राजेन्द्र चौधरी
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर 27 मार्च 2021 को विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर अभिव्यक्ति की आजादी के लिए समाजवादी पार्टी प्रदेश भर में ‘कलाकार घेरा‘ कार्यक्रम आयोजित करेगी। इसमें अपनी-अपनी कला की रक्षा के लिए अभिनय, व्यंग, लेखन, नृत्य, गीत-संगीत, टी.वी., फिल्म, रंगकर्म एवं अन्य कलाओं के कलाकार एकजुट होकर अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति द्वारा अपने तरीके से विरोध प्रकट करेंगे।
‘कलाकार घेरा‘ कार्यक्रम का उद्देश्य जहां सत्ता दल द्वारा कलाओं के राजनीतिकरण के खिलाफ आवाज उठाना है। इस दिन कलाकारों की उपेक्षा एवं अपमान करने वाली सरकार को हटाने का भी संकल्प लिया जाएगा।
भाजपा राज में कलाकारों को असुरक्षा के साथ अपमान का भी सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश में अभिव्यक्ति की आजादी का संकट है। कलाकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं। जो सम्मान समाजवादी सरकार दे रही थी उन्हें भी समाप्त किया जा रहा है। कलाकारों को दिए जाने वाले कार्यक्रमों में पक्षपात बरता जा रहा है।
कैसी विडम्बना है कि कलाकारों को सम्मान देने की जगह कलाकारों को मिलने वाले मानदेय में भी भेदभाव किया जा रहा है। उनकी पेंशन में भी अड़चनें डाली जाती है। उनके स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर सत्तारूढ़ सरकार उदासीन है। वयोवृद्ध कलाकारों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है।
सबसे बढ़कर यह कि वर्तमान सत्तारूढ़ भाजपा दल एक विशेष विचारधारा को प्रचारित करने का कलाकारों पर दबाव बना रही है। उन्हें इसके लिए डराया धमकाया जा रहा है। कलाकारों को कौमी एकता के खिलाफ इस्तेमाल करने की साजिशें होने लगी हैं। कलाओं को विघटनकारी बनाने के तहत कलाओं की विविधता को भी नष्ट करने का षडयंत्र किया जा रहा है।
भाजपा सरकार के सत्ता में रहते कला और कलाकारों का मान सम्मान असुरक्षित है। भाजपा द्वारा अपनी एकाधिकारी मानसिकता के तहत कला क्षेत्र में भी खास विचारधारा को प्रोत्साहित करने का दबाव बनाया जाता है। जो कला की विविधता और कलाकार की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध हैं उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज करा दी जाती है। ऐसी अराजक स्थिति कभी नहीं हुई थी।
अखिलेश यादव ने कलाकारों से अपील की है कि वे आगे आएं, विविध कलाओं से जुड़े अपने मुद्दों को लेकर इस कार्यक्रम से जुड़े और संकीर्ण सोच वाली सत्ता से हटाना सुनिश्चित होना चाहिए।