और चाय-पकौड़ी के जरिए भाजपा को घेरने की तैयारी में लगे हैं. अपनी यात्राओं के दौरान वे यहां पर चाय, पकौड़ी और भुने आलू का लुफ्त उठाते भी दिखाई देते हैं. इसे सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है.मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में जीत के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पिता की विरासत संभालने में जुटे हैं और खास रणनीति पर काम कर रहे हैं. अखिलेश 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को घेरने के लिए यादवलैंड को मजबूत की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए अखिलेश यादव पहली बार इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, औरैया, फरुर्खाबाद और कन्नौज पर पूरी तरह से फोकस कर रहे हैं.
सपा मीडिया सेल सदस्य मनीष अग्रवाल के गिरफ्तार होने के बाद पार्टी बौखलाई हुई है. एक ओर जहाँ सपा मीडिया सेल के विरुद्ध शिकायत करने वालीभाजपा की युवा मोर्चा की नेता डॉ. ऋचा राजपूत के खिलाफ एफआईआर करवा दी गई है.वहीं अखिलेश यादव की भी एक वीडियो सामने आई है.इस वीडियो में वह पुलिस वालों से कह रहे हैं कि उन्हें शक है पुलिस उन्हें चाय में जहर मिलाकर दे सकती है.
2014 से मुलायम का गढ़ रहे यादवलैंड पर भाजपा लगातार अपनी दखल बढ़ा रही है. उसी का नतीजा रहा कि 2019 में न सिर्फ यादव बाहुल्य क्षेत्र, कन्नौज, फिरोजाबाद, जैसे इलाकों में भाजपा ने कब्जा जमा लिया. इसके साथ ही उनके सबसे मजबूत इलाके गृह जनपद इटावा में भी कमल खिलाया है. पिछले चुनाव में सपा से नाराज होने वाले तमाम कद्दावर नेताओं को भाजपा ने अपने साथ जोड़ा है. उन्हें संगठन के साथ सियासी मैदान में उतार कर नया संदेश देने का भी काम किया है. इसका भाजपा को कुछ लाभ भी मिला है.
समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज पुलिस मुख्यालय में सपा का मीडिया सेल हेंडल करने वाले जगन अग्रवाल की गिरफ्तारी के विरोध मे धरना प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान पुलिस अधिकारियों ने उनसे चाय के लिए पूछा तो अखिलेश ने चाय पीने से यह कहते हुए मना कर दिया कि हम आपकी चाय नहीं पिएंगे.कहीं आप ने हमे चाय में जहर मिलाकर दे दिया तो. इस पर वहां मौजूद अधिकारी मुस्कुराए तो अखिलेश फिर बोले कि हां हमे आप लोगों पर बिलकुल भी भरोसा नहीं है. हम चाय अपनी मंगवाएंगे और कप आपका ले लेंगे. अखिलेश ने कहा य तो हम अपनी चाय लाएंगे तब पिएंगे या बाहर की पिएंगे.आप अपनी चाय पियो हम अपनी चाय पिएंगे.
क्या नेताजी की राह पर अखिलेश….?